बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद नई अंतरिम सरकार अस्तित्व में आ चुकी है। आरक्षण के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन 5 अगस्त को शेख हसीना के इस्तीफे के बाद खत्म हुए थे। विरोध प्रदर्शनों में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी जबकि कई लोग घायल हुए थे। वहीं शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय और उनके मंदिरों पर हमले की खबरें सामने आई थीं।
इन हमलों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर अंतरिम सरकार जिस तरह से बयान देते दिख रही है उससे ऐसा लगता है कि वो अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर गंभीर है।
सोमवार को अंतरिम सरकार में गृह मामलों के सलाहकार सखावत हुसैन ने अल्पसंख्यकों से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगी थी। मंगलवार को बांग्लादेश के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद युनूस ढाका के विख्यात ढाकेश्वरी मंदिर पहुँचे।
अंतरिम सरकार के प्रमुख पहुंचे मंदिर
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार हैं। एक तरह से वो इस सरकार के प्रमुख हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के साथ एकजुटता दिखाते हुए वो मंगलवार को देश के एक प्रमुख हिंदू मंदिर ढाकेश्वरी मंदिर गए।
ढाकेश्वरी मंदिर में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "जब मैं हवाई अड्डे पर उतरा तो मैंने कहा था हम एक ऐसा बांग्लादेश बनाना चाहते हैं जो एक परिवार हो। यहां परिवारों के बीच भेद करने का सवाल ही नहीं उठता। हम बांग्लादेश के लोग हैं, बांग्लादेशी लोग हैं।
मोहम्मद युनूस ने कहा, ''हमारी सभी समस्याओं की जड़ ये है कि हमने जो भी संस्थागत व्यवस्थाएं की हैं, वे सड़ चुकी हैं। अगर न्याय होगा तो किसे न्याय नहीं मिलेगा? हमें लोकतांत्रिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी स्थापित करनी होगी। हमें मानवाधिकारों को स्थापित करना है। यही हमारा मुख्य लक्ष्य है।"
उन्होंने बांग्लादेश के मौजूदा हालात का हवाला देकर लोगों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस समय हर किसी की मदद की ज़रूरत है।
मोहम्मद यूनुस ने कहा, ''आप धैर्य बनाए हुए हैं। इससे हमें मदद मिल रही है। इस बात पर बाद में विचार कीजिएगा कि मैंने क्या किया और क्या नहीं। अगर नहीं किया तो बाद में दोष दीजिएगा। अभी नहीं।''
क्या कह रहा है हिंदू समुदाय
मोहम्मद यूनुस के मंदिर से लौटने के बाद युवा एकता परिषद, ढाका के जनरल सेक्रेटरी विष्णु सूर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि अंतरिम सरकार ने भरोसा दिलाया है कि वो हमारे साथ है।
विष्णु सूर ने कहा, “देखिए ये तो आप लोग जानते हैं कि ढाकेश्वरी मंदिर देश का राष्ट्रीय मंदिर है। उन्होंने हमें ये विश्वास दिलाया है कि सारे देश में जो हिंसा हुई उसकी सच्चाई खोदकर निकाली जाएगी। इसके साथ-साथ उन्होंने भरोसा दिया है कि अंतरिम सरकार हमारे साथ है। हम जब चाहें उन्हें बुला सकते हैं। जो कुछ बांग्लादेश में हुआ है उस पर यक़ीन नहीं होता।”
“1971 के बाद से ही जब भी सत्ता परिवर्तन होता है, सबसे पहले हम पर ही हमला होता है। सभी राजनीतिक दल हमारे ऊपर ही अपना ग़ुस्सा उतारते हैं। समझ नहीं आता कि हमारे साथ ऐसा क्यों होता है। सब दल कहते हैं कि हम आपके साथ हैं लेकिन आज तक हमारे ख़िलाफ़ हुए किसी भी अपराध पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया है।”
