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Written By BBC Hindi
Last Modified: गुरुवार, 8 अगस्त 2024 (08:04 IST)

पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर कैसे हैं हालात - ग्राउंड रिपोर्ट

indians came from bangladesh
सलमान रावी, बीबीसी संवाददाता, पेट्रापोल बॉर्डर
ये पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना ज़िले में पेट्रापोल बॉर्डर है। भारत और बांग्लादेश की सीमा पर स्थित यह बॉर्डर चेक पोस्ट पूर्वी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस मार्ग से बड़े पैमाने पर व्यापारिक गतिविधियां चलती हैं।
 
हर समय पेट्रापोल और इसके पास के बनगांव में चहल-पहल ही रहती है। यहाँ से कोलकता सिर्फ़ 100 किलोमीटर के क़रीब है और इस वजह से ये पूर्वी भारत का सबसे महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग बन गया है। सरहद से ठीक लगा हुआ है बेनापोल, जो बांग्लादेश में है।
 
इसके अलावा भी काफ़ी संख्या में बांग्लादेश से लोग यहाँ इलाज कराने आते हैं। चाहे वो कोलकाता में कराना हो या फिर भारत के किसी दूसरे शहर में।
 
मगर पिछले एक महीने से पेट्रापोल बॉर्डर पर सन्नाटा पसरा हुआ है। आम दिनों में जो खाने पीने और कपड़ों की दुकानों में चहल-पहल रहा करती थी वो अब नदारद है।
 
बॉर्डर पर क्या हैं हालात
सरहद के ठीक पास स्वपन मित्र का होटल है। वो काउंटर पर अकेले बैठकर अख़बार पढ़ रहे हैं। उनका होटल तो खुला हुआ है मगर यहाँ कुछ भी खाने को मौजूद नहीं है। वो बताते हैं कि ऐसा हाल एक महीने से है जबसे बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए हैं।
 
वो बताते हैं, “मेरे होटल में दिन रात लोग बॉर्डर पार करने से पहले या फिर बॉर्डर से भारत आने के बाद रूककर खाना खाते हैं। मेरे होटल की काफ़ी लोकप्रियता है। मगर पिछले एक महीने से हम कुछ इसलिए नहीं बना रहे हैं क्योंकि ना तो ट्रकों की ही आवाजाही हो रही है न ही लोग आ जा रहे हैं। एक अजीब सा ख़ौफ़ है।”
 
पेट्रापोल में अब शाम के 6 बजे के बाद से ही सन्नाटा पसर जाता है। सीमा सुरक्षा बल रास्ते में बैरिकेड लगा देती है, 'सब कुछ बंद।' यहाँ सरहद के पास जगह जगह पर कई ट्रक भी खड़े हैं जिसमें सामान लदा हुआ है। वो सब बांग्लादेश में हालात ठीक होने के इंतज़ार में हैं, मगर ये हालात कई दिनों से जस के तस बने हुए हैं।
 
बांग्लादेश में बदतर होती स्थिति के बाद से ही सीमा सुरक्षा बल ने सरहद की चौकसी और सुरक्षा बढ़ा दी है। मंगलवार को सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक दलजीत चौधरी ने पेट्रापोल का दौरा किया और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हालात का जायज़ा लिया।
 
भारत का पूर्वोत्तर राज्य मेघालय, बांग्लादेश से सबसे लम्बी सरहद साझा करता है। मौजूदा हालात में मेघालय सरकार ने सरहद से लगे हुए इलाक़ों में रात का कर्फ़्यू लगा दिया है।
 
वापस लौटे लोगों ने क्या बताया?
ढाका में भड़की हिंसा की आग बांग्लादेश के दूसरे ज़िलों में भी फैल गई और पेट्रापोल के कुछ ही दूरी पर मौजूद जेस्सोर में भीड़ ने एक पांच सितारा होटल में आग लगा दी थी।
 
इसी होटल में उस समय मौजूद थे भारत से वहाँ गए व्यवसायी रबीउल इस्लाम और उनके पार्टनर, जिन्होंने बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई।
 
मंगलवार को जैसे ही पेट्रापोल से आवाजाही शुरू हुई, रबीउल हसन भी भारत में दाख़िल हुए। वो चोटिल थे लेकिन उनके पार्टनर को एम्बुलेंस से लाना पड़ा।
 
बीबीसी से बात करते हुए वो कहते हैं, “हम होटल में अपने कमरे में ही थे जब भीड़ ने हमला कर दिया था। हम सातवीं मंज़िल पर थे। जबतक नीचे आते आग भड़क चुकी थी। फिर हमने ऊपर से छलांग लगायी ताकि जान बच जाए।"
 
उन्होंने कहा, "मुझे भी चोटें आईं और शरीर का कुछ हिस्सा जल भी गया जबकि मेरे साझीदार के पाँव की हड्डी टूट गई। ये बहुत भयावह था। बांग्लादेश को अब वापस सामान्य होने में बहुत समय लग जाएगा।”
 
सरहद के इस पार भी उसी तरह लोगों की भीड़ थी जो वापस बांग्लादेश लौट रहे थे। इनमें कई ऐसे थे जो इलाज कराने भारत आये थे।
 
इन्हीं में से एक हैं सुमित्रा (बदला हुआ नाम) जो ढाका के पास की ही रहने वाली हैं। वो अपने पोते के इलाज के लिए भारत आई थीं और फिर कोलकाता से बेंगलुरू गई थीं।
 
अब वो लौट रहीं हैं तो उनके चेहरे पर डर साफ़ झलक रहा था। इसका कारण है कि पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों और घरों पर भीड़ के हमले हुए हैं।
 
