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Last Modified: गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (16:15 IST)

Children's Day 2024 : फिल्मों में इन बाल कलाकारों ने दिखाया जलवा

Childrens Day 2024 These child actors showed their talent in films - Childrens Day 2024 These child actors showed their talent in films
बाल कलाकारों ने फिल्मों में अपना जलवा बिखेरा है और अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीता है। बाल फिल्मों की गिनीचुनी संख्या और बाल कलाकारों को मुख्यधारा के सिनेमा में कम जगह मिलने के बावजूद इन कलाकारों का इतिहास भरपूर रोशन है। 
 
इनमें बेबी तबस्सुम, मास्टर रतन, डेजी ईरानी, पल्लवी जोशी, मास्टर सचिन, नीतू सिंह, पद्मिनी कोल्हापुरे और उर्मिला मातोंडकर का नाम काफी मशहूर हुआ। सत्तर के दशक में ऐसे कई बाल कलाकार भी हुए, जिन्होंने बाद में बतौर अभिनेता और अभिनेत्री बनकर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अमिट छाप छोड़ी। ऐसे ही बाल कलाकारों में नीतू सिंह, पद्मिनी कोल्हापुरी और सचिन प्रमुख हैं।
 
सत्तर के दशक में नीतू सिंह ने कई फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर अभिनय किया इनमें वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म दो कलिया खासतौर पर उल्लेखनीय है। फिल्म दो कलियां में नीतू सिंह की दोहरी भूमिका को सिने प्रेमी शायद ही कभी भूल पाएं। इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत 'बच्चे मन के सच्चे' दर्शकों के बीच आज भी लोकप्रिय है। बाल कलाकार के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री में पद्मिनी कोल्हापुरे ने भी अपनी धाक जमाई थी। बतौर बाल कलाकार उनकी महत्वपूर्ण फिल्मों में सत्यम शिवम सुंदरम, ड्रीमगर्ल, जिंदगी, सजना बिना सुहागन आदि शामिल है।
 
अस्सी के दशक में बाल कलाकार अपनी भूमिका में विविधता को कुशलता पूर्वक निभाकर अपनी धाक बचाने में सफल रहे। निर्देशक शेखर कपूर ने एक ऐसा ही प्रयोग किया था फिल्म मासूम में, जिसमें बाल कलाकार जुगल हंसराज ने अपनी दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म कुछ कुछ होता है फिल्म इंडस्ट्री की सर्वाधिक कामयाब फिल्मों में शुमार की जाती है। शाहरुख खान और काजोल जैसे दिग्गज कलाकारों की उपस्थिती में बाल अभिनेत्री सना सईद अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने में सफल रही।
 
हाल के दौर में बाल कलाकारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गयी है उनका काम दो प्रेमियों को मिलाने भर नहीं रह गया है। हाल के वर्षो में बाल कलाकार जिस तरह से अभिनय कर रहे है वह अपने आप में अद्वितीय है। इसकी शुरुआत फिल्म ब्लैक से मानी जा सकती है। संजय लीला भंसाली निर्मित फिल्म में आयशा कपूर ने जिस तरह की भूमिका की उसे देखकर दर्शकों ने दातों तले उंगलियां दबा लीं। 
 
लेखक अमोल गुप्ते ने डिसलेक्सिया से पीड़ित बच्चे की कहानी पर तारे जमीन पर बनाने का निश्चय किया और अभिनेता आमिर खान से इस बारे में बातचीत की। आमिर खान को यह विषय इतना अधिक पसंद आया कि न सिर्फ उन्होंने फिल्म में अभिनय किया। साथ ही निर्देशन भी किया। तारे जमीन पर में अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शील सफारी ने यह साबित कर दिया कि सुपरस्टार की तुलना में बाल कलाकार भी सशक्त अभिनय कर सकते है बल्कि करोड़ो दर्शकों के बीच किसी संवेदनशील मुद्दे पर सामाजिक जागरूकता फैलाने और उसपर जरूरी कदम उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते है।
 
आज के दौर में बाल कलाकारों की प्रतिभा के कायल महानायक अमिताभ बच्चन भी है। सदी के महानायक फिल्म ब्लैक में काम करने वाली बाल कलाकार आयशा कपूर की तारीफ करते नहीं थकते। इसकी वजह यह है कि इन कलाकारों को अभिनय की ट्रेनिंग नहीं मिली होती और वह वास्तविकता के करीब का अभिनय करते। इसी तरह फिल्म भूतनाथ में अमिताभ बच्चन के साथ भूमिका करने वाले अमन सिद्दकी ने बंकू की भूमिका को सहज ढंग से निभाया। 
 
रूपहले पर्दे पर बाल कलाकारों तथा बाल गीतों ने हमेशा से सिने प्रेमियों के दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वर्ष 1954 में प्रदर्शित फिल्म जागृति संभवतः पहली फिल्म थी जिसमें बाल गीत को खूबसूरती से रूपहले परदे पर दिखाया गया था। इस फिल्म में संगीतकार हेमंत कुमार के संगीत निर्देशन में कवि प्रदीप का रचित और उनका ही गाया यह गीत 'आओ बच्चों तुम्हें दिखाये झांकी हिंदुस्तान की' बेहद लोकप्रिय हुआ था और बाल गीतों में इस गीत का विशिष्ट स्थान आज भी बरकरार है। 
 
दिलीप कुमार और वैजंयती माला को लेकर बनी फिल्म गंगा जमुना में आज के दौर की चरित्र अभिनेत्री अरूणा ईरानी ने बतौर बाल कलाकार काम किया था। इस फिल्म में नौशाद के संगीत निर्देशन में हेमंत कुमार की आवाज में शकील बदायूंनी का रचित यह गीत 'इंसाफ की डगर पर बच्चो दिखाओ चल के' श्रोताओं को आज भी अभिभूत कर देता है। 
 
इसके बाद समय समय पर फिल्मों में बाल गीत फिल्माए गए इनमें प्रमुख है नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है, इचक दाना बिचक दाना, तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसाफ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के, चुन-चुन करती आई चिड़िया, नानी तेरी मोरनी को मोर ले गये, नन्हा मुन्ना राही हूं, चक्के पे चक्का, बच्चे मन के सच्चे, चंदा है तू मेरा सूरज है तू, रेलगाड़ी रेलगाड़ी, रे मामा रे रामा रे, छोटा बच्चा जान के ना कोई आंख देखना रे आदि ने खूब लोकप्रियता अर्जित की।