'बेफिक्रे' में एक बिंदास लड़की का रोल निभाने वाली वाणी कपूर तकरीबन 3 साल बाद एक बार फिर फिल्मों में दिखाई दे रही हैं। दुबली-पतली-सी ये लड़की अपने इरादों में पक्की है। शायद यही कारण रहा कि उन्होंने सही फिल्म के सामने आने का इंतजार किया। उनसे बात की हमारी संवादददाता रूना आशीष ने-
आपकी जिंदगी में ऐसी क्या चीज है जिसे लेकर आप बिलकुल बेफिक्र हैं और जिंदगी में ऐसा क्या है जिसे लेकर आप बहुत सजग हैं?
वैसे में तो जिंदगी में हर चीज को लेकर बहुत ही संजीदा होती हूं। मैं हर बात के बारे में कुछ ज्यादा ही सोचती रहती हूं और जहां तक 'बेफिक्रे' होने का सवाल है तो शायद मैं अपने घर वालों और अपने दोस्तों को बिलकुल सीरियसली नहीं लेती। हमेशा लगता है कि वे मेरे साथ थे और रहेंगे। तो मैं उन्हें लेकर हमेशा बेफिक्र होती हूं। मैं उन्हें हमेशा ग्रांटेड ले लेती हूं।
और फिक्र। मैं हर चीज की फिक्र करती हूं। अपनों की सेहत की फिक्र करती हूं। मैं अपने करियर की फिक्र करती हूं। मैं अपनी बिल्लियों की फिक्र करती हूं, मैं अपने कुत्तों की फिक्र करती हूं। मैं दरअसल ऐसी जगह पर पली-बढ़ी जहां कई बिल्लियां, कुत्ते, मछलियां, बतख और खरगोश बहुत रहे हैं, तो मैं उन सबकी फिक्र करती रहती हूं। मुझे ऐसा लगता है कि मैं हर उस चीज या व्यक्ति जिससे जुड़ी हूं तथा उनकी जिम्मेदारी मुझ पर ही है। मैं बिना चिंता किए नहीं रह सकती।
आदित्य चोपड़ा के प्रोडक्शन हाउस में काम करना और आदित्य चोपड़ा के निर्देशन में काम करना कितना अंतर वाला रहा?
मैंने अपनी पहली फिल्म 'शुद्ध देसी रोमांस' के समय मनीष के साथ काम किया था, तब मैं आदि से मिली थी। वे मेरी रीडिंग में आते थे। बहुत शांत किस्म के हैं। बहुत ही विनम्र स्वभाव वाले हैं तथा किसी भी बात का घमंड नहीं। किसी से कोई एटिट्यूड नहीं। तो मुझे पहली फिल्म में उनसे इतना डर नहीं लगा जितना कि निर्देशक मनीष शर्मा से लगता था।
लेकिन हां, जब उनके निर्देशन में काम करने का मौका मिला है तो लगा कि उनसे कितना कुछ है समझने के लिए जीवन में। उन्हें देखकर लगता है कि फिल्म में कैसे गुम हो गए हैं वो। उनका फिल्म बनाने का जज्बा हो या इस फिल्म को लेकर उनका जो खास लगाव है, वो देखने को मिला और बहुत गर्व होता है ये सोचकर कि मैं उनकी इस फिल्म का हिस्सा हूं। बहुत बड़ी बात है मेरे लिए कि मैं उनके सपनों का एक छोटा-सा हिस्सा तो बन पाई।
रणवीर जैसे स्टार के साथ काम करने का मौका मिला। कैसा लगा ये सब देखकर? और सुना है कि आपकी बहुत रैगिंग हुई है इस फिल्म के बनने के दौरान? सुना है कि वो बहुत टांग खिंचाई करते थे आपकी?
