1959 में जब अलेक बटलर पैदा हुए, तो उन्हें लड़की माना गया। पुरस्कार विजेता फ़िल्म-निर्माता और लेखक अलेक को एक लड़की के रूप में ही पाला गया था। 12 साल की उम्र में उन्हें पता चला कि वह इंटरसेक्स हैं। यानी ऐसा व्यक्ति जिसका शारीरिक, हार्मोनल या जेनेटिक सेक्स न तो पूरी तरह पुरुष का है और न महिला का अलेक की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी...
दरअसल मुझे पता तब चला जब मेरी दाढ़ी आना और मासिक धर्म एक साथ शुरू हुए। मेरे लिए बड़ी असमंजस की स्थिति थी। मेरे माता-पिता भी चकरा गए। वो मुझे कुछ डॉक्टरों के पास ले गए पर कनाडा के जिस छोटे से क़स्बे में मैं पला-बढ़ा था, वहां किसी को पता नहीं था कि इंटरसेक्स का क्या अर्थ होता है।
एक डॉक्टर ने कहा, 'हम इसे एक मानसिक रोगियों के संस्थान में तब तक रखेंगे जब तक कि यह लड़कियों की तरह कपड़े पहनना और मेकअप करना नहीं सीख जाती।' 12 साल की उम्र में जेनेटिक रूप से लड़कियों को भी ये सब करने को मजबूर नहीं किया जाता था। खुशकिस्मती से मेरे माता-पिता नाराज़ हो गए।
उन्होंने कहा, 'हम ऐसा नहीं करेंगे। हम बस तुम्हें प्यार करेंगे और तुम जो बनना चाहो वह बनो।' यह एक तरह से वरदान था, जो ज़्यादातर इंटरसेक्स बच्चों को हासिल नहीं होता। परिवार में मुझे बहुत प्यार मिलता था। मैं उत्साह से भरपूर और मज़ाकिया था। मैं एल्विस प्रेसले की नक़ल करके लोगों को ख़ुश कर सकता था। मेरी हमेशा से कला और लेखन में रुचि रही।
मुझे याद है कि बचपन में मैंने वान गॉग की एक पेंटिंग देखी थी। उसे देखकर मैं हिल गया था। मेरे माता-पिता साधारण नौकरी करते थे और हमारे घर में जो किताबें थीं, वो सिर्फ़ एनसाइक्लोपीडिया ही थीं, जिन्हें मैं शुरू से आख़िर तक पढ़ गया था।
परिवार को मुझे स्वीकार करने में कोई दिक्क़त नहीं हुई- लेकिन स्कूल और समाज का बर्ताव रूखा था। जैसे ही मुझे पैंट पहनने की आज़ादी मिली, मैंने ऐसा शुरू कर दिया। उस समय यह सचमुच मुश्किल था कि एक लड़की होकर आप पैंट पहनें। मुझ पर महिला हार्मोंस लेने का दबाव डाला जाता था ताकि मैं ज़्यादा जनाना दिखूं। हालांकि मैं ज़्यादा मर्दाना होना चाहता था- मैं एक लड़का बनना चाहता था।
स्कूल में मुझे परेशान किया जाता। मुझे डर लगता कि मुझे पागल कहा जाएगा इसलिए मैं कोशिश करता कि बाक़ी बच्चों जैसा दिखूं, कोई बखेड़ा मोल न लूं। जब आपका शरीर मेरा जैसा होता है तो समस्या होती है। लोग नाराज़ हो जाते थे। मेरी समस्या यह थी कि मैं एक लड़की को चाहता था और वह भी मुझे चाहती थी।
लेकिन यह मामला बुरी तरह गड़बड़ा गया क्योंकि मैं इंटरसेक्स था और मेरे ख़्याल से सचमुच का लड़का नहीं था। मुझे लेस्बियन, लेज़ी, डाइक...बोला गया और दूसरे बच्चे मुझे देखकर चिल्लाते, 'तुम बीमार हो, बीमार हो तुम!' क्लास में मेरे पास ऐसी पर्चियां भेजी जातीं, जिनमें लिखा होता, 'तुम आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते?'
