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Written By BBC Hindi
Last Modified: मंगलवार, 27 जून 2023 (11:46 IST)

बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवानों का आंदोलन क्या कमजोर पड़ गया?

बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवानों का आंदोलन क्या कमजोर पड़ गया? - wrestlers protest against brijbhushan sharan singh
सुशीला सिंह, बीबीसी संवाददाता
कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न मामले में आंदोलन कर रहे पहलवानों का कहना है कि अब वे अदालत में अपनी लड़ाई लड़ेगें।
 
साल 2016 के रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली पहलवान साक्षी मलिक ने ट्वीट कर कहा है, ''इस केस में जब तक न्याय नहीं मिल जाता पहलवानों की क़ानूनी लड़ाई सड़क की जगह कोर्ट में जारी रहेगी।''
 
पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया की मांग थी कि बृजभूषण सिंह को महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मामले में गिरफ़्तार किया जाए। हालाँकि बृजभूषण ख़ुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते रहे हैं, वहीं ये भी कह चुके हैं कि अगर आरोप साबित हुए तो वो फांसी लगा लेंगे।
 
साक्षी मलिक का कहना था कि दिल्ली पुलिस ने जाँच पूरी करने के बाद 15 जून को अदालत में चार्ज़शीट पेश कर दी है। उनका कहना है कि इस मामले में पहलवानों की लड़ाई सड़क की जगह कोर्ट में जारी रहेगी जब तक न्याय नहीं मिल जाता।
 
जब इस बारे में बृजभूषण सिंह शरण से समाचार एजेंसी एएनआई ने सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, ''इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता। ये मामला अदालत में विचाराधीन है। अदालत अपना काम करेगी।''
 
मामला कोर्ट में दायर
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है। कोर्ट में दायर की गई चार्जशीट में बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ तीन धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। इस चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354-ए और 354-डी के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
 
क़ानूनी विशेषज्ञों के अनुसार ये सभी ऐसे अपराध हैं जिनमें पुलिस अभियुक्त को बिना वारंट के गिरफ़्तार कर सकती है लेकिन इन सभी मामलों में अभियुक्त को ज़मानत का अधिकार है।
 
वहीं दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ पॉक्सो एक्ट का मामला रद्द करने की भी सिफ़ारिश की है। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि जाँच में बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ पॉक्सो के मामले में कोई सबूत नहीं मिले हैं।
 
क्या आंदोलन कमज़ोर हो चला है?
दो महिला पहलवानों साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने ट्वीट कर कहा है कि वो कुछ समय के लिए सोशल मीडिया से ब्रेक ले रही हैं। इससे पहले ये भी ख़बर आई थी कि विनेश फोगाट बुडापेस्ट में होने वाली रैंकिंग सिरीज़ में भाग लेने के लिए तैयारी कर रही हैं।
 
लेकिन ताज़ा ट्वीट के सामने आने के बाद ये चर्चा तेज़ हो रही है कि क्या अब पहलवानों का आंदोलन कमज़ोर हो चला है। जहाँ एक पक्ष ये कह रहा है कि कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करना सही निर्णय है, तो दूसरा पक्ष आंदोलन ख़त्म होने की बात कहता है।
 
वरिष्ठ पत्रकार नीरू भाटिया इन पहलवानों का पक्ष लेते हुए कहती हैं कि जब मामला कोर्ट पहुँच चुका है, तो वहीं लड़ाई लड़ना ही सही फ़ैसला है। प्रदर्शन करने से कुछ हासिल नहीं हो पाएगा। वे कहती हैं कि इन पहलवान को इस बात का आत्मविश्वास है कि वो जीतेंगे और उनके पास इस मामले से जुड़े सबूत भी है।
 
नीरू भाटिया के अनुसार, ''ये लड़ाई आसान नहीं है क्योंकि एक संस्था, बाहुबली और सांसद से टक्कर लेना या चुनौती देना आसान नहीं है। और ये तीन लोग ही सामने आए हैं और इनका जो लोग समर्थन कर रहे हैं वो पीछे से कर रहे हैं। अन्य पहलवान भी इनके साथ नहीं खड़े दिखाई देते।''
 
