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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 25 सितम्बर 2024 (11:47 IST)

25 सितंबर: भाजपा के पितृपुरुष पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती, जानें 5 अनसुनी बातें

महान भारतीय विचारक तथा राजनेता थे पं. दीनदयाल उपाध्याय

25 सितंबर: भाजपा के पितृपुरुष पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती, जानें 5 अनसुनी बातें - pandit deen dayal upadhyay jayanti 2024
Highlights 
 
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म कब हुआ था।
पं. दीनदयाल उपाध्याय के बारे में जानें।
दीनदयाल उपाध्याय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में जानें।
 
1. Deen Dayal Upadhyay : देश के राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज यानि 25 सितंबर, दिन बुधवार को जयंती मनाई जा रही है। आपको बता दें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के दिन अंत्योदय दिवस मनाया जाता है, जो उन्हें समर्पित दिन है। जिसका उद्देश्य उनके विचारों से समाज को जागरूक करने हेतु अंत्योदय दिवस मनाया जाता है। उन्हें भाजपा के पितृपुरुष के रूप में जाना जाता है। 
 
2. दीनदयाल जी का जन्म सन् 1916 में 25 सितंबर को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था। उनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर तथा माता रामप्यारी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। उनके बचपन में ही एक ज्योतिषी ने जन्मकुंडली देख कर यह भविष्यवाणी कर दी थी कि यह बालक आगे चलकर एक महान विद्वान, विचारक, राजनेता और जनता की निस्वार्थ सेवा करने वाला होगा। दीनदयाल जी तीन वर्ष की उम्र से भी छोटे ही थे और उनके पिता का देहांत हो गया तथा उनके सात वर्ष की उम्र में मां रामप्यारी का निधन हो गया था।
 
3. दीनदयाल जी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आएं और आजीवन संघ के प्रचारक रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान साप्ताहिक समाचार पत्र ‘पांचजन्य’ और दैनिक समाचार पत्र ‘स्वदेश’ शुरू किया था। 21 अक्टूबर 1951 को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना हुई। तथा इसका प्रथम अधिवेशन 1952 में कानपुर में हुआ और दीनदयाल उपाध्याय इस दल के महामंत्री बने तथा 1967 तक वे इस पद पर बने रहे।
 
4. अपनी परंपराओं और जड़ों से जुड़े रहने के बावजूद उन्होंने हमेशा समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी नवीन विचारों का सदैव स्वागत किया। उन्होंने शक्तिशाली और संतुलित रूप में विकसित राष्ट्र की कल्पना की थी। वे मात्र राजनेता नहीं थे, वे लेखक, विचारक और उच्च कोटि के चिंतक भी थे। उन्होंने अंत्योदय का नारा भी दिया था और उनका कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है।
 
5. सन् 1967 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय कालीकट अधिवेशन में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए और 10/ 11 फरवरी 1968 को रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई थी, उस समय उन्हें भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने मात्र 43 दिन ही हुए थे। उनका कहना था कि हमें सही व्यक्ति को वोट देना चाहिए न की उसके बटुए को, पार्टी को वोट दे किसी व्यक्ति को भी नहीं, किसी पार्टी को वोट न दे बल्कि उसके सिद्धांतों को वोट देना चाहिए। वे कहते थे 'धर्म' के लिए अंग्रेजी शब्द 'रिलीजन' सही शब्द नहीं है।

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