mirza ghalib jayanti 2024: आज, 27 दिसंबर को मिर्जा गालिब यानि (उनका पूरा नाम) मिर्जा असदुल्लाह बेग खान की जयंती मनाई जा रही है। मिर्जा गालिब को वर्तमान युग के सबसे महान और मशहूर उर्दू शायर के रूप में जाना जाता है। वे एक उर्दू एवं फारसी भाषा के महान शायर थे। वे एक बेहतरीन कवि तथा पत्र लेखक भी थे। उनकी नज्में, गजलें और शेरों-शायरी आज भी मीडिया प्लेटफॉर्म पर जैसे- सोशल मीडिया, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि पर छाए रहते हैं।
Highlights
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मिर्ज़ा ग़ालिब की दर्द भरी शायरी।
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गालिब का असली नाम उर्दू में क्या है?
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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी पढ़ें।
आइए यहां जानते हैं उनके 10 लोकप्रिय शेर....
1. फक्कड मिजाजी का शेर
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन
2. उम्मीद का शेर
मेहरबान होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक्त
में गया वक्त नहीं हूँ की फिर आ भी न सकूं
3. जिंदगी का शेर
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
4. इंतजार का शेर
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक।
5. ख्वाहिश का शेर
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
6. मुहब्बत का शेर
मुहब्बत में नहीं है फर्क और जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते हैं, जिस काफिर पे दम निकले।
7. दुनिया के सर्कस का शेर
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे
8. मुहब्बत का शेर
उन के देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
9. जन्नत की हकीकत
हम को मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
10. लहू क्या है?
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
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