पच्चीस साल पहले मुंबई के एक स्कूली टूर्नामेंट में दो खिलाड़ी अपना नाम रिकॉर्ड की किताब में लिखवा रहे थे। सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली को उससे पहले कोई नहीं जानता था लेकिन 24 फरवरी 1988 को शारदाश्रम विद्या मंदिर की तरफ से खेलते हुए 14 साल के सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रनों की साझेदारी की और कुछ साल बाद दोनों खिलाड़ी भारतीय टीम में भी आ गए। लेकिन उस रिकॉर्ड मैच का स्कोर कार्ड अब मौजूद नहीं है, मुंबई स्कूल स्पोर्ट्स एसोसिएशन यानी एमएसएसए ने वो स्कोर कार्ड 15 साल पहले ही जला दिया था।
संघ के क्रिकेट सचिव एचएस भोर से जब बीबीसी ने बात की तो उन्होंने माना कि स्कोर कार्ड अब मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा उस कागज के स्कोर कार्ड को दीमक लग गई और उसमें छेद-छेद हो गए थे, इसलिए करीब 15 साल पहले ही उसे जला दिया गया, आज मुझसे मत पूछिए क्यों? सिर्फ उसी कागज को नहीं बल्की दूसरे कागज भी जो खराब हो गए थे उन्हें भी जला दिया गया।
जिम्मेदारी नहीं भोर या संघ का कोई दूसरा सदस्य इसकी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है। संघ के महासचिव सेबेस्टियन फर्नांडीज ने भी कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता है लेकिन भोर मानते हैं कि चूक तो हो ही गई और उस रिकॉर्ड को बचा के रखना चाहिए था।
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वो कहते है जरूर बचाना चाहिए था। रिकॉर्ड तो रिकॉर्ड होता है। तब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी नहीं था। न हो कंप्यूटर में वो रिकॉर्ड बचा के रखा गया। भोर कहते हैं कि अब तो कंप्यूटर आ गया, अब जो रिकॉर्ड बनते हैं वो सीधे कंप्यूटर में जाते हैं इसलिए अब रिकॉर्ड को कई खतरा नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देश अपने खिलाड़ियों की स्मृतियां संजोकर रखते हैं। ऑस्ट्रेलिया में तो डॉन ब्रैडमैन का मशहूर म्यूजियम है, जहां उनसे जुड़ी हर छोटी-बड़ी चीजें मिल जाती है। कई खेलप्रेमी सचिन तेंदुलकर को भी भारत का ब्रैडमैन मानते हैं लेकिन आज वो ही स्कोर कार्ड मौजूद नहीं है जिसने सचिन को रातों-रात सितारा बना दिया था।
मुंबई स्कूल क्रिकेट की प्रमुख चैंपियनशिप हैरिस शील्ड में शारदाश्रम ने वो मैच सेंट जेवियर्स के खिलाफ खेला था। उस मैच में सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 326 रन बनाए थे जबकि कांबली ने 349 रन बनाए थे और वो भी आउट नहीं हुए थे। साझेदारी के उस रिकॉर्ड को 2006 में हैदराबाद के मोहम्मद शाहबाज टुम्बी और उनके सहपाठी मनोज कुमार ने रन 721 रनों की साझेदारी के साथ तोड़ा था।