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Written By BBC Hindi
Last Modified: बुधवार, 9 सितम्बर 2020 (07:32 IST)

कंगना रनौत: बीजेपी-शिवसेना की लड़ाई में मोहरा या खिलाड़ी?

कंगना रनौत: बीजेपी-शिवसेना की लड़ाई में मोहरा या खिलाड़ी? - Kangana Ranaut in BJP Shivsena fight
अनंत प्रकाश, बीबीसी संवाददाता
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने महाराष्ट्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर जांच में उनके और ड्रग पैडलर्स के बीच किसी तरह के संबंध होने के सबूत मिलता है तो वह हमेशा के लिए मुंबई छोड़ने के लिए तैयार हैं।
 
कंगना की ओर से ये ट्वीट तब आया है जब महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार कंगना रनौत के ड्रग्स लेने के मामले की जाँच करेगी। लेकिन ये पहला मौक़ा नहीं है जब कंगना और महाराष्ट्र सरकार आमने-सामने आए हों।
 
कंगना रनौत और ठाकरे सरकार बीते तीन महीनों में कई बार टकरा चुके हैं। दोनों पक्षों की ओर से आक्रामक बयानबाज़ी जारी है। इसी बीच केंद्र सरकार ने कंगना को 'वाई ग्रेड' की सुरक्षा दे दी है।
 
कंगना बनाम ठाकरे सरकार
बीते सोमवार कंगना रनौत ने एक ट्वीट से दावा किया था कि उन्हें सूचना मिली है कि बीएमसी मंगलवार को उनका दफ़्तर तोड़ने आ रही है।
 
इसके बाद मंगलवार को कंगना ने ट्वीट किया कि उनके समर्थकों की आलोचना के बाद बीएमसी उनके दफ़्तर पर बुलडोज़र लेकर नहीं आई, बल्कि लीकेज रोकने का नोटिस लगाकर गई।
 
बीबीसी ने बीएमसी के अधिकारियों से बात कर कंगना के दावे की पुष्टि करने की कोशिश की। बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर ये स्वीकार किया कि बीएमसी के अधिकारी कंगना के दफ़्तर पहुंचे थे।
 
उन्होंने कहा, "बीएमसी की टीम कंगना के दफ़्तर पहुंची थी। लेकिन ये दौरा क्यों किया गया इसे लेकर जानकारी नहीं है। वार्ड अफ़सर ही बता सकेंगे कि आख़िर बीएमसी की टीम क्यों गई थी।"
 
लेकिन इस समय कंगना रनौत और शिवसेना के नेतृत्व वाली बीएमसी के बीच जो कुछ चल रहा है, वो एक बड़ी कहानी का छोटा सा अंश मात्र लगता है।
 
ऐसे में सवाल ये उठता है कि कंगना और महाराष्ट्र सरकार के बीच कलह की शुरुआत क्यों हुई और इस कलह की जड़ क्या है?
 
इस सवाल का जवाब कंगना के उस ट्वीट में मिलता है जिसमें उन्होंने सवाल किया था कि मुंबई धीरे धीरे ‘पाक कब्ज़े वाला कश्मीर’ क्यों लगने लगी है।
 
इस पर शिवसेना नेता संजय राउत समेत कई फ़िल्मी हस्तियों की ओर से कंगना रनौत की आलोचना की गई। शिवसेना नेता की ओर से कंगना के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया। फिर कंगना ने भी इसका जवाब शिवसेना के अंदाज़ वाली आक्रामकता से दिया।
 
बॉलीवुड के बड़े एक्टर्स पर भी उठाए सवाल
17 साल की उम्र में 'गैंगस्टर' जैसी फ़िल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाली कंगना ने 'क्वीन' और 'तनु वेड्स मनु' जैसी फ़िल्मों से बॉलीवुड में अपनी एक ख़ास जगह बनाई है।
 
3 नेशनल अवॉर्ड्स समेत कमर्शियल फ़िल्मों में धमाकेदार कमाई के बावजूद कंगना रनौत नेपोटिज़्म से लेकर बॉलीवुड माफ़िया वगैरह पर खुलकर बोलती रही हैं। पिछले विवादों और इस विवाद में एक अंतर ये है कि अब तक ये विवाद बॉलीवुड एक्टर्स के बीच रहा करते थे।
 
लेकिन ये पहला मौक़ा है जब कंगना एक ऐसे मुद्दे के केंद्र में आ गई हैं जिसमें उनके निशाने पर मुंबई पुलिस, बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार है। कंगना ने बीते दिनों बॉलीवुड में ड्रग्स के इस्तेमाल को लेकर बड़े दावे किए हैं।
 
कंगना ने अपने ट्वीट में लिखा है, “मैं रणवीर सिंह, रनबीर कपूर, अयान मुखर्जी, विक्की कौशिक से प्रार्थना करती हूँ कि ड्रग टेस्ट के लिए अपने ब्लड सैंपल दें, अफ़वाह उड़ रही है कि ये कोकीन के आदी हैं। मैं चाहती हूँ कि इन अफ़वाहों को ख़त्म कर दें। ये युवा पुरुष अगर अपने क्लीन सैंपल दे सकें तो ये लाखों लोगों को प्रेरित कर सकते हैं।”
 
उन्होंने ये भी कहा है कि वह नारकोटिक्स ब्यूरो की मदद करने को तैयार हैं क्योंकि उन्हें बॉलीवुड पार्टीज़ में ड्रग्स के इस्तेमाल को लेकर काफ़ी जानकारी है।
 
