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Last Modified: शनिवार, 27 मई 2017 (13:06 IST)

चरमपंथियों की 'सेक्स गुलाम औरतों' की अंधेरी दुनिया

चरमपंथियों की 'सेक्स गुलाम औरतों' की अंधेरी दुनिया - Al-Shabab sex slave
- शैरलोट एटवूड (मोमबासा)
"कई पुरुष आए और सेक्स के लिए मजबूर किया। मैं नहीं बता सकती, वो कितने थे।" कीनिया में इस्लामी चरमपंथी संगठन 'अल शबाब' की ओर से अगवा की गई महिलाओं में से एक ने ये बयान दिया है।
 
इन महिलाओं को सेक्स स्लेव (सेक्स के लिए गुलाम बनाए गए) के रूप में सोमालिया ले जाया गया था। कीनिया की रहने वाली सलामा अली ने जब अपने दो छोटे भाईयों के गुमशुदा होने की तहक़ीक़ात की तब इन महिलाओं की कहानी सामने आई।
 
उन्हें पता चला कि केवल चरमपंथ की ओर आकर्षित लड़के ही पड़ोसी सोमालिया में अल शबाब चरमपंथियों के साथ शामिल नहीं हो गए बल्कि इस ग्रुप की ओर से महिलाओं का अपहरण और उन्हें सेक्स स्लेव के रूप में तस्करी भी की गई।
सलामा ने पड़ताल बहुत गोपनीय तरीके से की, क्योंकि सरकारी सुरक्षा बलों को संदेह होने का डर था। वो मोमबासा और इसके आसपास के इलाकों में इन महिलाओं से गोपनीय तरीके से मिलीं और गायब हुए पुरुष रिश्तेदारों के बारे में जानकारियां हासिल कीं। सलामा कहती हैं, "हमने पाया कि वहां हममें से कई महिलाएं थीं।"
 
नौकरी का लालच और अपहरण : उन्हें कुछ ऐसी महिलाएं भी मिलीं जिन्हें जबरदस्ती सोमालिया ले जाया गया। इन में उम्रदराज़ और बूढ़ी, ईसाई और मुस्लिम, मोमबसा और कीनिया के अन्य तटीय इलाकों से आने वाली महिलाएं शामिल थीं।
 
उन्हें कस्बे और विदेशों में ऊंची वेतन वाली नौकरियों का लालच दिया गया और फिर उनका अपहरण कर लिया गया। पिछले सितम्बर में सलामा ने काउंसिलर की ट्रेनिंग ली और वापस आने वाली महिलाओं के लिए एक सीक्रेट सपोर्ट ग्रुप स्थापित किया। जब ये बात महिलाओं को पता चली तो कई महिलाओं ने उनसे सम्पर्क किया।
 
कुछ के बच्चे हो गए थे, कुछ को एचआईवी संक्रमण हो गया था और कुछ मानसिक अवसाद में चली गई थीं। ये सभी खुले तौर पर बोलने से डरी हुई थीं क्योंकि उन पर अल शबाब का समर्थक होने का संदेह हो सकता था।
'सभी सेक्स के लिए आते थे'
सलामा बताती हैं कि वो अंधेरे कमरे में इन महिलाओं से मिलीं। एक महिला ने बताया, "आदमी बारी बारी से आते थे और मेरे साथ सेक्स करते थे। मैं नहीं बता सकती उनकी संख्या कितनी रही होगी।" उसने बताया, "उन तीन सालों में, जो भी आता था, मेरे साथ सोने आता था।"
 
एक दूसरी महिला ने बताया, "वो हर रात एक महिला के लिए दो या तीन आदमियों को लेकर आते थे। हमारा बार बार रेप किया जाता।" ऐसा लगता है कि कुछ महिलाओं को अल शबाब चरमपंथियों की पत्नी बनने को मज़बूर किया गया, जबकि बाकियों को वेश्यालय में गुलाम की तरह क़ैद किया गया था।
 
अल शबाब सोमालिया में कट्टरपंथी इस्लामिक स्टेट बनाने की लड़ाई लड़ रहा है और उसने उन पड़ोसी देशों पर भी हमले करना शुरू कर दिया है, जिन्होंने अफ़्रीकन यूनिय फ़ोर्स के रूप में अपने जवानों को उनसे लड़ने के लिए भेजा है। कीनिया अल शबाब के हमलों का सामना कर रहा है और इसकी सेना सोमालिया की सीमा से घने बोनी जंगल में चरमपंथियों की तलाश कर रही है।
 
आंखों पर पट्टी बांध कर रेप
बीबीसी ने ऐसी 20 महिलाओं के साथ बात की और सबने कहा कि उन्हें इन घने जंगलों में क़ैद करके रखा गया या उन्हें यहां से ले जाया गया। सलामा से मिलने वाली एक महिला फेथ हाल ही में अल शबाब के चंगुल से भाग कर लौटी हैं। जब वो 16 साल की थीं उन्हें एक बुजुर्ग दंपत्ति ने मालिंदी और बाद में तटीय इलाके में नौकरी का लालच दिया। अगले दिन वो 14 अन्य यात्रियों के साथ बस में सवार हुईं, जहां सबको पानी में नशीला पदार्थ दिया गया।
वो बताती हैं, "जब हमें होश आया, उन्होंने खुद को एक कमरे में पाया जहां दो आदमी मौजूद थे। उन्होंने आंखों पर पट्टियां बांध दीं और उसी कमरे में रेप किया।"
 
उन्हें फिर से नशीला पदार्थ दिया गया। फेथ को जब होश आया तो उन्होंने खुद को घने जंगल में पाया और बताया गया कि अगर उन्होंने भागने की कोशिश की तो उन्हें मार दिया जाएगा। तीन साल तक उन्होंने अल शबाब के लंबी लंबी दाढ़ी रखने वाले लड़ाकों के लिए खाना पकाते हुए गुजारा।
 
बलात्कार की वजह से वो प्रेगनेंट भी हुईं और उस जंगल में अकेले ही अपने बच्चे को जन्म दिया। वो बताती हैं, "मेरी दादी परंपरागत दाई थीं, इसलिए मुझे इसके बारे में कुछ जानकारी थी। मैं जंगल में प्रसव से अकेली जूझती रही।"
 
भर्ती करने की योजना का हिस्सा
आखिरकार जब जड़ी बूटी खोजने वाले लोग आए तो उनके सहारे वो अपनी बेटी के साथ भागने में कामयाब रहीं। बीबीसी से बात करने वाली कई महिलाएं अल शबाब की कैद में रहती हुई मां बनीं।
 
पूर्व अल शबाब लड़ाके की पत्नी सारा कहती हैं कि ये कोई संयोग नहीं था। वो कहती हैं कि चरमपंथियों की एक नई पीढ़ी पैदा करने के लिए यह एक व्यस्थित योजना का हिस्सा था, क्योंकि सोमालिया के कैंपों में रह रहे लोगों की भर्ती करना आसान नहीं है और बच्चों को आसानी से चरमपंथी बनाया जा सकता है।
 
वो कहती हैं, "मेरे कैंप में ऐसी महिलाएं थीं जिन्हें अन्य महिलाओं को भर्ती करने के लिए भेजा गया था। वो अपनी संख्या बढ़ाना चाहते थे, इसलिए वो बच्चे पैदा करने के लिए औरतें चाहते थे।" उन्होंने बताया कि उनके कैंप में 300 कीनियाई महिलाएं थीं।
 
एक अन्य महिला एलिज़ाबेथ की बहन को दो साल पहले सउदी अरब में नौकरी का लालच दिया गया। एक महीने बाद उसने एलिजाबेथ से बात की, "उसने बताया कि वो सोमालिया में अल शबाब के एक कैंप में बहुत बुरी हालत में है।"
 
कीनिया की सरकार का कहना है कि उसे इस समस्या की जानकारी है लेकिन महिलाएं सामने नहीं आ रही हैं इसलिए ये कितनी बड़ी समस्या है, इसके बारे में अनुमान लगाना कठिन है।
 
(सुरक्षा की दृष्टि से इन महिलाओं के नाम बदल दिए गए हैं।)
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