वे कहती हैं कि अगर ये पहलवान प्रदर्शन नहीं करते तो सरकार इस मामले पर ध्यान भी नहीं देती और जिस तरह से पहलवान डटे रहे तो कहा जा सकता कि उनकी कोशिशें रंग लाई हैं और अब कोर्ट में सुनवाई होगी।
 
लेकिन दि हिंदू के डिप्टी एडीटर राकेश राव के अनुसार अब पहलवानों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। वे कहते हैं, ''जनवरी में आंदोलन शुरू हुआ, फिर वापस लौटे।इनको लगा था जैसे ही जंतर-मंतर पर वे बैठेंगे बृजभूषण की गिरफ़्तारी हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि क़ानून अपना रास्ता लेता है।''
 
प्रदीप मैगज़ीन कहते हैं कि जिस तरह से इस मामले से निपटा गया, वो ये दर्शाता है कि उसका पूरी तरह से राजनीतिकरण हो गया। उनके अनुसार,'' यहाँ ये देखना चाहिए कि ये एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे थे और ये समझना होगा कि ये आंदोलन सरकार के ख़िलाफ़ नहीं था।''
 
वे कहते हैं- पहलवानों ने इस मामले में खेल मंत्री, गृह मंत्री से मुलाक़ात की, वहीं अलग-अलग तबकों के लोग भी उनके समर्थन में आए लेकिन साफ़ दिखाई देता है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए दबाव बनाया गया है और अब इस मामले की सुनवाई कोर्ट में होगी।''
 
कैसे शरू हुए मामला?
  • 18 जनवरी को देश के प्रमुख पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचकर आवाज़ उठाई।
  • महिला पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए।
  • इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय निरीक्षण समिति बनाई गई।
  • महिला पहलवानों ने दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की लेकिन उन्होंने आरोप लगाया पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज नहीं की।
  • जाँच कमेटी की रिपोर्ट से असंतुष्ट पहलवान दोबारा जंतर मंतर पर धरना पर बैठ गए।
  • इन पहलवानों को खाप, विपक्षी पार्टी के नेताओं, किसान संगठनों , आम लोगों समेत कुछ खिलाड़ियों ने ट्वीट के ज़रिए समर्थन किया।
  • इसके बाद विनेश फोगाट समेत 6 अन्य महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ एफ़आईआर की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।
  • दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ दो एफ़आईआर दर्ज की, जिसमें से एक एफ़आईआर पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुई
  • बाद में नाबालिग पहलवान के पिता ने बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न पर दिए बयान बदल लिए थे।
  • नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन भी पहलवानों ने महापंचायत करने की कोशिश की थी।
  • पहलवानों ने मेडल गंगा में बहाने की कोशशि की थी लेकिन किसान नेता नरेश टिकैत ने ऐसा न करने के लिए मना लिया था। साथ ही पहलवानों ने इंडिया गेट पर आमरण अनशन करने का भी फ़ैसला लिया था।
  • तीनों पहलवानों की मुलाक़ात गृह मंत्री अमित शाह से हुई।
  • इसके बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने तीनों पहलवानों से मुलाक़ात की थी।
 
पहलवान और सरकार का पक्ष
इस मामले में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को आश्वासन दिया था कि इस मामले में 15 जून तक चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी। उन्होंने कुश्ती महासंघ का चुनाव कराने और यौन उत्पीड़न रोकने के लिए आंतरिक समिति बनाने पर भी सहमति जताई थी।
 
अनुराग ठाकुर के आश्वासन के बाद पहलवानों ने 15 जून तक अपने प्रदर्शनों पर रोक लगा दी थी। वहीं पहलवानों ने ये सुझाव भी दिया था कि कुश्ती महासंघ की आंतरिक शिकायत समिति या आईसीसी की अध्यक्षता एक महिला करे।
 
भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव 11 जुलाई को होने थे लेकिन गुवाहाटी उच्च न्यायलय ने इस पर रोक लगा दी है। इस मामले में असम रेसलिंग एसोसिएशन ने याचिका डाली थी और अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी।
 
जानकारों की राय में पहलवानों का अगली प्रतियोगिताओं की तैयारी शुरू करने का फ़ैसला सही है और उम्मीद है कि कोर्ट में ये मामला अन्य मामलों की तरह लंबित नहीं पड़ेगा।
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