जब वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की पहली बार यूक्रेन के राष्ट्रपति के तौर पर टीवी स्क्रीन पर दिखे, तब वो एक चर्चित कॉमेडी सिरीज़ में किरदार निभा रहे थे। लेकिन फिर जीवन ने कला की नकल की और वो अप्रैल 2019 में वास्तव में यूक्रेन के राष्ट्रपति बन गए। अब वो साढ़े चार करोड़ की आबादी वाले यूक्रेन के नेता हैं और रूस के आक्रमण का सामना कर रहे हैं।
सर्वेंट ऑफ़ द पीपुल सिरीज़ में उन्होंने इतिहास के एक शिक्षक की भूमिका निभाई थी जो क़िस्मत से देश का राष्ट्रपति बन जाता है। उस विनम्र शिक्षक का भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ दिया गया बयान ऑनलाइन वायरल हो गया था। ये एक ऐसी दिलचस्प कथा थी जिसने राजनीति से निराश यूक्रेन के लोगों में नई उम्मीद पैदा की थी।
वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की पूर्व में शांति और साफ़ राजनीति के वादे के साथ राजनीति में आए और अपनी पार्टी का नाम 'सर्वेंट ऑफ़ द पीपुल्स' रखा।
अब यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने इस राष्ट्रीय नेता को अंतरराष्ट्रीय संकट के केंद्र में ला दिया है। फिर से रूस के साथ शीत युद्ध की यादें ताज़ा हो गई हैं। 44 वर्षीय राष्ट्रपति के सामने अब अपने देश को सुरक्षित रखने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की चुनौती है।
नाटकीय ढंग से बने राष्ट्रपति
उन्होंने राष्ट्रपति बनने के लिए पारंपरिक रास्ता नहीं अपनाया। यूक्रेन के मध्य शहर किरीवयी रीह में यहूदी परिवार में पैदा हुए वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की ने कीव नेशनल इकोनॉमिक यूनिवर्सिटी से क़ानून की डिग्री हासिल की। लेकिन, वास्तव में वो सफल कॉमेडी के क्षेत्र में सफल हुए।
युवावस्था के दौरान वो रूसी टीवी पर कॉमेडी शो में नियमित तौर पर शामिल हुए। साल 2003 में उन्होंने एक टीवी प्रोडक्शन कंपनी बनाई जो उनकी कॉमेडी टीम केवार्ताल-95 के नाम पर थी। ये कामयाब रही।
उनकी कंपनी ने यूक्रेन के 1+1 नेटवर्क के लिए शो प्रोड्यूस किए। इस कंपनी के विवादित अरबपति मालिक इहोर कोलोमोइस्की ने बाद में राष्ट्रपति पद के लिए ज़ेलेंस्की की उम्मीदवारी का समर्थन किया।
हालांकि, साल 2010 के दशक में टीवी और फ़िल्मों में उनका करियर बढ़िया चल रहा था। साल 2009 में उन्होंने 'लव इन द बिग सिटी' और 2012 में 'ज़ेवेस्की बनाम नेपोलियन' फ़िल्में बनाईं।
सर्वेंट ऑफ़ द पीपुल
2014 यूक्रेन के लिए उथल-पुथल का साल था। कई महीनों चले प्रदर्शनों के बाद यूक्रेन के रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से हटा दिया गया। इसके बाद रूस ने क्राइमिया पर क़ब्ज़ा कर लिया और देश के पूर्वी हिस्से में अलगाववादी लड़ाकों का समर्थन किया। यहां अब भी लड़ाई चल रही है।
इन घटनाओं के एक साल बाद 'सर्वेंट ऑफ़ द पीपुल' धारावाहिक 1+1 नेटवर्क पर प्रदर्शित हुआ। इसमें वासीली गोलोबोरोडको का एक किरदार दिखाया गया जिसने एक इतिहास टीचर से देश के राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र तय किया। किरदार निभा रहे ज़ेलेंस्की ने असल ज़िंदगी में ये कारनामा कर दिखाया।
ज़ेलेंस्की ने अपने प्रतिद्वंदी राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको को चुनाव में हरा दिया। पोरोशेंको उन्हें अनुभवहीन प्रतिद्वंदी मान रहे थे, बाद में ये अनुभवहीनता ही ज़ेलेंस्की की ताक़त साबित हुई। ज़ेलेंस्की ने चुनावों में 73.2 प्रतिशत मत हासिल किए और 20 मई 2019 को उन्होंने यूक्रेन के छठे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
गृह युद्ध को ख़त्म करने की कोशिश
राष्ट्रपति बनने के बाद ज़ेलेंस्की ने 2014 से देश के पूर्व में जारी गृहयुद्ध को समाप्त करने का वादा पूरा करने की कोशिश की। इस युद्ध में 14 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
शुरुआत में उन्होंने समझौता करने का प्रयास किया। उन्होंने रूस से वार्ता की और क़ैदियों की अदला-बदली की। उन्होंने शांति समझौते की प्रक्रिया को लागू करने के लिए प्रयास भी किए। इसे मिंस्क समझौता भी कहा जाता है। हालांकि, ये कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं हो सके।
बाद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संघर्ष प्रभावित क्षेत्र में अलगाववादियों के नियंत्रण वाले इलाक़े में रह रहे लोगों को रूस का पासपोर्ट देने की घोषणा की। इससे यूक्रेन और रूस के रिश्तों में और भी कड़वाहट आ गई। जुलाई 2020 में एक संघर्ष विराम ज़रूर लागू हुआ, लेकिन छुट-पुट झड़पें जारी रहीं।
