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Last Modified: शनिवार, 5 नवंबर 2016 (17:27 IST)

'कोर्ट जाने पर बेनकाब हो जाएगा एनडीटीवी'

'कोर्ट जाने पर बेनकाब हो जाएगा एनडीटीवी' - NDTV, Bain, Information and Broadcasting
न्यूज़ चैनल एनडीटीवी इंडिया पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक दिन का प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। चैनल के एंकर रवीश कुमार ने दो मूक अभिनय कलाकारों के संग शुक्रवार को प्राइम टाइम शो किया।शो के ऑन एयर होने के बाद से ही 'रवीश कुमार' और शो में कही गई 'बागों में बहार है' लाइन सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड में है। 
कुछ लोग एनडीटीवी पर प्रतिबंध की आलोचना कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसे जायज़ ठहरा रहे हैं। जानिए एनडीटीवी पर एक दिन के बैन के समर्थन को लेकर किसने क्या कहा-
 
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि ''चैनल पर प्रतिबंध की आलोचना राजनीति से प्रेरित है। 
 
ज़ी न्यूज़ से जुड़े रोहित सरदाना ने ट्वीट किया, ''हर अखबार में चार कॉलम के लेख हैं, जिनमें लिखा है कि देश में इमरजेंसी लग गई है, अभिव्यक्ति की आज़ादी छीन ली गई है.''
 
यशवंत देशमुख ने ट्विटर पर लिखा कि ''भक्तजनों, उस टीवी को गरिया के आपको कुछ प्राप्त नहीं होगा। खुद अपनी बेगैरत मौत मर रहे चैनल को आपकी ही सरकार जबरदस्ती शहीद बनाने पर तुली है। 
 
अगले ट्वीट में यशवंत ने लिखा कि 'समस्या ये है कि आप की हिम्मत ही नहीं है अपने घर में कड़वे सवाल पूछने की। एक दिन का ब्लैकआउट एक लॉलीपॉप है। आपको थमा दिया है। चूसिए.''
 
पत्रकार अनुराग मुस्कान ने फ़ेसबुक पर लिखा कि ''जितने लोग एनडीटीवी के समर्थन में खड़े हैं। अगर वो सच में उसे नियमित देख भी रहे होते तो आज वो टीआरपी में नंबर वन पर होता।
 
जसप्रीत सिंह फ़ेसबुक पर लिखते हैं, ''एनडीटीवी पर एक दिन के प्रतिबंध की मैं कड़ी निंदा करता हूं... मैं एनडीटीवी पर स्थायी तौर पर प्रतिबंध लगाने की मांग करता हूं।
 
अभिषेक रंजन ने फ़ेसबुक पर लिखा, ''अगर कोर्ट में जाएंगे तो एक्सपोज़ हो जाएंगे। फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन का गाना गाएंगे और सहानुभूति बटोरने की कोशिश करेंगे। बिना लगाम के घोड़े कब तक लोकतंत्र और देश की सुरक्षा को रौंदते रहेंगे?''
 
जितेंद्र सिंह ने फ़ेसबुक पर लिखा, ''रवीश कुमार और एनडीटीवी पर बैन से काम नहीं चलेगा। इन पर देशद्रोह का मुकदमा चले। 
 
@SirJadeja हैंडल से लिखा गया, ''प्रिय रवीश कुमार, अगर आपको लगता है कि एनडीटीवी को गलत बैन किया गया। इसे तथ्यों के साथ कोर्ट में चुनौती दीजिए. सहानुभूति पाने के लिए इस बैन को फ्रीडम ऑफ स्पीच पर बैन की तरह मत पेश कीजिए।''
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