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Written By BBC Hindi
Last Updated : सोमवार, 19 अप्रैल 2021 (12:41 IST)

कोरोनाः राजस्थान के हालात एक सप्ताह में कैसे बद से बदतर हो गए

Coronavirus | कोरोनाः राजस्थान के हालात एक सप्ताह में कैसे बद से बदतर हो गए
मोहर सिंह मीणा (जयपुर से, बीबीसी हिन्दी के लिए)
 
राजस्थान में कोरोना संक्रमण का एक साल बीतने के बाद जैसे-तैसे पटरी पर आ रही ज़िन्दगी के पहिये फिर थम गए हैं। इन दिनों अस्पतालों में बेड लगभग फ़ुल हो चुके हैं। संक्रमित मरीज़ों की संख्या बेहद तेज़ी से बढ़ रही है, राज्य में बीते एक सप्ताह में हालात तेज़ी से बिगड़े हैं।
 
डॉक्टर्स भी कोरोना की दूसरी लहर को भयावह बता रहे हैं। राज्यभर में कर्फ्यू लगा दिया गया है और बाज़ार समेत सभी सार्वजनिक स्थान बंद करा दिए गए हैं। सड़कें सुनसान और अस्पतालों में मरीज़ों की कतारें नज़र आ रही हैं।
 
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) के कोविड इंचार्ज डॉक्टर अजीत शेखावत कोरोना की दूसरी लहर से संक्रमित हो रहे मरीज़ों पर बात करते हुए बताते हैं कि 'पहले से ज़्यादा संख्या में मरीज़ आ रहे हैं। आरयूएचएस में क़रीब 80 फीसदी बेड फ़ुल हो चुके हैं। जिस तरह से लगातार मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है, यह पैनिक वाली स्थिति है। कोरोना संक्रमित मरीज़ों में अब युवाओं की संख्या ज़्यादा है।'
 
व्यवस्थाओं और स्टाफ़ को लेकर डॉक्टर शेखावत कहते हैं, 'सुविधाओं के लिए सभी पुख्ता इंतज़ाम हैं लेकिन बेड लगभग फुल हो चुके हैं। स्टाफ़ के लिए हमने सरकार को लिखा है, अब डॉक्टर्स भी आ रहे हैं और नर्सिंग स्टाफ़ भी।'
 
राज्य में कोरोना संक्रमण की स्थिति
 
राजस्थान में एक सप्ताह पहले 10 अप्रैल को जहां 24 घंटे में 4401 मामले और 18 मौत दर्ज हुई थीं, वहीं एक सप्ताह बाद 17 अप्रैल को यह आंकड़ा दो गुना से ज़्यादा हो गया। बढ़ते संक्रमण के मामलों को देखते हुए इन्हीं दिनों में सरकार ने सख़्ती का फैसला लिया, राज्यभर में कर्फ्यू और सार्वजनिक स्थानों को बंद कर दिया गया।
 
कोरोना से संक्रिमत मरीज़ों का रिकवरी रेट राजस्थान में शुरुआती दौर से ठीक रहा था, लेकिन दूसरी लहर में मरीज़ों की संख्या बढ़ने के साथ ही रिकवरी रेट में गिरावट आना शासन-प्रशासन के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।
 
10 अप्रैल को राज्य में 4401 मामले और 18 मौतें दर्ज हुईं, 11 अप्रैल को 5105 मामले और दस मौतें। 12 अप्रैल को 5771 मामले और 25 मौतें हुईं।
 
13 अप्रैल को 5528 मामले मिले और 28 मौतें दर्ज हुईं। 14 अप्रैल को 6200 मामले और 29 मौतें। 15 अप्रैल को 6658 संक्रमण के मामले और 33 मौतें। 16 अप्रैल को संक्रमित मरीज़ों का आंकड़ा 7359 और 31 मौतें हुई। 17 अप्रैल को राजस्थान में 9,046 संक्रमित मरीज़ मिले और 37 मौतें हुईं। वहीं 18 अप्रैल को राज्य में पहली बार एक दिन में रिकॉर्ड 10,262 मरीज़ मिले जबकि 42 मौतें हुईं हैं।
 
उपरोक्त आंकड़े राज्य में कोरोना का हाल बयान कर रहे हैं। किस तरह एक सप्ताह में ही संक्रमित मरीज़ों और मौत का आंकड़ा दो गुना हो गया। बढ़ते आंकड़े से जहां सरकार की नींद उड़ी हुई है वहीं जनता में भी खौफ़ का माहौल है।
 
