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Written By BBC Hindi
Last Modified: रविवार, 8 मई 2022 (07:56 IST)

महाराष्ट्र का सोंडेघर गांव: दंगा रोकने के लिए हिंदू-मुसलमानों ने किया 100 साल का समझौता

महाराष्ट्र का सोंडेघर गांव: दंगा रोकने के लिए हिंदू-मुसलमानों ने किया 100 साल का समझौता - 100 years agreement of hindu muslims to stop roits
मुश्ताक खान, बीबीसी मराठी
सोंडेघर गांव में लगा ये बोर्ड रास्ते से गुजर रहे लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। सोंडेघर, महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले का एक छोटा सा गांव है। जहां की आबादी मुश्किल से एक हजार है। इस गांव में सभी जातियों और धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते हैं।
 
कोई धार्मिक या सांप्रदायिक विवाद न हो, इसके लिए गांव ने सर्वसम्मति से एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। गांव में सभी धर्मों के लोगों ने मिलकर सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए 100 साल का एक समझौता किया है। जब देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं सामने आ रही हैं, ऐसे में सोंडेघर गांव के एक फैसले की काफी तारीफ की जा रही है।
 
गांव ने समझौता क्यों किया?
गांव के एक शिक्षक अब्दुल्ला नंदगांवकर का कहना है, "साने गुरुजी पालगड से दापोली में एजी हाई स्कूल जाते समय इस गांव में नदी पार करते थे। बाद में उन्होंने एक संदेश दिया था कि दुनिया में प्यार फैलाना ही वास्तविक धर्म है। हम उन्हीं की दी हुई प्रेरणा के सहारे आगे बढ़ रहे हैं।"
 
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने ये एकता समझौता इसलिए किया है ताकि उनके गांव की शांति भंग न हो और एकता बरकरार रहे। खास बात ये है कि इस गांव में हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध धर्म के लोगों ने सर्वसम्मति से इस समझौते को पारित किया है।
 
प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर सोंडेघर एक बहुत ही खूबसूरत गांव है। ये गांव तीन नदियों के संगम पर बना हुआ है। इनमें पालगड नदी, वनिशी में नदी और गांव की एक नदी शामिल है।
 
गांव के प्रवेश द्वार के पास सोंडेघर ग्राम पंचायत ने एकता संधि का बोर्ड लगाया है। इसे देखकर सड़क से गुजरने वाले लोग चर्चा कर रहे हैं।
 
गांव की तंत मुक्ति समिति के अध्यक्ष संजय खानविलकर ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "देश में धार्मिक वातावरण बहुत ज्यादा खराब हो गया है। हम गांव के लोगों ने एक साथ आकर शांति समझौता किया ताकि हमारा गांव इस खराब धार्मिक वातावरण से प्रभावित ना हो। हमने से सकारात्मक कदम पालगड बीट के पुलिस इंस्पेक्टर विकास पवार की मदद से उठाया है।"
 
सौ साल का समझौता
सोंडेघर गांव में 400 मुस्लिम, 400 हिंदू और 200 बौद्ध लोगों की आबादी है। सभी समुदायों के लोगों ने साथ आकर एक मिनट में इस ऐतिहासिक फैसले को लिया।
 
गांव के उप सरपंच जितेंद्र पवार ने कहा, "इस गांव में कभी कोई सांप्रदायिक या धार्मिक विवाद नहीं हुआ है। हमने ये समझौता 100 साल के लिए किया है ताकि भविष्य में भी कभी ऐसा ना हो। हमारे आने वाली पीढ़ियां भी हमारे इस फैसले के चलते सुरक्षित रहेंगी।"
 
गांव के रहने वाले अनिल मारुति मारचंदे गर्व से कहते हैं, "हमारे गांव के लोग शाहू-फुले-आंबेडकर के विचारों को मानते हैं। पिछले 50 सालों में हमारे बीच कभी कोई विवाद नहीं हुआ, जिसे हम अपना गौरव समझते हैं। मैं आपको गारंटी देता हूं कि ना सिर्फ 100 साल बल्कि भविष्य में इस गांव में कभी कोई दंगा नहीं होगा।"
 
आपसी समझ से फैसला
सोंडेघर गांव के युवा इस फैसले का समर्थन करते हैं। गांव के ही रहने वाले अल्ताफ पठान कहते हैं, "हमारे लिए बेरोजगारी का मुद्दा ज्यादा बड़ा है। अगर कोई विवाद होता है तो आपको खाने को नहीं मिलता। हमें रोजाना कमाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। कोई भी ऐसी स्थिति में किसी विवाद या दंगे को कोई भी तरजीह नहीं दे सकता। 100 साल के लिए किया गया ये समझौता हमारे भविष्य के लिए सबसे अच्छा निर्णय है।"
 
गांव की महिलाओं ने भी 100 साल के लिए किए गए समझौते का स्वागत किया है। गांव की महिलाओं का कहना है कि वे भी पुरुषों के साथ इस प्रक्रिया की हिस्सा हैं।
 
उषा मारचंदे कहती हैं, "गांव की महिलाएं छोटे-छोटे झगड़ों को सुलझाने में सबसे आगे रहती हैं। गांव के स्तर पर हम आपसी समझ से फैसला लेते हैं। हम पुरुषों के साथ इस गांव में शांति कायम रखने की कोशिश करते हैं। हमें विश्वास है कि हमारे गांव में कभी कोई दंगा फसाद नहीं होगा। अब हमें इसकी कोई चिंता नहीं है।"
 
गांव के सरपंच इलियास नंदगांवकर गर्व से कहते हैं, "हमने ये फैसला इसलिए लिया ताकि न केवल हमारे ब्लॉक के लोग, बल्कि जिले के लोग भी इस तरह के फैसले लें। देश को इस फैसले से समझना चाहिए कि आपको विवाद से कुछ नहीं मिलता है। हम इस मुद्दे को समझते हैं और हम उम्मीद करते हैं कि आप इसे भी समझें। मुझे हमारे गांव द्वारा लिए गए निर्णय पर गर्व है।"
 
सरपंच कहते हैं कि अगर गांव में शांति रहेगी तो गांव का विकास होगा। वे कहते हैं, "हमने ये फैसला लिया है। आप भी इस तरह का फैसला ले सकते हैं।"
 
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