उन्होंने लिखा, “मैं नारकोटिक्स ब्यूरो की मदद करने के लिए पूरी तरह तैयार हूँ। लेकिन मुझे केंद्र सरकार से सुरक्षा चाहिए। मैंने सिर्फ़ अपने करियर को जोख़िम में नहीं डाला है। बल्कि मैंने अपनी ज़िंदगी को भी जोख़िम में डाला है। ये काफ़ी स्पष्ट है कि सुशांत को कुछ बुरे राज़ पता थे, इसलिए उसे मार दिया गया।”
 
कंगना ऐसा क्यों कर रही हैं?
फ़िल्म समीक्षक तनुल ठाकुर मानते हैं कि कंगना ने एक अभिनेत्री के रूप में अपने करियर को महत्व देना कम कर दिया है।
 
वह कहते हैं, “मैं उन्हें क्वीन और उससे पहले से देखता आ रहा हूँ। एक कलाकार के रूप में वह समय के साथ बेहतर से बेहतरीन हुई हैं। मुझे ये कहने में गुरेज़ नहीं है कि वह एक महान अदाकारा हैं। लेकिन जब बात आती है कि एक शख़्स के रूप में कंगना के व्यवहार की तो मुझे काफ़ी दुख होता है कि उन्होंने शायद अपने एक्टिंग करियर को महत्व देना बंद कर दिया है। और शायद वह राजनीति में जाने के संकेत दे रही हैं।”
 
“मैं ये बात इसलिए नहीं कह रहा हूं क्योंकि वह एक ख़ास पार्टी की विचारधारा में यक़ीन रखती हैं। बल्कि मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जिस तरह वह अपने एक्टिंग करियर के रास्ते बंद कर रही हैं, ऐसे में उनके साथ कौन काम कर पाएगा? साल 2017-18 तक कंगना मुख्यधारा की अभिनेत्रियों में गिनी जाती थीं जिन्होंने अपने अच्छे काम से जगह बनाई लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे उनकी टिप्पणियां इतनी अपमानजनक होती गईं कि अब लोगों के लिए उनके साथ काम करना मुश्किल होगा।”
 
हाल ही में एक प्रतिष्ठित डायरेक्टर ऑफ़ फ़ोटोग्राफ़ी पीसी श्रीराम ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से कंगना के साथ काम न करने का ऐलान किया है।
 
तनुल इस स्थिति को समझाते हुए कहते हैं, “बात ये नहीं है कि लोग उन्हें पसंद नहीं करते हैं। एक अभिनेत्री के रूप में लोग उन्हें आज भी तरजीह देते हैं। लेकिन कंगना जिस तरह किसी भी विचार को एक हथियार की शक्ल देती हैं, उससे उनके साथ काम करने वाले असहज हो जाते हैं। ये एक ऐसी स्थिति पैदा करती है जिसमें कंगना स्वयं फ़िल्म बनाएंगी…जबकि वह कई सारे बेहतरीन फिल्म मेकर्स, एक्टर्स, और टेक्नीशियंस के साथ काम कर सकती थीं।”
 
क्या इसके पीछे राजनीति है वजह?
लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो कंगना-शिवसेना विवाद के पीछे एक राजनीतिक अंडर करंट है जिसकी वजह से दोनों पक्षों के बीच आक्रामकता इतनी ज़्यादा बढ़ गई है।
 
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत देसाई मानते हैं कि ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें शिवसेना और बीजेपी दोनों ही पक्षों को भारी फ़ायदा हो रहा है।
 
वह कहते हैं, “एक तरह से देखा जाए तो ये मुद्दा महाविकास अगाड़ी सरकार को फायदा पहुंचा रहा है क्योंकि महाराष्ट्र में पुणे और कोल्हापुर, सोल्हापुर जैसे छोटे शहरों में कोरोना वायरस बहुत तेज़ी से फैल रहा है। इसके लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया जा सकता है लेकिन इस सबकी जगह वह सदन में अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं। और उनके ख़िलाफ़ कोरोना को लेकर सवाल नहीं उठ रहे हैं।”
 
“वहीं, दूसरी ओर ये मुद्दा बीजेपी के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि इस वजह से उसे उत्तर भारतीय राज्यों में राजनीतिक फायदा होगा। अब अगर बात करें कि कंगना इस पूरे खेल में क्या कर रही हैं तो वह एक खिलाड़ी की भूमिका में हैं।"
 
हेमंत देसाई कहते हैं, “कंगना के करियर का पीक एक तरह से ख़त्म हो गया है। अब उनकी राष्ट्रीय छवि बढ़ रही है। अभी वह इसका फ़ायदा भी उठा रही हैं। शायद वह राष्ट्रपति के कोटे से राज्यसभा जा सकती हैं। उनकी महत्वाकांक्षाएं बड़ी हो सकती हैं। वह इसका राजनीतिक लाभ ले रही हैं। शिवसेना भी इसके जाल में फंसती नज़र आ रही है। जैसे अभी उनके घर और दफ़्तर पर जाकर वैध या अवैध की जांच करने का मामला। मुंबई कॉरपोरेशन को पहले देखना चाहिए था कि निर्माण वैध या अवैध है। ऐसे में शिवसेना और कॉरपोरेशन जो कर रही है, वो पूरी तरह से ग़लत है।”
 
हालांकि इसी बीच बीते कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर कंगना रनौत की जगह पहले से काफ़ी मजबूत हो गई है। ट्विटर पर हाल ही में उनके फॉलोअर्स की संख्या 13 लाख पहुंच चुकी है।
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