किन ज़िलों में सबसे अधिक मामले
 
राज्य में कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मामले जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा समेत बड़े शहरों से सामने आ रहे हैं। चौंकाने वाली बात है कि कोरोना की दूसरी लहर में ग्रामीण इलाकों से भी बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं।
 
सरकारी आंकड़ों पर नज़र डालें तो राज्य में अब तक संक्रमित लोगों का आंकड़ा चार लाख पहुंच चुका है। इनमें से वर्तमान में 67 हज़ार एक्टिव केस हैं। अब तक कोरोना के कारण 3,151 लोगों की जान जा चुकी है।
 
प्रदेश में अब तक 7 लाख 76 हज़ार सैंपल की जांच की जा चुकी है, जिनमें चार लाख लोग कोविड-19 से संक्रमित पाए गए।
 
जयपुर के रहने वाले आशीष अग्रवाल के मामा इन दिनों कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं, उनका एक निजी अस्पताल में इलाज जारी है। बीते दिनों कोरोना मरीज़ों की संख्या में हुए बदलाव को लेकर वह बताते हैं, 'मामाजी को दो अप्रैल को कोरोना की पुष्टि होने पर भर्ती कराया। उन दिनों यहां मरीज़ों की संख्या सामान्य थी। लेकिन छह अप्रैल से धीरे-धीरे मरीज़ों की संख्या बढ़ती गई। अब हालात बेहद ज़्यादा बिगड़ चुके हैं।'
 
आशीष अग्रवाल कहते हैं, 'बीते चार-पांच दिनों में मरीज़ों की संख्या में बहुत बढ़ोत्तरी हुई है। अब कई दवाइयां भी आसानी से नहीं मिल रही हैं। यही हालात रहे तो न जाने क्या होगा।'
 
उदयपुर में कलेक्टर ने पुलिस प्रशासन को सख्ती से गाइडलाइंस के पालन करने के निर्देश दिए हैं। गुजरात सीमा से सटा होने के कारण वहां से वापस लौट रहे प्रवासी मज़दूर और गुजरात के लोगों की जांच की जा रही है। बिना आरटीपीसीआर रिपोर्ट के राजस्थान सीमा में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।
 
हालात को भांपते हुए चिकित्सा कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द की जा रही हैं। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल समेत अन्य अस्पताल और ज़िलों में भी आदेश जारी कर कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।

 
सरकार ने अब तक क्या किया
 
अप्रैल 2020 के दिनों की तरह ही एक साल बाद अब फिर राज्य की सड़कें सुनसान हैं। पूरे प्रदेश में कर्फ्यू लगा हुआ है। बाज़ार, जिम, सिनेमाहॉल, स्कूल, कॉलेज-विश्वविद्याल समेत सभी सार्वजनिक स्थान बंद हैं।
 
राज्य सरकार ने बढ़ते संक्रमण के कारण रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी की आशंका के चलते रेमडेसिविर और टोसिलिजुमैब इंजेक्शन काउंटर पर बेचने और इसके स्टॉक पर पाबंदी लगा दी है। ज़रूरत होने पर निजी अस्पतालों को सीएमएचओ, कलेक्टर और औषधि नियंत्रण से संपर्क करने के आदेश हैं।
 
मार्च और अप्रैल दो महीनो में राज्य में कोरोना से 52 मौत हुई थीं। लेकिन 13 और 14 अप्रैल यानी दो दिन में ही 57 मौत हुईं। जिसके बाद सरकार ने तुरंत सख़्ती करते हुए नई गाइडलाइंस जारी कीं।
 
16 अप्रैल से सभी कोचिंग, स्कूल, कॉलेज, लाइब्रेरी, धार्मिक स्थान, त्योहार, मेले, जिम, स्विमिंग पूल समेत सभी तरह के सार्वजनिक स्थान बंद कर दिए गए।
 
शादी और निजी आयोजनों में 50 लोगों की सीमा तय कर दी गई। रेस्टोरेंट में टेक अवे को ही मंज़ूरी दी गई। सार्वजनिक वाहनों में भी सशर्त पाबंदी लगा दी गई है, राज्य में बाहर से आने वाले लोगों को 72 घंटे के भीतर आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव दिखाने पर ही प्रवेश मिलेगा।
 
राजस्थान माध्यमिक बोर्ड की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। आठवीं, नौवीं और ग्यारहवीं के छात्रों को बिना परीक्षा ही प्रमोट करने का फैसला किया गया है।
 
