Teachers day 2023 : शिक्षा और शिक्षा की व्यवस्था यानी एजुकेशन सिस्टम ही हमें सभ्य या असभ्य बनाते हैं। कुछ ऐसी शिक्षण संस्थान हैं जहां पर बच्चों को कटट्टरपंथ की शिक्षा देकर उन्हें युद्ध की आग में धकेलते हैं तो कुछ ऐसे शिक्षण संस्थान हैं जो वैज्ञानिक सोच को निर्मित करके एक सभ्य समाज का निर्माण करते हैं। शिक्षा का सही होना जरूरी है तभी एक राष्ट्र प्रगति के रास्ते पर अग्रसर होकर अग्रणी हो पाता है। देश और दुनिया में शिक्षा के कई तंत्र प्रचलन में है। कुछ देशों में आइडियोलॉजी पर आधारित शिक्षा प्राणाली होती है और कुछ देशों में साइंस और टेक्नोलॉजी बेस्ड शिक्षा होती है। आओ जानते हैं कि दुनिया के टॉप देश जहां के एजुकेशन सिस्टम की सराहना होती है।
1. फिनलैंड : फिनलैंड के एजुकेशन सिस्टम को दुनिया का सबसे बेहतर सिस्टम माना जाता है। यह सबसे नवीन, यूनिक और प्रेक्टिकल बेस्ट एजुकेशनल सिस्टम है। यहां स्कूली शिक्षा में किसी भी प्रकार का मूल्यांकन नहीं होता है। प्राइमर स्कूल में वोकशनल ट्रेनिंग और प्रेक्टिकल पर जोर दिया जाता है। हाई स्कूल में हर स्टूडेंट को व्यावहारिक फाइनेंशियल कौशल सिखाते हैं। यहां सिर्फ एक स्टैंडर्डाइज टेस्ट होता है और वह भी केवल हाई स्कूल के अंतिम सत्र के अंत में। रैंकिंग का कोई सिस्टम नहीं है। यहां टीचर-स्टूडेंट अनुपात कम रखा जाता है ताकि हर टीचर, हर छात्र को सही तरीके से जान सके।
2. जापान : जापान में प्राइमली स्कूल में एग्जाम नहीं होते हैं। यहां पर बच्चों की सीखने की क्षमता के आधार पर अलग करने से बचते हैं। सभी को समान समझकर सभी पर बराबर का फोकस रखते हैं। वे मानते हैं कि एक छात्र को दूसरे छात्र की तुलना में कमतर आंकना उस छात्र के मन पर बुरा असर डालकर उसे निराश कर सकते हैं। इसीलिए जापान में हाई स्कूल में भी नामांकन बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता है। वहां पर तकनीक और विज्ञान की शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया जाता है।
3. साउथ कोरिया : उत्तर कोरिया तो एक वामपंथी विचारधारा का देश है परंतु साउथ कोरिया ने बदलते वक्त में अपनी शिक्षा प्रणाली को बदलकर तकनीक पर आधारित बनाया और साथ ही इस देश ने पिछले कुछ दशकों में साक्षरता के मामले में कई देशों को पछाड़कर टॉप टेन में जगह बनाई है। कोरिया में एक ऐसी समान शिक्षा प्राणाली है जो प्रत्येक बच्चों को प्राथमिक शिक्षा तक पहुंचाने की जिम्मेदारी स्वयं ही लेता है। इसके लिए परेंट्स को पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं होती है। कोरियाई लोगों ने अपनी शिक्षा में तकनीक और संस्कृति का बेहतर तालमेल बैठा रखा है।
3. सिंगापुर : दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक सिंगापुर आज कई मामलों में दुनिया से बहुत आगे हैं तो इसका कारण उसकी शिक्षा प्राणाली भी है। सिंगापुर प्रतिक्रिया की प्रणाली पर निर्भर करता है और यहां पर शिक्षक एक छात्र के समझ के स्तर के आधार पर सीखने की निगरानी करते हैं। यहां परीक्षा प्राणाली जरूर है परंतु इसके लिए छात्रों को अगल से तैयारी कराई जाती है। इसने एक ऐसा एजुकेशन सिस्टम विकसित किया है जो केंद्रीकृत, एकीकृत और अच्छी तरह से वित्त पोषित है।
4. स्विट्जरलैंड : यहां के कानून के हिसाब से सभी बच्चों का एजुकेशन जरूरी है। वे सभी बच्चे जो कानूनी रूप से यहां के निवासी नहीं है उन्हें भी स्कूल जाना अनिवार्य है। इसे राजा वित्त पोषित किया जाता है। यहां बस किताबों को स्कूल ट्रीप पर ही परेंट्स को खर्च करना होता है। यहां के स्कूल की खासीयत यह है कि यूनिफार्म नहीं होता है।
6. हॉगकॉग : यहां की शिक्षा प्रणाली आजीवन सीखने के महत्व पर जोर देती है। यहां 12 साल तक मुफ्त शिक्षा मिलती है। यहां पर सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली का प्रचलन भी नहीं है। यहां पर सीखने और सिखाने पर जोर दिया जाता है न कि परीक्षा पर।
दुनिया के टॉप एजुकेशन सिस्टम है इन देशों में:-
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यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
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यूनाइटेड किंगडम
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जर्मनी
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कनाडा
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फ्रांस
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स्विट्ज़रलैंड
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ऑस्ट्रेलिया
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जापान
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स्वीडन
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नीदरलैंड
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डेनमार्क
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फिनलैंड
क्या फैक्टर्स होते हैं एजुकेशन सिस्टम को बेस्ट बनाने के लिए:
भेदभाव रहित साइंस, इंजीनियरिंग, इकनोमिक, फाइनेंशियल, इंस्टीट्यूशनल और रेगुलर फैक्टर्स के आधार पर छात्रों को शिक्षा देना और करियर के अवसर उपलब्ध कराना। साथ ही मीट्रिक एजुकेशन, हेल्थ, नौकरी के अवसर, फिजिकल सिक्योरिटी, इकनोमिक सिक्योरिटी आदि जैसे फैक्टर्स पर विचार करते हुए किसी देश के जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करना।