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Written By BBC Hindi
Last Modified: रविवार, 5 नवंबर 2023 (08:01 IST)

भारत के दूसरे राज्यों से किस मामले में अलग है मिजोरम का चुनाव

mizoram election
Mizoram election news : पहाड़ी राज्य मिज़ोरम में नई सरकार चुनने के लिए कुछ दिनों में ही मतदान होने वाला है। जिन लोगों से मैं मिला और बात की वो लोग इसको लेकर उत्साहित हैं। मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल में सर्दियों ने दस्तक दे दी है। यहां की सुबहें और शामें ठंडी होती जा रही हैं। दिन में भी गर्मी नहीं लगती हैं।
 
हालाँकि हैरान करने वाली बात यह है कि यहां रोड शो, दीवारों पर लगे उम्मीदवारों के पोस्टर, ज़ोरदार चुनाव प्रचार, घर-घर जाकर प्रचार करने वाले नेता या सार्वजनिक स्थानों पर पार्टी के झंडे लगाने वाले कार्यकर्ताओं में से कोई भी यहां दिखाई नहीं दे रहा है।
 
ऐसा नहीं है कि मिज़ोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा का चुनाव कर्फ्यू के बीच हो रहा है। तो आख़िर कैसे चुनाव हो रहा है?
 
समाज और राजनीतिक दलों में समझौता
नागरिक समाज, चर्च के संगठनों और राजनीतिक दलों के बीच 2008 में पहली बार एक समझौता हुआ था। पांच पेज का यह समझौता यहां चुनाव संचालन का मार्गदर्शन करता है।
 
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य धन और बाहुबल के प्रभाव को कम करके स्वच्छ चुनाव सुनिश्चित करना है। यह सुनिश्चित करने के लिए, राज्य चुनाव आयोग वास्तव में प्रक्रिया का संचालन करता है। लेकिन यहां का नागरिक समाज अधिकारियों के साथ मिलकर काम करता है।
 
आइए इसका एक उदाहरण देखते हैं। दी मिज़ोरम पीपुल फोरम (एमपीएफ) चुनाव क्षेत्रों में 'साझा मंच' कार्यक्रम आयोजित करता है, इसमें उम्मीदवार बारी-बारी से मतदाताओं के सामने अपनी बात रखते हैं।
 
इस दौरान कभी-कभार वोटरों को भी उनसे सवाल पूछने का मौका मिल जाता है। हम एक ऐसे ही कार्यक्रम में शामिल हुए।
 
ये कार्यक्रम आमतौर पर शाम को आयोजित किए जाते हैं, ताकि लोग अपना कामकाज निबटा कर इसमें शामिल हो सकें।
 
र्दीधारी स्वयंसेवक नागरिकों को सीटें ढूंढने से लेकर उम्मीदवारों को उनके लिए आवंटित स्लॉट बताने तक में मदद करते हैं। व्यवस्था और पारदर्शिता लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाता है।
 
समझौते में यह भी तय किया गया है कि राजनीतिक दल बैठक स्थल और कार्यालयों में कितने बैनर और पोस्टर लगा सकते हैं।
 
एमपीएफ के महासचिव रेव लालरामलियाना पचुआउ से मैंने पूछा कि यदि कोई उम्मीदवार इस समझौते का उल्लंघन करता है या कोई नागरिक प्रलोभन स्वीकार करता है तो क्या होगा? इस सवाल पर वो कहते हैं, ''हम ऐसे उल्लंघनों का प्रचार करते हैं ताकि मतदाताओं को पता चले।''
 
एक पार्टी के एक उम्मीदवार ने हमें बताया, ''एमपीएफ कभी-कभी परेशान करने वाला हो सकता है, लेकिन वे कारगर भी हैं।''
 
क्या है मिज़ोरम चुनाव का मुद्दा
राज्य के अधिकांश लोग ईसाई धर्म मानते हैं। पूरी आबादी 10 लाख से थोड़ी ज्यादा है। यहां की 94 फीसदी आबादी आदिवासी हैं। यह संख्या पूरे देश में सबसे अधिक है।
 
