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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 4 सितम्बर 2024 (14:28 IST)

05 सितंबर: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती, जानें जीवन परिचय

05 सितंबर: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती, जानें जीवन परिचय - Sarvepalli Radhakrishnan Jayanti 2024
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan
 
Highlights 
 
* डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती। 
* डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय।
* 05 सितंबर, शिक्षक दिवस पर पढ़ें डॉ. राधाकृष्णन के बारे में। 
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan : हर साल सभी भारतवासियों के लिए 05 सितंबर का दिन बहुत महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षक थे, जिन्होंने अपने जीवन के चालीस वर्षों तक पढ़ाने का कार्य किया। वे देश के पहले उप-राष्ट्रपति और स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति रहे थे। उन्होंने सन् 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वे कहते थे- देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वालों को ही शिक्षक होना चाहिए।
 
डॉ. राधाकृष्णन का जन्‍म एक गरीब परिवार में हुआ था, जहां उनके परिवार को केले के पत्‍तों पर भोजन करना पड़ता था। कहा जाता है कि एक बार जब उनके पास केले के पत्‍तों को खरीदने के पैसे नहीं थे, तब उन्‍होंने जमीन को साफ किया और उस पर ही भोजन कर लिया। आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होने के बाद भी उनकी पढ़ाई-लिखाई में उनकी बेहद रुचि थी।

उन्होंने मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही बाइबिल और विवेकानंद के दर्शन का अध्ययन कर लिया था। उन्होंने राजनीति में आने से पहले अपने जीवन के 40 वर्ष शिक्षा अध्यापन को दिए थे। अत: सन् 1962 में पहली बार 05 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया गया था, तभी से आज तक निरंतर हम इस दिन को टीचर्स डे या शिक्षक दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं।
 
राधाकृष्णन का मानना था कि बिना शिक्षा के इंसान कभी भी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता, इसलिए इंसान के जीवन में एक शिक्षक होना बहुत जरूरी है। यदि शिक्षक ठीक है तो वो अपने शिष्य को कभी फेल नहीं होने देगा, वो उसको हमेशा जीवन की प्रगति के पथ पर ले जाएगा। इसी कारण विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के महत्व के लिए वे जाने जाते हैं। वे एक भारतीय संस्कृति के ज्ञानी, दार्शनिक और वक्ता और आदर्श शिक्षक थे। 
 
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कई किताबें भी लिखीं हैं, जिनमें 'धर्म और समाज, भारत और विश्व, गौतम बुद्ध: जीवन और दर्शन' उनकी प्रमुख किताबें हैं।  
 
दुनिया भर के सौ से अधिक देशों में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यूनेस्‍को ने आधिकारिक रूप से 1994 में 'शिक्षक दिवस' मनाने के लिए 05 सितंबर का दिन चुना, क्योंकि इसी दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है। इसलिए इसे अब 100 से ज्‍यादा देशों में यह दिन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। कुछ देशों में इस दिन अवकाश रहता हैं।
 
आपको बता दें कि 05 सितंबर 1888 को उत्तर-पश्चिम में स्थित एक छोटे से कस्बे तिरूतनी में जन्मे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए भी शिक्षा को ही कारगर मानते थे। वे कहते थे शिक्षक का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही नहीं बल्कि सामाजिक परिस्थितियों से छात्रों को परिचित कराना तथा उन्हें सही मार्ग दिखाना भी होता है और राधाकृष्णन समाज के ऐसे ही शिल्पकार थे, जो बिना किसी मोह के समाज को तराशने का कार्य किया करते थे। 
 
महान दार्शनिक, शिक्षाविद और लेखक के रूप में देश का सर्वोच्च अलंकरण 'भारत रत्न' प्राप्त करने वाले डॉ. राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल, 1975 को लंबी बीमारी के बाद हुआ था। वे शिक्षा को मानव व समाज का सबसे बड़ा आधार मानते थे। आज भी शिक्षा के क्षेत्र में उनके कार्यों की वजह से ही उन्हें एक आदर्श शिक्षक के रूप में याद किया जाता है। शैक्षिक जगत में उनका योगदान अविस्मरणीय व अतुलनीय रहा है। 
 
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