फ्रांस की सरकार ने दो सौ साल पुराने उस प्रतिबंध को खत्म कर दिया है जिसके मुताबिक वहां महिलाओं को पैंट पहनने की मनाही थी।
महिला अधिकार मंत्री नजत वालाउद बेल्कासेन ने कहा कि ये प्रतिबंध फ्रांस के अधुनिक मूल्यों और कानूनों के अनुरूप नहीं है।
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उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में 17 नवंबर 1800 को लागू ये कानून व्यवहारिक जीवन में पहले ही निष्प्रभावी हो चुका है।
लेकिन अब फ्रांसीसी सरकार ने इस कानून को औपचारिक तौर पर खत्म कर दिया है। पिछली संसद में इसे लेकर सवाल उठाए गए थे।
क्या था कानून? इस कानून के अनुसार अगर महिलाएं पुरुषों की तरह कपड़े और पैंट पहनना चाहती हैं तो इसके लिए उन्हें स्थानीय पुलिस की अनुमति लेनी होगी।
हालांकि दशकों से इस कानून पर कोई अमल नहीं हो रहा था, लेकिन औपचारिक तौर पर ये कानून की किताबों में मौजूद था।
वालाउद बेल्कासेन बताती हैं कि मूल रूप से इस कानून का मकसद महिलाओं को कुछ निश्चित नौकरियां करने से
पुरुषों की तरह कपड़े पहनने से रोकने के इस आदेश का मकसद महिलाओं को कुछ दफ्तरों या पेशों में जाने से रोकना था।
नजत वालाउद बेल्कासेन, महिला अधिकार मंत्री
रोकना था। वो कहती हैं, “पुरुषों की तरह कपड़े पहनने से रोकने के इस आदेश का मकसद महिलाओं को कुछ दफ्तरों या पेशों में जाने से रोकना था।”
इस कानून में 1892 और 1909 में बदलाव किया गया था और महिलाओं को साइकल का हैंडल या घोड़े की लगाम संभालने की स्थिति में पैंट पहनने की अनुमति दी गई।
फ्रांसीसी क्रांति के दौरान पैरिस की महिलाओं ने पैंट पहनने का अधिकार मांगा था और कामकाजी क्रांतिकारी महिलाओं पैंट पहनने की वजह से खासी चर्चा में रहती थीं।