उस समय हम पूर्वी कनाडा में ओरोमोक्टो की एक सैन्य छावनी में रह रहे थे क्योंकि मेरे पिता सेना में थे। स्कूल बहुत बड़ा था और मुझे लगातार परेशान किया जाता रहा। मेरे पिता सचमुच डर गए कि न जाने क्या होगा।
उन्होंने समयपूर्व सेवानिवृत्ति ले ली। अपनी पेंशन का बड़ा हिस्सा गंवा दिया और हम नोवा स्कॉटिया से आगे केप ब्रेटोन द्वीप में बुश में जाकर रहने लगे। यह और भी मुश्किल हो गया था क्योंकि यह बहुत अलग-थलग इलाक़ा था और लोग और भी कम जानकार थे।
जब 1978 में मैंने हाईस्कूल पास किया तो पता चला कि नौकरी मिलना मुश्किल था। मैं टोरंटो आ गया ताकि अपनी मर्जी की जिंदगी जी सकूं और समलैंगिक के रूप में रह सकूं। तब मैं एक मर्दाना लेस्बियन की तरह खुद को पेश कर रहा था। यह अपने लिए एक समाज, समर्थन हासिल करने और भावनाओं को स्वीकार कराने का तरीका था। मैं किसी और इंटरसेक्स व्यक्ति को नहीं जानता था- तब तो मैं यह शब्द भी नहीं जानता था।
ज़िंदगी आसान नहीं थी। लोग सड़कों पर मुझे मारने की धमकी देते। मेरे ऊपर चीज़ें फेंकते। एक ने मुझे सड़क पर गाड़ी के नीचे फेंकने की कोशिश की। और एक गे प्राइड परेड में मुझे गे पुरुषों ने घेर लिया और मेरी पैंट उतारने की धमकी देने लगे। यह बहुत डरावना था।
आज भी मर्दाना लेस्बियंस को भारी नफ़रत झेलनी पड़ती है। मेरे पुरुष बनने की ओर बढ़ने की एक वजह यह भी थी कि मानसिक रूप से मैं हिंसा और नफ़रत नहीं झेल सकता था। मगर मेरे लिखे नाटकों का मंचन हो चुका था और समाज में मेरा एक नाम हो चुका था।
नब्बे के दशक की शुरुआत में मैंने एड्स से मर रहे दोस्तों की देखरेख की। यह बहुत समयखाऊ और पागलपन भरा समय था। मैं नहीं चाहता था कि लोगों को पता चले कि मेरी दाढ़ी है पर उस दौरान मेरे पास शेव करने का समय ही नहीं होता था। इसलिए दाढ़ी के बाल उग गए और मेरे दोस्त ने कहा, 'वाह, तुम्हारी दाढ़ी है! यह बहुत कमाल है, तुम्हें इसे बढ़ाना चाहिए।'
जब मेरे दोस्त की मौत हो गई तो मैंने उसकी याद में दाढ़ी बढ़ा ली और उन्होंने मुझे स्वीकार कर लिया। लेकिन फिर समस्या हो गई। लेस्बियन बार में मेरी स्वीकार्यता ख़त्म गई। महिलाएं पूछतीं, 'तुम एक लेस्बियन बार में क्या कर रही हो?' और मैं कहता, 'मैं भी एक लेस्बियन हूं और हममें से कुछ की दाढ़ी भी होती है।'
शायद नब्बे के दशक के मध्य तक मुझे पता नहीं था कि मैं इंटरसेक्स हूं। एक दिन एक व्यक्ति ने- जिसे मैं बरसों से जानता था- कहा, 'तुम्हें नहीं लगता कि हो सकता है कि तुम इंटरसेक्स हो?'
मैंने पूछा, 'यह इंटरसेक्स क्या होता है?'