प्रेस कॉंन्फ्रेंस में भी आपने देखा है न। अभी भी मीडिया इंटरव्यू के दौरान आपने ही अपनी आंखों से देखा कि वो कैसे मुझे परेशान कर रहे हैं। मुझे दुखी कर दिया था इस इंसान ने। मैं रणवीर को बहुत बार बोल भी चुकी थी कि बस में एक लड़का आता था, जो मुझे बहुत परेशान करता था। धमकाता रहता था। कभी धक्का दे दिया तो कभी चोटी खींच ली यानी रोज कोई न कोई शैतानी करेगा, कुछ न कुछ ऊटपटांग-सा कर देगा।
मुझे रणवीर उसी लड़के की याद दिलाता था। मैं उसे कहती भी थी कि मेरे पिता ने उस स्कूल वाले लड़के की बहुत अच्छे से 'खातिर' की है, तुम भी जरा बचकर रहना मुझसे। मैं और रणवीर हमेशा कुत्ते-बिल्लियों की तरह लड़ते रहते थे और आदि सर कहते रहते थे मत लड़ो, बस करो। चुप रहो व अब कम से कम शॉट दे दो। वो सचाई में कहते रहते थे कि मेरे दो अनमोल रतन मत लड़ो, मत मुझे दुखी करो काम करो। और ये काफी बार हुआ भी है। लेकिन उसी तरह मेरी और रणवीर की बनती भी बहुत है, लेकिन मुझे मालूम है कि वो दिल के बहुत साफ हैं। बहुत खयाल रखने वाले हैं इसलिए मैं कभी कुछ भी दिल पर नहीं लेती।
कभी-कभी ऐसा होता है कि मैं कुछ डांस में गलत कर रही हूं या टेक्निकली कुछ ठीक नहीं जा रहा है तो रणवीर वो पहले शख्स होंगे, जो मेरे पास आएंगे और कहेंगे कि कोई बात नहीं, मैं हूं ना। तू कभी कुछ गलत भी करेगी तो मैं ठीक से कवरअप कर लूंगा। हम इसे ठीक कर लेंगे। मैं कहां हूं, कैसी हूं, वो मुझे ढूंढ लेते हैं और एक तरीके से वो बहुत ही प्रोटेक्टिव हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि मैं बहुत ही नई हूं।
आप एक सेलिब्रिटी हैं तो आपने अपने बारे में कई खबरें भी पढ़ी होंगी तो कभी कुछ ऐसा पढ़ ले, जो आपको पसंद नहीं हो तो कैसे सामना करती हैं इस हाल का? क्या कोई असर पड़ता है इन सबका?
ये तो इक इंसानी जज्बात है। कभी कुछ ऐसा-वैसा सुनने में आ गया तो बुरा तो लगता है न। किसी को भी लगेगा। आपको भी लगेगा। लेकिन मैं असल जिंदगी में न तो अखबार पढ़ती हूं न ही टीवी देखती हूं, तो ऐसी कोई भी बात मेरे कान तक पहुंच नहीं पाती। अगर कुछ जानना है तो फिर नेट पर देख लेती हूं। हां, ऐसी खबरों को सुनकर लगता है कि खबर क्यों लिख रहे हैं? क्यों किया ऐसा? एक तो मुझे ये भी मालूम नहीं पड़ेगा कि किसने लिखा है? न उनका चेहरा मेरे सामने होगा तो फिर मैं भी क्या कर सकती हूं?
इस फिल्म की ऐसी कोई खास बात, जो आप बताना चाहें या कोई परेशानी, जो आपने महसूस की?
इस फिल्म में हमने बड़े लंबे-लंबे शॉट्स शूट किए हैं, बड़े-बड़े डायलॉग्स शूट किए, मतलब कि 6-6 पन्नों के डायलॉग्स भी एक ही टेक में शूट किए हैं। देखने वाले को ऐसा लगेगा कि आप वहीं बैठे हों और आपको न तो कोई कट देखने को मिलेगा, न ही लांग शॉट्स। एक सीन को लेकर मुझे दिक्कत आई, जब मैं मेकअप करा रही थी तो मुझे कहा गया कि ये लंबा-चौड़ा शॉट शूट करेंगे, आप इसे फटाफट याद करो और शॉट के लिए आ जाओ!