वो कहती हैं, “हमारा वीज़ा ख़त्म हो गया है। अपने घर पर बात करने में भी परेशानी हो रही थी। अब डर का माहौल तो है ही लेकिन क्या करें हमारा घर वहीं है। हमारे परिवार के सब लोग वहाँ हैं। हमें जाना ही पड़ेगा।”
 
पेट्रापोल बॉर्डर पर बस सेवा बंद
कोलकाता से ढाका के लिए ट्रेन भी है और बस भी। ट्रेन है 'मैत्री एक्सप्रेस' जो 19 जुलाई से ही निलंबित है। पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार भी ढाका के लिए बस का परिचालन करती थी, जो सोमवार से बंद हो गई।
 
पहले ये बसें ढाका तक जाया करती थीं। अब ये मंगलवार सुबह पेट्रापोल बॉर्डर तक आई, जहां से बांग्लादेश जाने वालों ने उतरकर सरहद को पैदल पार किया और फिर वहाँ से दूसरी बस पकड़ी।
 
बॉर्डर पर भारत की तरफ़ आने वालों का भी यही हाल था। पेट्रापोल बॉर्डर पोस्ट पर मौजूद भारतीय अधिकारियों का कहना है कि फ़िलहाल किसी को टूरिस्ट वीज़ा नहीं दिया जा रहा है। केवल वही भारतीय नागरिक आ रहे हैं जो बांग्लादेश में फंसे हुए थे। किसी अन्य को किसी भी दूसरे काम के लिए वीज़ा नहीं दिया जा रहा है।
 
वहीं पेट्रापोल, बनगांव और दूसरे सरहदी इलाक़ों में लोग आशंकित हैं कि बांग्लादेश के बदले हुए हालात की वजह से कहीं घुसपैठ न बढ़ जाए।
 
हालांकि सीमा सुरक्षा बल ने सरहदों पर अतिरिक्त बल की तैनाती कर दी है और एक तरह से सरहद को सील कर दिया गया है।
 
मगर स्वपन मित्र जैसे और भी लोग जो पेट्रापोल में बीबीसी से बात कर रहे थे, वो आशंकित ही थे। हर कोई बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों पर हुए हमलों को लेकर चर्चा करता हुआ सुनाई दिया।
 
कोलकाता में क्या है माहौल
पहले जिन बांग्लादेशियों का सरहद पर व्यवसायी गर्मजोशी से स्वागत किया करते थे, अब वो उनसे कन्नी काटे हुए नज़र आये। इन सबको देखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से संयम बनाए रखने की अपील भी की।
 
उन्होंने ये भी कहा कि ये दो देशों के संबंधों का मामला है और उनकी सरकार प्रधानमंत्री के साथ है। उनका कहना था कि जो निर्णय केंद्र सरकार लेगी, पश्चिम बंगाल की सरकार उसका पालन करेगी।
 
सोमवार को पेट्रापोल के लिए रवाना होने से पहले कोलकाता के न्यू मार्केट के इलाक़े के होटलों में रह रहे बांग्लादेशी पर्यटकों को जैसे ही उनके देश के हालात के बारे में ख़बर मिली, उन्होंने जुलूस निकाला और नारे लगाए: “अभी अभी ख़बर मिली, शेख हसीना भाग निकली”।
 
लेकिन उनके जुलूस से न्यू मार्केट के इलाक़े में तनाव जैसे हालात पैदा होने लगे। शायद यही वजह रही कि मुख्यमंत्री को संयम बरतने का आह्वान करना पड़ा।
 
वहीं पश्चिम बंगाल के हिंदूवादी संगठनों ने केंद्र सरकार और ख़ासतौर पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से अपील की है कि वो ‘बांग्लादेश में प्रताड़ित किए जा रहे हिन्दुओं को भारत लाने की व्यवस्था करे और उन्हें नागरिकता देने की पहल भी करे।"
 
संगठनों का कहना है कि नागरिकता संशोधन क़ानून तो लागू हो चुका है इसलिए इसके तहत भारत सरकार को फ़ौरन कार्यवाही करनी चाहिए।
 
भारत-बांग्लादेश के रिश्ते और व्यापार
भारत का बांग्लादेश के साथ हमेशा से एक ख़ास नाता रहा है। दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच 4 हज़ार 96 किलोमीटर लंबी सीमा है। लेकिन दोनों के भाषाई, आर्थिक और सांस्कृतिक हित भी एक जैसे हैं।
 
कभी पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाने वाला बांग्लादेश, साल 1971 में पाकिस्तान में हुई जंग के बाद एक अलग देश बना। इस जंग में बांग्लादेश को भारत का साथ मिला था।
 
दक्षिण एशिया में बांग्लादेश, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। कोविड-19 के बावजूद दोनों देशों के बीच साल 2020-21 में 10।78 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ था।
 
वहीं साल 2021-22 में यह व्यापार 44 फ़ीसदी की दर से बढ़कर 18.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था। साल 2022-23 के बीच भारत-बांग्लादेश का कुल व्यापार 15।93 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
 
बिजली और ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देश मिलकर कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। बांग्लादेश वर्तमान में भारत से 1160 मेगावाट बिजली आयात कर रहा है। इतना ही नहीं हाई स्पीड डीज़ल ले जाने के लिए दोनों देशों के बीच भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन बहुत अहम है।
 
भारत ने पिछले एक दशक में बांग्लादेश को सड़क, रेलवे, बंदरगाहों के निर्माण के लिए हज़ारों करोड़ रुपये दिए हैं।
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