विश्लेषकों ने हमें बताया कि मिज़ोरम जिसकी सीमा बांग्लादेश, म्यांमार और अशांत भारतीय राज्य मणिपुर से लगती है, यहां चुनाव आमतौर पर स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते रहे हैं। लेकिन इस बार चीज़ें अलग हैं।
 
प्रोफ़ेसर जांगखोंगम डोंगेल मिज़ोरम विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। उन्होंने मुझे समझाया, ''जातीय मुद्दे जो राज्य के बाहर हमारी संबंधित जनजातियों को प्रभावित करते हैं, उनका भी प्रभाव पड़ेगा। मणिपुर में भाजपा की सरकार है और अल्पसंख्यक समुदाय के साथ जो किया गया है, वह मतदाताओं के दिमाग में होगा। इसलिए यह स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का मिश्रण है, जो परिणाम तय करेगा।''
 
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस साल मई से मणिपुर में हुए संघर्ष की वजह से करीब 12 हज़ार आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (आईडीपी) मिज़ोरम आए हैं। वहीं म्यामार में 2021 में हुए तख्तापलट के बाद करीब 32 हज़ार शरणार्थी मिज़ोरम आए हैं।
 
 
modi and zoramthanga
मुख्यमंत्री ने बनाई प्रधानमंत्री से दूरी
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने बीबीसी के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने की संभावना से इनकार किया। प्रधानमंत्री मोदी की रैली मिज़ोरम में होने वाली थी, जो रद्द कर दी गई।
 
राजधानी आइज़ोल स्थित अपने आवास में उन्होंने मुझसे कहा, ''मिज़ोरम के सभी लोग ईसाई हैं और जब वे देखते हैं कि मैती ने (मणिपुर में) सैकड़ों चर्चों को जलाकर क्या किया, ऐसे में भाजपा के साथ किसी भी तरह की सहानुभूति मेरी पार्टी के लिए बहुत बड़ा नकारात्मक बिंदु है।''
 
ज़ोरमथांगा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शरणार्थियों और आईडीपी के स्वागत की वजह से चुनाव में उनके लिए बहुत अच्छे परिणाम आएंगे।
 
अन्य दलों के प्रत्याशियों ने भी अपनी योजनाओं को बताने के साथ-साथ बीजेपी पर हमला बोला।
 
ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) एक स्थानीय संगठन है। यह ज़ोरमथांगा की पार्टी मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ़) को चुनौती दे रहा है। रविवार शाम पार्टी के प्रचार कार्यक्रम के बाद विधायक डॉ। वनलालथलाना ने हमसे कहा कि मणिपुर में जो हुआ, उसे देखते हुए भाजपा के साथ चुनाव के बाद गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता है।
 
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और उम्मीदवार लालनुनमाविया चुआंगो ने राजधानी आइज़ोल में हमसे मुलाकात की।
 
उन्होंने कहा, ''हमारी धार्मिक स्वतंत्रता और जातीय पहचान की सुरक्षा को भाजपा से ख़तरा है। एमएनएफ़ बीजेपी की सहयोगी पार्टी है और जेडपीएम बीजेपी के साथ मिलकर काम करने जा रही है। इसलिए मतदाताओं से हमारा कहना है कि ये दोनों पार्टियां ठीक नहीं हैं।''
 
मिज़ोरम में बीजेपी की उम्मीदें क्या-क्या हैं?
वहीं भाजपा को नहीं लगता कि मिज़ोरम में मणिपुर कोई मुद्दा हो सकता है। हमारी मुलाकात केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से हुई। वो मिज़ोरम में भाजपा के चुनाव प्रभारी भी हैं। वो आइज़ोल में डेरा डाले हुए हैं।
 