उन्होंने कहा, “मंदिर जलता है, गिरजा जलता है, हिंदुओं की दुकानें जलती हैं, लड़कियां अगवा होती हैं।।।लेकिन इन सब अपराधों के लिए किसी को सज़ा नहीं होती। हमें सज़ा मत दीजिए, हम सब बांग्लादेशी हैं ये देश हमारा है।”
बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिस्चियन यूनिटी काउंसिल और बांग्लादेश पूजा उद्यपन परिषद का दावा है कि शेख़ हसीना सरकार के गिरने के बाद से 52 ज़िलों में अल्पसंख्यकों पर हमले की 205 घटनाएं हुई हैं।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय परिषद के महासचिव और मानवाधिकार कार्यकर्ता राना दासगुप्ता ने कहा, “हमारे संगठन ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को एक आवेदन दिया है। इसकी एक-एक प्रति दूसरे सलाहकारों को भी दी गई है। मीडिया को भी हम इस आवेदन की प्रति देना चाहते हैं।”
“हम चाहते हैं कि हमारी जो बैठक हुई है, उसमें रखी बातों को निष्पक्ष तरीक़े से प्रकाशित किया जाए ताकि लोगों की आशा और आस्था दोबारा लौट सके।
एक अन्य नेता ने कहा, “अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार ने एक अहम बात की है। उन्होंने शुरू में कहा था कि हम ऐसी व्यवस्था कायम कर देना चाहते हैं जिसमें अब कभी भी मंदिर के बाहर पहरा देने की नौबत न आए।”
“हमें उम्मीद है कि वो जो बातें कह रहे हैं वो ठोस साबित हों। उन्होंने कहा कि हमें संविधान की मूल चेतना में वापस लौट आना होगा। ये बिल्कुल ठीक है। हमने कहा कि हमें विचारहीनता की संस्कृति से निकल आना होगा। उन्होंने हमारी बातों पर सहमति जताई।
अल्पसंख्यकों से मांगी माफ़ी
वहीं अंतरिम सरकार में गृह मामलों के सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल (रिटायर्ड) एम सख़ावत हुसैन ने अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में नाकामी पर माफ़ी मांगी है। उन्होंने कहा, ''अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देना बहुसंख्यकों की ज़िम्मेदारी है। लेकिन वो उन्हें सुरक्षा देने में नाकाम रहे।”
“आप मस्जिद में जाकर पांच बार नमाज़ पढ़ते हैं लेकिन अल्पसंख्यकों को सुरक्षा नहीं दे पाए। ये हमारे धर्म में है। अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देना आपकी ज़िम्मेदारी है। आप नाकाम रहे। इसका जवाब देना होगा।''
उन्होंने कहा, ''मैं अपने अल्पसंख्यक भाइयों से माफ़ी चाहता हूं। भाई हमें माफ़ करें। अभी भी हमारे यहां हालात अस्थिर हैं। हम हर जगह आपको सुरक्षा नहीं दे पाए। कुछ जगहों पर सिविल सोसाइटी के लोगों ने अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दी है। पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स की हालत अभी भी अच्छी नहीं है। लेकिन हालात सुधरेंगे।''
जन्माष्टमी और दुर्गा पूजा में पूरी सुरक्षा का आश्वासन
सख़ावत हुसैन ने जन्माष्टमी और दुर्गा पूजा के लिए सभी तरह के सुरक्षा इंतज़ाम करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने दुर्गा पूजा की छुट्टी तीन दिन तक बढ़ाने का भी सुझाव दिया।
उन्होंने कहा,''पुलिस, अंसार, बीजीबी पूजा में जितनी सुरक्षा चाहेंगे, मुहैया कराएंगे। इस मामले में ज़िला प्रशासक ज़िम्मेदारी लेंगे। हमारा काम हर किसी की रक्षा करना है, चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो। मुझे उम्मीद है कि वे मेरी बातों से आश्वस्त होंगे।”
उन्होंने यह भी कहा, ''हम नहीं चाहते कि कोई तीसरा पक्ष देश को बदनाम करे। कई लोग कहते हैं कि वे वहां (भारत) जाएंगे। लेकिन कोई भी दोयम दर्जे का नागरिक नहीं बनना चाहता।”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित