पॉल एडम्स, बीबीसी न्यूज़, यरूशलम
धीरे-धीरे इस बात का अंदाज़ा लगने लगा है कि इस्माइल हनिया की मौत कैसे हुई है। शुरुआती संकेत बताते हैं कि तेहरान में जिस घर में वह रह रहे थे, वहां रॉकेट गिरने से उनकी और उनके बॉडीगार्ड की मौत हुई है। ज़ाहिर है कि अब सभी की निगाहें इसराइल पर टिकी रहेंगी, जिसने सात अक्टूबर के भयानक हमलों के बाद सभी हमास नेताओं को ढूंढ़ने और सज़ा देने की कसम खाई थी। उस हमले में क़रीब 1200 इसराइली और विदेशी नागरिक मारे गए थे। हालाँकि इसराइल आमतौर पर विदेशों में अपने अभियानों पर टिप्पणी नहीं करता है।
लेकिन यह हमला संभवतः वैसा ही है जैसा कि 19 अप्रैल को नातान्ज़ में ईरान के परमाणु संयंत्र के आसपास उसकी हवाई सुरक्षा को निशाना बनाकर किए गए इसराइली अभियान में किया गया था।
युद्धविराम के लिए कितना बड़ा ख़तरा
ऐसा माना जा रहा है कि इस हमले में इसराइली विमानों ने ईरानी हवाई क्षेत्र के बाहर से रॉकेट दागे हैं। एक तरफ़ हमले की विस्तृत जानकारी भी सामने आ रही है, वहीं इसका राजनीतिक असर भी दिखने लगा है। माना जा रहा है कि इससे ग़ज़ा में युद्ध विराम के लिए बातचीत की मुश्किल कोशिशों को नुकसान पहुंच सकता है।
इस्माइल हनिया का ग़ज़ा में ज़मीनी स्तर पर रोज़ाना की घटनाओं से कोई संबंध नहीं था। बल्कि यह सैन्य कमांडर याह्या सिनवार के अधीन है।
लेकिन निर्वासित हमास नेता के तौर पर हनिया क़तर, अमेरिका और मिस्र की मदद से हो रही बातचीत में एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका में थे।
अमेरिकी अधिकारियों ने हाल ही में कहा था कि युद्धविराम पर बातचीत जल्द ही सफल हो सकती है, हालाँकि पिछले सप्ताह इटली के रोम में हुई बैठक में इस मामले में कोई सफलता नहीं मिली थी। अब यह कहना बेहद मुश्किल होगा कि इस्माइल हनिया की हत्या के बाद इस मामले में अभी कैसे आगे बढ़ा जाएगा।
अभी क्यों हुआ हमला?
अटकलों के अनुरूप अगर ये मान भी लिया जाए कि हन्या की हत्या इसराइल का अभियान था तो भी सवाल ये उठता है कि इसे अभी क्यों अंजाम दिया गया? हमास से जुड़े किसी भी व्यक्ति से बदला लेने की इच्छा के अलावा इसराइल इससे और क्या हासिल करना चाहता था?
तुर्की के विदेश मंत्रालय ने पहले ही इस इलाक़े से आनी वाली कुछ संभावित प्रतिक्रिया को मोटे तौर पर बता दिया है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "यह एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की सरकार का शांति स्थापित करने का कोई इरादा नहीं है।"
फिलिस्तीन प्रशासन के मुख्यालय में रमल्ला में हनिया की मौत की ख़बर के बाद से निराशा पसरी हुई है। फ़लस्तीन की सत्ताधारी पार्टी फ़तह की सेंट्रल कमेटी के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल सबरी सैदाम ने बीबीसी से कहा कि ये नरक के दरवाज़े खुलने जैसा है। उन्होंने कहा कि वह इस ख़बर से सदमे में भी हैं और उनके मन में गु़स्सा भी भरा है।
फ़तह और हमास के बीच दुश्मनी का लंबा इतिहास रहा है। लेकिन सैदाम इस बात को ख़ारिज करते हैं कि हनिया की मौत से फ़तह को किसी भी तरह का फ़ायदा पहुंच सकता है।
वह कहते हैं, "फिलिस्तीन राजनीति में ऐसी भावना कभी नहीं देखी गई कि नेतृत्व को हटाकर आगे बढ़ा जाए। अगर इससे कुछ होगा तो वह ये कि संघर्ष और आक्रोश पहले से भी ज़्यादा बढ़ेगा।"
रमल्ला और वेस्ट बैंक के पास हड़ताल का एलान किया गया है। दुकानें बंद हैं और विरोध मार्च हो रहे हैं। ये रमल्ला में फिलिस्तीन प्रशासन के लिए एक अजीब स्थिति हो सकती है।
सबसे ताज़ा ओपनियन पोल में इस्माइल हनिया को उनसे वरिष्ठ फिलिस्तीन राष्ट्रपति महमूद अब्बास से ज़्यादा लोकप्रिय बताया गया था। इस हमले की टाइमिंग से पता चलता है कि यह शनिवार को हुए हिज़्बुल्लाह के रॉकेट हमले का बदला था। इसराइल ने इस हमले के बाद चेतावनी दी थी कि वह इसके ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई कर सकता है।
इसराइल का संदेश
उस हमले में इसराइल के कब्ज़े वाले गोलान हाइट्स में द्रूस समुदाय के 12 बच्चों और युवाओं की मौत हो गई थी।
इसराइल के बदले की कार्रवाई में मंगलवार रात को लेबनान के बेरूत में हिज़्बुल्लाह के एक कमांडर की भी मौत हुई थी।
इसराइल के अधिकारी अक्सर इशारा करते हैं कि ईरान मध्य पूर्व में तथाकथित प्रतिरोध की लकीर का केंद्र है, जिसमें लेबनान में हिज़्बुल्लाह; ग़ज़ा और पश्चिमी तट में हमास और यमन में हैती शामिल हैं।
इसराइल ने बेरूत में हिज़्बुल्लाह को और हाल ही में होदेदाह में हैतियों को बड़ा झटका दिया था। अब ईरान में हमास नेता की हत्या चरमपंथी समूहों और उनके ईरानी समर्थकों को एक संदेश देती है कि आप चाहे कहीं भी हों, इसराइल आप पर हमला कर सकता है और करेगा।