फिर मैं इस बारे में गूगल पर ढूंढने लगा और गंभीरतापूर्वक शोध करने लगा और मैंने सोचा, 'हां मैं यही तो हूं।' फिर मुझे याद आया कि मेरी मां ने मुझे जब वह गर्भवती थीं, उस समय के बारे में बताया था। वह प्रोगेस्टिन नाम की एक दवा ले रही थीं और अपने शोध से मुझे पता चला कि यह बच्चों में इंटरसेक्स की वजह बनती है। इसलिए मेरे ख़्याल से मेरे साथ यही हुआ।
नब्बे के दशक के उत्तरार्ध में मैंने अपना नाम एलेक कर लिया। मेरा साथी और मैं दोनों लेस्बियन प्रेमियों से ट्रांस्जेंडर बन गए, हम भाई बन गए! समाज के लिए यह तेज़ झटका था। मुझे अपना नाम बदलने के सिवा कुछ और नहीं करना था क्योंकि मैं पहले ही काफ़ी मर्दाना था। और मुझे अपना शरीर जैसा है, वैसा ही पसंद है और इसे बदलने की मेरी कोई इच्छा नहीं।
मुझे दाढ़ी रखना अच्छा लगता है। मुझे स्तन होना अच्छा लगता है। बस मुझे यह पसंद है। ज़्यादातर समय मुझे इससे कोई समस्या नहीं होती। हालांकि इसकी वजह से संबंध स्थापित करने में दिक्कत होती है क्योंकि यह अलग है। कई बार प्रेमियों के लिए इसे दिमाग से निकालना मुश्किल होता है लेकिन मैं ऐसे लोगों को पसंद करता हूं जो आगे आते हैं और इन दीवारों को तोड़ना चाहते हैं।
लोगों के लिए इंटरसेक्स होने के विचार को समझ पाने में बहुत समस्या होती है और इंटरसेक्स लोगों को इस वजह से बहुत मुश्किलें होती है। अगर वह सर्जरी की मदद से बदल जाते हैं, तो उन्हें इसे छिपाकर रखने को कहा जाता है और वह शर्मिंदा रहते हैं। बहुत से लोग किसी एक लिंग के साथ ही सहज हो पाते हैं।
शायद ऐसे जीना ही आसान हो, यह तय कर लें कि आप महिला हैं या पुरुष और उसी तरह रहें। अब मेरे जैसे गैर-एकांगी (नॉन बाइनरी) समलैंगिकों और दूसरे समलैंगिकों के बीच दोस्ताना संबंध बन रहे हैं। अब इंटरसेक्स के रूप में पैदा होने वालों के लिए उम्मीदें ज्यादा हैं।
सर्जरी अब अहम नहीं रह गई है और अब माता-पिता यह समझने लगे हैं कि अपने बच्चों के लिए एक खास लिंग चुनकर दरअसल वह अपनी चिंताओं का समाधान चाहते हैं। अक्सर बच्चों को इससे दिक्कत नहीं होती। मुझे लड़का-लड़की समझे जाने से कोई समस्या नहीं होती थी- दरअसल कई बार तो लोगों को बेवकूफ बनाने में मजा आता था।
पुकारने के लिए मैं 'दे' या 'ही' (they or he) इस्तेमाल करता। कई बार मुझे 'शी' भी कहा जाता। मुझे इससे ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता था, लेकिन यह इस पर निर्भर करता था कि बोल कौन रहा है। अगर यह बदतमीजी से कहा जाता, तो मुझे पसंद नहीं आता था, लेकिन इससे ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता।
अब मैं टोरंटो विश्वविद्यालय में एबॉरिजिनल स्टडीज़ का छात्र हूं। औपनिवेशीकरण से पहले कनाडा के मूल निवासियों में ट्रांसजेंडर लोगों में मर्दाना महिलाओं और जनाना पुरुषों को दोगुना माना जाता था क्योंकि उनमें महिला-पुरुष दोनों की आत्मा थी। वह दो आत्माओं वाले लोग थे। यह एक विवादित परिभाषा है, लेकिन वह बहुत महत्वपूर्ण होते थे- शिक्षक, विवाह सलाहकार और उन्हें समारोहों में विशेष भूमिकाएं दी जाती थीं।
