मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. आलेख
  4. Mohammad Rafi, Shrikant Thakre, Marathi Songs
Written By

और रफी साहब मराठी में भी गाते रहे

और रफी साहब मराठी में भी गाते रहे - Mohammad Rafi, Shrikant Thakre, Marathi Songs
- अनिल धड़वईवाले 


 
मराठी लोगों को दो बातों में हमेशा ही बेहद आनन्द मिलता है। एक, जब कोई महाराष्ट्रीय उच्चपदस्थ व्यक्ति या कोई मशहूर हस्ती मराठी भाषा में बातें करता हो तब मराठी मानस खुश हो जाता है (देखा! वह टॉप सेलेब्रेटी हो जाने के बावजूद अपनी मातृभाषा को भूला नही है, इस बात का उसे बड़ा अभिमान होता है)। 
 
दूसरा, ग़ैर मराठी भाषी अथवा अन्य धर्मावलंबी व्यक्ति जब मराठी भाषा को करीब करता है, तब उस शख्स के बारे में गजब का अपनापन महसूस होता है (अपनी भाषा को दूसरों द्वारा स्वीकारने का कितना आनंद होता है उसे!)। 
 
यहां तो मोहम्मद रफी साहब ने मराठी के जाने-माने संगीतकार श्रीकांत ठाकरे के पास स्वयंस्फूर्त मराठी गाना गाया था। इतना ही नहीं, रफी साहब ने इसके बदले में ठाकरे जी से सिर्फ उनके हाथ से गुलाब का सुंदर फूल मांगा था। 
 
ठाकरे जी द्वारा फूल भेंट करते ही रफी साहब खुल कर बोल पड़े थे कि ठाकरे जी, "शूरा मी वंदिले" इस एक मराठी गीत पर हम लोग क्यों रुके? हम दोनों मिल कर और भी कुछ मराठी प्रायवेट गाने तैयार करेंगे। मुझे मराठी भाषा और लोग बहुत अच्छे लगते हैं। उसके बाद ठाकरे जी ने आस्तेकदम रफी साहब को मराठी गीत गाने के अवसर दिए। 
 
रफी साहब के लिए वह एकेक गीत याने एक स्वतंत्र अनुभव बना। मराठी फ़िल्म में पहली गज़ल लाने का श्रेय ठाकरे जी को ही जाता है। रफी साहब ने ठाकरे जी से शुरुआती दौर में मराठी सीखी थी। अत्यंत लोकप्रिय हुए मराठी गाने के बाद रफी साहब ने अपने सुरीली आवाज में एक से बढ़कर एक मराठी भजन, गज़ल, भावगीत, कोळी गीत (मछुआरों के गीत) जैसे विविध मूड का गायन किया।
 
तुझे रूप सखे गुलजार असे, छंद जीवाला लावी पीसे, शोधिसी मानव, है रूसवा सोड सखी, प्रकाशतील तारे तुम्ही अँधारावर रुसा, प्रभु तू कृपालु, कृपावंत दाता, अग पोरी दर्याला आलय तूफान, है मन आज कोणी,  विरले गीत कसे झाली मनाची शकले जैसे अनेक अजर अमर मराठी गीत रफी साहब ने पेश किए। 
 
इन मराठी गानों की खासियत यह थी कि इन गानों में" च" अक्षर नहीं था। रफी साहब "च" का उच्चारण "स" करते थे क्योंकि उर्दू भाषा में "च" नहीं है। इस संबंध में ठाकरे जी ने मराठी गीतकारों को सख्त हिदायत दे रखी थी। 
 
रफी साहब और श्रीकांत ठाकरे साहब अजीज दोस्त रहे। अमर गायक रफी साहब से मराठी गाने गवाने वाले महान संगीतकार ठाकरे जी का 14 साल पहले (10 दिसंबर 2003) को निधन हो गया। हिंदुस्तानी संगीत जगत के दोनों महारथियों को शत-शत नमन...
ये भी पढ़ें
जग्गा जासूस... क्या है देखने लायक, जानिए 5 मिनट में