राज्य में शुक्रवार शाम छह बजे से सोमवार सुबह पांच बजे तक वीकेंड लॉकडाउन जारी है। ऐसे में ज़रूरी सेवाओं को छोड़ बाकी सभी स्थान व संस्थाएं बंद रखी गई हैं।
 
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी ज़िला कलेक्टर और वरिष्ठ डॉक्टर्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए मीटिंग कर कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा की। सरकार ने रविवार को कैबिनेट की हुई बैठक में लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए 19 अप्रैल से 3 मई की सुबह पांच बजे तक के लिए कर्फ़्यू या लॉकडाउन लगा दिया है।
 
कोरोना के बढ़ते प्रकोप से बचाव के लिए सरकार पर्याप्त सुविधाओं का दावा कर रही है। हालांकि, जिस तेज़ी से मरीज़ सामने आ रहे हैं यह सुविधाएं कम पड़ती नज़र आ रही हैं।
 
राज्य में अभी 42886 आइसोलेशन बेड, 8532 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड एवं 2326 आईसीयू बेड उपलब्ध होने का दावा चिकित्सा विभाग कर रहा है। हालांकि, जिस तेज़ी से संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं उनको देखते हुए अतिरिक्त व्यवस्था जल्द की जानी चाहिए।
 
राज्य में 67 (राजकीय- 36, निजी-29, केंद्रीय-2) लैब हां जहां प्रतिदिन 70 हज़ार जांच की सुविधा और 153 आरटीपीसीआर मशीन व 79 आरएनए एक्सट्रेक्टर मशीन होने का दावा सरकार कर रही है।
 
वर्तमान में कोविड-19 के मरीज़ों के इलाज के लिए 429 संस्थान उपलब्ध हैं। इनमें से 282 कोविड केयर सेंटर, 87 कोविड हेल्थ सेंटर एवं 60 कोविड अस्पताल हैं। जबकि, 225 निजी अस्पतालों को कोविड-19 के इलाज के लिए अधिकृत किया जा चुका है।
 
गंभीर मरीज़ों के लिए एसएमएस, बीकानेर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर समेत अन्य 12 मेडिकल कॉलेज में प्लाज़मा थैरेपी की सुविधा (9 राजकीय और 3 निजी मेडिकल कॉलेज) उपलब्ध है।
 
राज्य में कोरोना संक्रमण के संदिग्ध मरीज़ों को निगरानी में रखने और इलाज के लिए 114288 क्वारंटाइन बेड एवं 42112 आइसोलेशन चिन्हित करने का दावा सरकार की ओर से किया गया है।
 
कोविड-19 के मरीज़ों के इलाज के लिए 1749 वेंटिलेटर हैं और सभी ज़िला व उपज़िला अस्पतालों में सेंट्रलाइज़्ड ऑक्सीजन पाइपलाइन बनाई जा चुकी है।
 
43 स्थानों पर ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट स्थापित करने हैं, जिनमें 25 प्लांट बनाए जा चुके हैं जबकि 18 बनाए जा रहे हैं।
 
राजस्थान में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच वैक्सीनेशन भी जारी है। सरकारी आंकड़ों पर नज़र डालें तो राज्य में अब तक 94 लाख 58 हज़ार 34 को पहली और 14 लाख 16 हज़ार 599 व्यक्तियों को दूसरी डोज़ लगाई जा चुकी है।
 
सरकारी व निजी अस्पतालों में अब तक 1 लाख 19 हज़ार 457 के शिविर आयोजित किए जा चुके हैं। सरकारी दावा है कि अब तक एक करोड़ आठ लाख लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है।
 
सवाई मानसिंह मेडिल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ सुधीर भंडारी भी बताते हैं कि अब युवा मरीज़ ज़्यादा आ रहे हैं, जिनकी ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट ज़्यादा है, मल्टीपल कॉम्प्लीकेशन ज़्यादा है।
 
डॉक्टर भंडारी कहते हैं, 'अभी तक तो सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। लेकिन, जिस तरह तेज़ी से मामले बढ़ रहे हैं यह हमारे लिए चिंता का विषय है।'
 
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जहां पहले से ज़्यादा भयावह हैं, वहीं मरीज़ों के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना भी सरकार के लिए पहले से बड़ी चुनौती है।
 
पहले की तरह अचानक किए गए लॉकडाउन से प्रभावित हुए सैकड़ों लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए सख़्ती को ज़रूरी माना जा रहा है, लेकिन हालात उस तरह न बनें कि लोगों के सामने वह दर्द भरे दिन फिर लौट आएं।(चित्र साभार : मोहर सिंह मीणा, बीबीसी)
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