मुझे अपने मूल निवासी होने की बात के बारे में बहुत दर्दनाक तरीके से पता चला। जब मेरी मां की मौत हो रही थी, तब मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने 12 साल की उम्र में स्कूल क्यों छोड़ा था। उन्होंने मुझे बताया कि वह गंदी इंडियन (मूल निवासी) कहा जाना और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थीं। मैंने पूछा कि क्या यह सच था।
उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया क्योंकि आपको इस बारे में बात न करना सिखाया जाता है- आपको अपने मूल निवास की विरासत पर शर्मिंदा होना सिखाया जाता है। मगर जिस तरह उन्होंने मुझे देखा, उसका संदेश साफ था- 'हां, हमारे पूर्वज मूल निवासी थे।'
मेरे लिए दो आत्माओं के रूप में पहचान होने का अर्थ यह था कि मैं एक ही शरीर में एक आदमी और एक औरत होने पर ख़ुश हो सकता था। और मेरे वापस स्कूल जाने का उद्देश्य ही यह था कि अपनी दो-आत्माओं वाली पहचान को फिर हासिल कर सकूं। इससे मेरी ग़ैर-एकांगी, इंटरसेक्स पहचान को मज़बूती मिलती है।
इससे इस दुनिया में एक व्यक्ति के रूप में अपनी पहेली सुलझाने में मदद मिलती हैः मैं अजीब नहीं हूं, मैं इंसानों का ही एक हिस्सा हूं। तमाम कोशिशों के बावजूद मेरे जैसे दूसरे लोग भी हैं और वो हमेशा से थे। अब मैं टेस्टोस्टेरोन ले रहा हूं- इसलिए नहीं कि मुझे पुरुष के रूप में मान्यता मिले, बल्कि स्वास्थ्य कारणों से। कुछ वजहों से मुझे अब भी मासिक धर्म हो रहा है और मेरे डॉक्टर का कहना है, 'अब तक आपको रजोनिवृत्ति हो जानी चाहिए थी।'
इसके अलावा मासिक धर्म से मुझे बहुत ज़्यादा तकलीफ़ भी होती है और इससे मेरे रचनात्मक कार्यों में बाधा भी आती है। इससे निपटने के लिए मैं टेस्टोस्टेरोन ले रहा हूं। यह अद्भुत है कि बड़ी संख्या में युवा कनाडाई ग़ैर-एकांगी के रूप में अपनी पहचान कर रहे हैं। मैं सोचता हूं कि ऐसा 40 साल पहले हुआ होता, जब मैं बच्चा था तो मेरी जिंदगी की तकलीफ़ें कम होतीं। इस नए आंदोलन ने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया है।
मैं दरअसल चाहता हूं कि अब बाहर ज्यादा जाया करूं, जबकि पहले मैं बाहर कम जाता था। यह बहुत मुश्किल और असहज होता था। मुझे ऐसे लोग मिल जाते, जो आते और मेरे स्तन दबाकर कहते, 'अरे यह तो असली हैं।' और मैं कहता, 'हां यह असली हैं और तुम्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है।'
इसलिए गैर-एकांगी लोगों को स्वीकार्यता मिलने से यह फायदा होगा। ऐसा नहीं होगा कि आप किसी को भी जाकर छुएं और कुछ भी कह दें। आप यह भी अंदाज नहीं लगा सकते कि कोई आदमी है या औरत और यह अच्छा है। मैं अपने समुदाय- इंटरसेक्स, गैर-एकांगी और मूल निवासियों- से कहना चाहता हूं कि मिश्रित लिंग और मिश्रित जाति का होने पर गर्व करो। मैंने यही सीखा है- गर्व करना।