वहीं, ज़ेलेंस्की ने और मज़बूती से यूक्रेन के यूरोपीय संघ और सैन्य गठबंधन नेटो की सदस्यता हासिल करने की बात कहनी शुरू कर दी। इससे रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन नाराज़ हो गए। कई बार ज़ेलेंस्की अपनी बात को मज़बूती से कहने में संघर्ष करते भी नज़र आए। उनके आलोचकों ने अनुभवहीनता को इसकी वजह बताया।
पश्चिमी देश यूक्रेन को चेता रहे थे कि रूस कभी भी आक्रमण कर सकता है और ज़ेलेंस्की धैर्य रखे हुए थे। ज़ेलेंस्की ने कहा आठ साल के युद्ध के बाद ये कोई नई बात नहीं है।
उन्होंने कहा, "उनके उकसावे पर हमारे धैर्य का असर हो सकता है। जब हम उकसावे पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं और महान धैर्य से काम लेते हैं।"
उन्होंने 16 फ़रवरी को नेशनल यूनिटी डे का आयोजन किया और यूक्रेन के लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया। ज़ेलेंस्की फ़्रंटलाइन पर लड़ रहे सैनिकों से भी नियमित मुलाक़ातें करते रहे हैं।
जब बीबीसी ने उनसे सवाल किया था कि क्या वो रूस के दबाव में नेटो के साथ जुड़ने के प्रयास बंद कर देंगे तो उन्होंने कहा था, "एक राष्ट्रपति के रूप में मेरे लिए सबसे अहम ये है कि मैं अपने देश को ना गंवा दूं। हमें गारंटी चाहिए। ये सिर्फ़ चार अक्षर नहीं हैं, ये हमारी सुरक्षा की गारंटी है।"
अरबपति से संपर्क को लेकर आलोचना
ज़ेलेंस्की ने वादा किया था कि वो राजनीति से अरबपतियों के दबाव और प्रभाव को अलग कर देंगे। लेकिन इहोर कोलोमोइस्की के साथ उनके संबंधों की आलोचना भी हुई है। इस मीडिया टाइकून ने ज़ेलेंस्की के चुनावी अभियान का समर्थन भी किया था। हालांकि उन्होंने रइसों के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयास ज़रूर किए हैं।
उनकी सरकार ने देश के सबसे बड़े अमीरों को निशाना बनाया है। इनमें रूस समर्थक विपक्षी नेता विक्टर मेदवेदचुक भी शामिल हैं जिन्हें नज़रबंद कर लिया गया था। मेदवेदचुक पर राजद्रोह का आरोप भी लगाया गया था जिसे उन्होंने राजनीतिक साज़िश क़रार दिया था।
इसके बाद ज़ेलेंस्की एक क़ानून लेकर आए जिसमें रईसों को परिभाषित किया गया और उनके राजनीतिक दलों को चंदा देने पर रोक लगा दी गई।
हालांकि, कुछ आलोचकों ने उनके भ्रष्टाचार विरोधी क़दमों को कॉस्मेटिक बताते हुए उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को रिझाने की कोशिश बताया। बाइडेन का समर्थन पक्का करने के लिए ज़ेलेंस्की को कुछ असहज पल भी देखने पड़े।
जुलाई 2019 में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को कॉल किया और कुछ सहयोग मांगा। तत्कालीन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने बाइडन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में ज़ेलेंस्की का सहयोग मांगा था। बाइडन डेमोक्रेटिक की तरफ़ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे, जो आगे चलकर राष्ट्रपति बने।
इस जांच में सहयोग के बदले ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को वॉशिंगटन यात्रा और अमेरीका की सैन्य मदद का भरोसा दिया था। जब इस फ़ोन कॉल की जानकारी सार्वजनिक हुई तो ट्रंप पर ज़ेलेंस्की पर दबाव बनाकर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी को नुक़सान पहुंचाने के आरोप लगे।
ट्रंप ने ज़ोर देकर कहा कि उन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं किया है जबकि ज़ेलेंस्की ये कहते रहे कि सहयोग के बदले सहयोग की कोई बात नहीं हुई थी। डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति ट्रंप पर इसके लिए महाभियोग चलाया लेकिन राजनीतिक मुक़दमे में वो बच गए। ज़ेलेंस्की स्वयं भी स्कैंडल से अछूते नहीं रहे हैं।
पैंडोरा पेपर्स में नाम
अक्तूबर 2021 में पैंडोरा पेपर्स में उनका नाम आया। इस दस्तावेज़ लीक में दुनिया के अमीर और प्रभावशाली लोगों के छुपे हुए धन के बारे में जानकारियां थीं। पैंडोरा पेपर्स से पता चला कि ज़ेलेंस्की और उनके इर्द-गिर्द रहने वाले लोग विदेशों में फैली कंपनियों के नेटवर्क से जुड़े हैं और फ़ायदा उठा रहे हैं।
हालांकि, ज़ेलेंस्की ने सभी आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि ना ही वो ख़ुद और ना उनकी कंपनी केवार्ताल-95 से जुड़ा कोई व्यक्ति पैसे के हेर-फेर में लिप्त है।
चित्र सौजन्य : ट्विटर