लगान और गदर को 20 साल: 2 ब्लॉकबस्टर फिल्मों ने 1 ही दिन रिलीज हो बनाया था इतिहास
15 जून 2001 हिंदी फिल्म इतिहास के लिए विशेष दिन साबित हुआ। इस दिन सनी देओल की फिल्म गदर एक प्रेम कथा और आमिर खान की फिल्म लगान एक साथ रिलीज हुई। बड़ी फिल्मों का एक ही दिन रिलीज होना बड़ी बात नहीं है, कमाल की बात यह है कि ये दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बेहद सफल साबित हुईं। साल में 52 शुक्रवार होते हैं और सैकड़ों फिल्में रिलीज होती हैं। इनमें से उंगलियों पर गिनने लायक फिल्में सफल होती हैं। एक ही दिन दो ब्लॉकबस्टर फिल्मों का रिलीज होना जैकपॉट लगने के समान है।
रिलीज के पहले किसी ने भी नहीं सोचा था कि ये दोनों पीरियड ड्रामा इतनी पसंद की जाएगी क्योंकि रिलीज के पहले दोनों ही फिल्मों को सामान्य हो माना गया था। लगान को आशुतोष गोवारीकर ने निर्देशित किया था और इसमें आमिर को छोड़ कोई भी नामी सितारा नहीं था। गदर को अनिल शर्मा ने निर्देशित किया था। सनी के अलावा अमरीश पुरी को ही लोग पहचानते थे। 15 जून 2021 को दोनों फिल्मों को रिलीज हुए 20 साल पूरे हो गए। आइए चर्चा करते हैं इन फिल्मों की 5 प्रमुख बातों की।
गदर : एक प्रेम कथा
1) यदि टिकट बिकने को सफलता का पैमाना माना जाए तो गदर का नाम टॉप 3 हिंदी मूवी में आता है।
2) गदर ने तब 133 करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन किया था। आज के दौर के हिसाब से ये कलेक्शन लगभग 600 करोड़ का होता है।
3) गदर में काम करने से कई टॉप हीरोइनों ने मना कर दिया था। आखिरकार निर्देशक अनिल शर्मा ने 400 लड़कियों का ऑडिशन किया और अमीषा पटेल को चुना।
4) सनी देओल का हैंडपंप उखाड़ने का सीन हिंदी फिल्म इतिहास के सर्वाधिक लोकप्रिय दृश्यों में से एक है।
5) हम आपके हैं कौन का रिकॉर्ड तोड़ने वाली गदर एक प्रेम कथा सनी देओल के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म है।
लगान
1) आमिर खान ने लगान में काम करने से मना कर दिया। फिल्म शाहरुख खान को ऑफर हुई, लेकिन उन्होंने भी हां नहीं किया। आखिरकार महीनों बाद आमिर खान यह फिल्म करने के लिए राजी हुए।
2) क्रिकेट इस फिल्म का सरप्राइज एलिमेंट था और फिल्म के रिलीज होने तक मेकर्स ने इस बात की भनक नहीं लगने दी कि फिल्म में एक क्रिकेट मैच भी है।
3) आमिर की हीरोइन का रोल ग्रेसी सिंह ने अदा किया था। यह रोल रानी मुखर्जी, नंदिता दास, शमिता शेट्टी, सोनाली बेन्द्रे और अमीषा पटेल को ऑफर हुआ था।
4) वर्ल्ड वाइड रिलीज के पहले आमिर खान ने भुज के स्थानीय लोगों को यह फिल्म दिखाई क्योंकि शूटिंग के दौरान उन्होंने वादा किया था।
5) मदर इंडिया (1957) और सलाम बाम्बे (1988) के बाद यह तीसरी ऐसी भारतीय फिल्म बनी जो ऑस्कर अवॉर्ड्स में बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी में नॉमिनेट हुई।