सितम्बर का महीना शुरू होते ही लता मंगेशकर के फैंस उत्साह से सराबोर हो जाते हैं क्योंकि इस महीने की 28 तारीख को लता दीदी का जन्मदिवस आता है। कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार हो जाती है। कंपनियां लता के गानों के अलबम तैयार करने में जुट जाती हैं। कुछ लोग तो लता को सरस्वती का अवतार मानते हैं और इस दिन भक्ति-भाव से लता के सदाबहार नगमों का प्रसाद ग्रहण करते हैं। लता के ट्वीट का भी इंतजार रहता था कि लता इस दिन कौन से गीत पर बात करेंगी। अपने फैंस को क्या कहेगी?
आज 28 सितंबर है, लेकिन हमारे पास लता नहीं है। यह उनका पहला जन्मदिन है जब लता हमारे साथ नहीं हैं। जन्मदिन अब जयंती में बदल गया है। इसी वर्ष की 6 फरवरी को लता ने इस दुनिया को छोड़ा और दुनिया भर में फैले करोड़ों प्रशंसक उदास हो गए। अभी भी उन्हें यकीन नहीं है कि लता दीदी अब हमारे बीच में नहीं हैं।
लता के बिना जन्मदिवस कैसे मनाया जाए? कैसे खुशी मनाई जाए? ये सवाल उनके फैंस के दिमाग में घूम रहा है। लता पर आज भी कार्यक्रम होंगे। आज भी रेडिये/टीवी पर उनके नगमे सुनाए जाएंगे। लता के किस्सों पर चर्चा होंगी। उनके साथ काम करने वाले याद करेंगे। तमाम फैंस उनके गाने सुनेंगे। लेकिन एक उदासी जरूर रहेगी। अभी इस बात को स्वीकारने में समय लगेगा कि हमारी प्रिय गायिका अब केवल स्वर के जरिये ही हमारे बीच में मौजूद है।
लता मंगेशकर अपने पीछे सभी के लिए अनमोल खज़ाना छोड़ गई है। उनके गाए गाने वर्षों तक गूंजते रहेंगे। जब सूरज-चांद रहेगा दुनिया में हर सेकंड लता की आवाज कहीं ना कहीं कोई न कोई सुन ही रहा होगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि लता की मधुर आवाज दुनिया भर में फैल रही कड़वाहट को कम करेगी।