वो कहते हैं, ''यहां हर कोई समझता है कि यह भाजपा ही है जो मणिपुर में जो कुछ हुआ है उसे सुलझाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस और अन्य लोग हमें स्थानीय लोगों की संस्कृति को ख़तरे में डालने वाली हिंदू पार्टी बता रहे हैं, जो कि झूठ है। इस प्रचार के कारण गांवों में कई लोग हमसे नहीं जुड़ रहे हैं। फिर भी हम अपनी सीटें अधिकतम करने की कोशिश कर रहे हैं। हम किसी क्षेत्रीय पार्टी से हाथ मिलाने के भी ख़िलाफ़ नहीं हैं।''
 
विधानसभा में बीजेपी का एक ही विधायक है, इस बार उसने उम्मीदवार भी कम ही उतारे हैं। उत्तर-पूर्व भारत के सभी राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं। इस चुनाव में इसका मुख्य वादा मोदी की अपील पर आधारित है।
 
कैसी है मिज़ोरम के स्कूलों और सड़कों की हालत
आइज़ोल शहर के केंद्र से करीब 20 मिनट की ड्राइव कर हम लालनुनमावी और उनके पति जिमी लालराममाविया के घर पहुंचे। जिमी एक टैक्सी ड्राइवर हैं और लालनुनमावी एक गृहिणी हैं।
 
इस दंपति का सपना है कि वो अपने बच्चों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) जैसी विशिष्ट सरकारी सेवाओं में शामिल होते देखें।
 
जिमी ने कहा, ''वो अपनी अच्छी देखभाल करने के अलावा समाज में भी योगदान देंगे।'' यह कहते हुए जिमी के चेहरे पर फीकी लेकिन गर्वीली मुस्कान थी।
 
लालनुनमावी ने मुझसे कहा, ''यहां के सरकारी स्कूलों की हालत खराब है। निजी स्कूल अच्छे हैं। लेकिन अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना महंगा है। हम चाहते हैं कि सरकार अपना काम ठीक से करे ताकि हम अपने बच्चों को बेहतर खाना खिला सकें और उनकी अन्य ज़रूरतों का ख्याल रख सकें।''
 
अनियमित बिजली आपूर्ति और सड़कों की खराब स्थिति उन्हें परेशान करने वाला एक और मुद्दा था। जिमी ने कहा, ''एक टैक्सी ड्राइवर के रूप में, बाद वाला मुद्दा मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।''
 
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साक्षरता दर के मामले में मिज़ोरम देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक है। इसके अलावा सुव्यवस्थित यातायात प्रबंधन के कारण, मिज़ोरम में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की दर सबसे कम है।
 
क्या है युवाओं का मुद्दा
हम आइज़ोल के एक कैफे में पहली बार मतदाताओं के एक समूह से मिले। 25 साल के हदाशी एक गायक हैं और 26 साल के के। लालरेंपुई एक शोध छात्र हैं। दोनों इस बार पहली बार मतदान करेंगे।
 
मैंने के लालरेंपुई से पूछा कि उनके मन में क्या है। इस सवाल पर उन्होंने कहा, ''हम कई उम्मीदवारों को देखकर उत्साहित हैं जो युवा पीढ़ी से हैं। जहां तक मुद्दों की बात है तो मुझे लगता है कि रोजगार के अवसरों की कमी एक बड़ा मुद्दा है।"
 
सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, मिज़ोरम में एक भी महिला विधायक नहीं है।
 
हदासी कहती हैं कि वे रूढ़िवादी व्यवस्था के खिलाफ हैं। वो कहती हैं, ''यहां हम एक कलाकार या फैशन डिजाइनर या चित्रकार बनना चाहते हैं, लेकिन ज्यादातर माता-पिता हमें सरकारी नौकरी करने के लिए मजबूर करेंगे। हमारे माता-पिता को हमारे सपनों को बर्बाद किए बिना हमारा मार्गदर्शन करने की ज़रूरत है।''
 
वो कहती हैं, ''हम सभी बदलाव चाहते हैं, लेकिन यह तुरंत नहीं आ सकता। अगर यह धीरे-धीरे आता तो ठीक होता।''
 
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