ये शॉट बड़ा टेक्निकल है। इतनी जगह तक पहुंचने में इतने डायलॉग्स बोलने होंगे। फिर खड़े होकर इतने संवाद और फिर मुड़ना और इतने संवाद बोलना। गड़बड़ ये हो गई कि मुझे ये डायलॉग एक रात पहले आ जाने थे लेकिन मेल मिला नहीं था।
अब उसी दिन मुझे ये मालूम पड़ा कि पुराने कपड़े मानकर मेरी नौकरानी ने कपड़े फेंक दिए तो मेरे पास उस दिन पहनने के कपड़े भी नहीं थे। मैं इस वजह से दुखी थी, तो ऐसे मूड में इतना कठिन डायलॉग करना बहुत मुश्किल हो गया था। मेरी आदत है कि मैं सारे डायलॉग याद करके जाऊं। जरूरत पड़ने पर मैं अपने सारे डायलॉग लिख-लिखकर भी याद कर लेती हूं।
आप बॉलीवुड में आने के पहले इस इंडस्ट्री को कैसे देखती थी? और अब जब इसका एक हिस्सा बन गई हैं तो कैसी लगती है ये इंडस्ट्री?
मैं अभी भी कहां इस इंडस्ट्री को जान पाई हूं? हमारी पहली फिल्म 'शुद्ध देसी रोमांस' या साउथ में की दूसरी फिल्म और अब ये फिल्म 'बेफिक्रे'। मैंने तो सब यशराज के लिए ही की हैं। मैं आज ही अपनी मैनेजर से पूछ रही थी कि मुंबई के दूसरे स्टूडियोज दिखते कैसे हैं? मैं आज तक सिर्फ एक बार फिल्मसिटी शूट पर गई हूं।
आपकी एक फिल्म 'शुद्ध देसी रोमांस' के बाद आप एक अरसे बाद लौट रही हैं, क्या आपको यशराज की तरफ से कोई मनाही थी कि आप बाहर किसी प्रोडक्शन हाउस में काम न करें?
नहीं, बिलकुल नहीं। मुझे तो इन लोगों ने कहा भी था कि आपको कोई भी फिल्म मिल रही है तो कर लीजिए। 3 साल तक जब मैं कोई फिल्म नहीं कर रही थी तब भी यशराज वालों ने कहा था कि आपको इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है, अगर कोई प्रोजेक्ट है तो आप साइन कीजिए। हम आपके लिए एक एजेंसी के तौर पर तो काम करेंगे ही।
आपने क्या अपने होंठों और नाक की सर्जरी कराई है?
अरे? मैंने कोई सर्जरी नहीं कराई है। मेरे पास इतना पैसा ही नहीं है। पता नहीं किसी को ऐसा क्यों लगा कि मैंने सर्जरी कराई है। मैं तो आज के सारे युवाओं को बोलूंगी कि जो जैसा है वैसा ही रहे। और क्या होता है न कि एक ने लिखा तो फिर दूसरा लिखता है और फिर सब जगह सर्जरी-सर्जरी की बात होने लग जाती है।
आपने इस फिल्म के लिए पेरिस में शूट किया, कैसा लगा ये शहर आपको?
मुझे पेरिस बहुत अच्छा लगा। वहां सब कुछ अच्छा लगा। वहां के लोग, वहां के कैफे। वहां के लोग बहुत ही खुशमिजाज लगे और कैफे तो सारे खुले आसमान के नीचे। मजा आ जाता था। मुझे वहां एक बात बहुत अच्छा लगी, वो ये कि वहां लोग हफ्ते में सिर्फ 5 दिन काम करते हैं और बाकी के 2 दिन सिर्फ मस्ती और आराम और हम हिन्दुस्तानियों को काम में लगे रहने की आदत है। हम जुटे रहते हैं और कोई छुट्टी भी नहीं लेते जबकि अपनी सेहत के लिए ये छुट्टियां भी जरूरी हैं। वहां सब कुछ बेफिक्र था।