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Last Updated : बुधवार, 7 दिसंबर 2022 (18:00 IST)

बीबीसी 100 वीमेन : बॉलीवुड में मेल-फीमेल एक्टर्स की फीस में भेदभाव पर प्रियंका चोपड़ा का बेबाक बयान

बीबीसी 100 वीमेन : बॉलीवुड में मेल-फीमेल एक्टर्स की फीस में भेदभाव पर प्रियंका चोपड़ा का बेबाक बयान - Priyanka Chopra on discrimination in the fees of male-female actors in Bollywood
भारतीय अभिनेत्री और प्रोड्यूसर प्रियंका चोपड़ा जोनस को इस साल बीबीसी 100 वीमेन की 2022 की सूची में शामिल किया गया है। बीबीसी संवाददाता योगिता लिमये ने प्रियंका चोपड़ा से खास बातचीत की है। इस दौरान प्रियंका ने बॉलीवुड में भुगतान को लेकर भेदभाव समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी है।
 
ग्लोबल स्टार प्रियंका चोपड़ा जोनस ने बीबीसी 100 वीमेन के लिए हुए साक्षात्कार में बताया कि उनके 22 साल के सिने-करियर में ऐसा पहली बार हुआ जब उन्हें उनके पुरुष को-स्टार के बराबर भुगतान किया गया।
 
प्रियंका ने यह बात अपने अप-कमिंग प्रोजेक्ट ‘सिटाडेल’ के संदर्भ में कही जो कि एक अमेरिकी-स्पाई सीरीज है।
 
वे भारत में एक बेहद कामयाब कलाकार रही हैं और उन्होंने 60 से अधिक बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है। करीब एक दशक पहले उन्होंने हॉलीवुड में कदम रखा और अब उनकी गिनती भारत के कुछ उन चुनिंदा कलाकारों में होती है जिन्होंने अमेरिकी मनोरंजन-इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई है।
 
उन्होंने आगे कहा कि मैं अपने आपको खुशनसीब समझती हूं। उन खुशनसीब लोगों में से जो अपने लिए खड़े हो पाए। मैंने नस्लवाद का सामना किया। लोगों ने मुझे न जाने क्या-क्या नाम दिए। बुरी-बुरी बातें कहीं, लेकिन दुनिया में इस बात पर लोगों को मार भी दिया जाता है। मुझे नहीं लगता कि मैं अब किसी सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लूंगी।
 
मैं 40 साल की हो गई हूं। मैं नहीं चाहती कि मुझे मेरे बॉडी टाइप के लिए जज किया जाए या मैं 60 सेकंड में कोई दिलचस्प सा जवाब दे पाऊंगी, जब पीछे से घड़ी की टिक-टिक चल रही होती है।
 
वे आगे कहती हैं कि मुझे लगता है कि सौंदर्य प्रतियोगिता काफी जटिल प्रक्रिया है और ये काफी सशक्त भी बना सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा होने के लिए उन्हें काफी बदलाव की जरूरत होगी।
 
उस समय ये काफी सशक्त बनाने वाली थी। छोटे शहर से आने वाली एक लड़की के लिए। ऐसा लगता था कि वाह, मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। पहले कैमरों का मुंह उस तरफ हुआ करता था और अब वो सभी मुझ पर आ टिके हैं।
 
वे कहती हैं कि मुझे काली बिल्ली कहा गया, डस्की कहा गया। डस्की का मतलब भी क्या होता है. मुझे लगता था कि मैं सांवली हूं। मुझे लगता था कि मैं उतनी खूबसूरत नहीं हूं। मुझे लगता था कि मुझे टैलेंटेड होने के बावजूद अपने साथ काम करने वाले उन कलाकारों की तुलना में ज़्यादा मेहनत करनी होगी, जिनकी त्वचा का रंग गोरा है। मुझे लगता था कि यही सही है क्योंकि उस समय ये सब इतना सब कुछ सामान्य हुआ करता था।’
 
मुझे कभी भी समान वेतन (पे पेरिटी) नहीं मिला। मैंने करीब 60 से ज़्यादा फिल्में की हैं, लेकिन मुझे कभी भी पुरुष कलाकारों के जितना पैसा नहीं मिला। पुरुष कलाकार की तुलना में मुझे दस फीसदी पैसा मिला करता था। इतना बड़ा अंतर था। काफी बड़ा और कई सारी लड़कियां आज भी इन्हीं सबका सामना करती हैं और बॉलीवुड में काम करने पर मुझे आज भी यही सब देखना होगा।
 
वो कहती हैं, 'कई बार ये काफी दिक्कत पैदा करने वाला बन सकता है क्योंकि सोशल मीडिया पर आप हमेशा पर्याप्त अच्छे साबित नहीं हो सकते। चाहे आप कुछ भी क्यों ना कर लें। कुछ लोग होंगे, जो कहेंगे कि आपने ये गलत किया था, आपने ये गलत पहना था, आपने उस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा था, आपको कुछ ना कुछ जरूर बोलना चाहिए था।
 
आप सभी को खुश नहीं कर सकते और मैंने अपने करियर के शुरुआती दौर में ये सीख-समझ लिया था. सार्वजनिक जीवन में ऐसा होता है। जब मेरी उम्र कम थी, तो मुझे लगता था कि मुझे सभी के लिए अच्छा बनना है।
 
अंत में प्रियंका ने कहा कि 'मैं नेता नहीं हूं, मैं एंटरटेनर हूं। मैं कानून नहीं बना सकती, उन्हें बदल नहीं सकती, लेकिन मैं प्रभावित कर सकती हूं। मैं हमेशा यही सोचती हूं कि हर रोज मैं क्या कर रही हूं, क्या मैं अच्छा इंसान बन सकती हूं, अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा कर पाऊं, जिसका असर दूसरों पर भी हो।
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