श्रीदेवी की मौत के बाद जाह्नवी और खुशी के नजदीक क्यों आए, बता रहे हैं अर्जुन कपूर
कुछ समय पहले देश की एक बेहतरीन अदाकारा श्रीदेवी की मौत का सदमा उन सभी को लगा जो उन्हें रुपहले पर्दे पर देखते आ रहे थे या इंग्लिश विंग्लिश के ज़रिए उनसे परिचित हुए थे। इन सभी के बीच दर्शकों ने एक भाई के रूप में अर्जुन कपूर को देखा। ज़ाहिर है मुश्किल के समय में वैमनस्य भूला कर बड़े भाई का रोल असल ज़िंदगी में निभाने लगे थे। अर्जुन के इस रूप को लोगों ने पसंद भी किया।
इस बारे में अर्जुन बोले, "मैं तो वैसे ही पेश आ रहा था जैसे कि मैं अपनी बहनों को लिए हूं, चाहे वह रिया हो, अंशुला हो या सोनम हो। मैंने हमेशा कोशिश की है कि मैं एक अच्छा बेटा बन सकूं। वैसे भी जो कुछ मैंने किया वो ठीक वैसा ही किया जैसा मेरी मां ने चाहा हो कभी।
जब ये घटना (श्रीदेवी की मौत) हुई तो मैंने अपनी बहन और अपनी मासी को फोन लगाया और बताया कि ऐसा हो गया है। फिर जो भी मैंने किया वो स्वाभाविक रूप के अनुसार ही किया। ऐसे समय में कोई भी दो तरीके से पेश आ सकता है। मेरे लिए दूसरा कोई तरीका था ही नहीं। मैं पहुंच गया वहां (जान्हवी और खुशी के पास)। मेरे खयाल से जो आपने देखा वो मेरे निर्णय की सच्चाई देखी।''
अर्जुन ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "मैंने वही किया जो मेरे दिल ने कहा। सब अचानक हुआ। मैंने किसी बड़े भाई का किरदार या किसी भी तरह से भाई बनने की कोशिश नहीं की। वही किया जो सही लगा। मुझे मालूम है कि नफरत करना आसान है, लेकिन प्यार करना बहुत मुश्किल।
ये बहुत आसान बात होती मेरी और मेरी बहन के लिए कि हम वैसे पेश नहीं आते जैसे आए हैं, लेकिन मुझे मालूम है कि कैसा लगता है जब पूरे कमरे में लोग साथ बैठे हैं और कोई शब्दों का आदान प्रदान ना हो रहा हो। मेरे हिसाब से ये समय किसी पर न आए। इस सब के बाद हम भाई-बहन की ज़िंदगी में दो बहुत ही खूबसूरत लोगों ने शिकरत की है।'
क्या आपका इस तरह अपनी बहनों के लिए खड़े होना लोगों को प्रेरित करेगा? पूछने पर अर्जुन कहते हैं 'मैंने ये सोच कर नहीं किया। अगर अपने परिवार के लिए किया ये काम लोगों को प्रेरित कर रहा है तो मैं खुश हूं। मैंने भी बहुत कुछ देखा है। गरीबी नहीं देखी, लेकिन अपने मां और पिता का अलग होना देखा है। मेरी मां का हमें छोड़ कर इस दुनिया से जाना देखा है। ऐसे कई क्षण आए हैं जिसमें बिखर जाना आसान था, लेकिन उठ कर खड़ा होना मुश्किल था। वैसे भी आपके पास दोस्त हों या परिवार हो तो बाकी दुनिया गई तेल लेने।'
अर्जुन थोड़ा रुक कर बोले 'लेकिन परिवार के लिए भी जरूरी है कि वो भी छोटों को वैसे ही अपनाएं जैसे वे हैं, वरना कई बार परिवार वाले भी अपने ही लोगों के साथ भेदभाव करते या दुत्कार देते हैं। आज दुनिया बदल गई है तो ज़रूरी है कि घर के बड़े घर के छोटो को प्यार करें और उनकी बातों को, उनके चयन को स्वीकार करें।'
क्या आप खुश हैं अपने करियर से? इसका जवाब अर्जुन इस तरह से देते हैं, 'मुझे खुश करना बहुत मुश्किल है। मैं अपने आप से इतना खुश नहीं होता हूं। जब फिल्म शुरू की थी तो लगा था कि मैं ये काम करके खुश रहूंगा। तब तो न स्टारडम सोचा और न फैन फॉलोइंग के बारे में सोचा। बस सोचा कि इस काम में नौकरी कर लेता हूं, लेकिन अगर ये कहूं कि खुश नहीं हूं तब गलत होगा। 100 करोड़ से ज़्यादा आबादी वाले देश में मैं कुछ 10-15 लोगों में से हूं जो लोगों से बेशुमार प्यार और इज़्ज़त पा रहा हैं तो ये अच्छा लगता है।'