• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. तंत्र-मंत्र-यंत्र
  4. shravan mantra
Written By

श्रावण मास में शिव-पूजा से पहले पढ़ें यह नियम, वरना नहीं मिलेगा पूरा फल, मंत्र की गल‍ती कर सकती है बर्बाद

श्रावण मास में शिव-पूजा से पहले पढ़ें यह नियम, वरना नहीं मिलेगा पूरा फल, मंत्र की गल‍ती कर सकती है बर्बाद। shravan mantra jaap rules - shravan mantra
श्रावण भगवान शिव का प्रिय महीना है, इन दिनों चारों ओर से मंत्र जाप की ध्वनि सुनाई देगी, क्योंकि मंत्र हमें हर तरह की सुख-समृद्धि, मोक्ष प्रदान करते हैं। हमारे पुराणों में मंत्रों की असीम शक्ति का वर्णन किया गया है। यदि साधना काल में नियमों का पालन न किया जाए तो कभी-कभी इसके बड़े घातक परिणाम सामने आ जाते हैं। प्रयोग करते समय तो विशेष सावधानी‍ बरतनी चाहिए।
 
मंत्रों का प्रभाव मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्ति के प्रभाव का आधार मंत्र ही तो है क्योंकि बिना मंत्र सिद्धि यंत्र हो या मूर्ति अपना प्रभाव नहीं देती। मंत्र आपकी वाणी, आपकी काया, आपके विचार को प्रभावपूर्ण बनाते हैं। इसलिए सही मंत्र उच्चारण ही सर्वशक्तिदायक बनाता है। 
 
सनातन धर्म के अनुसार मंत्र सिद्धि के लिए आवश्यक है कि मंत्र को गुप्त रखना चाहिए। मंत्र- साधक के बारे में यह बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि वो किस मंत्र का जप करता है या कर रहा है।

यदि मंत्र के समय कोई पास में है तो मानसिक जप करना चाहिए। मंत्र उच्चारण की तनिक-सी त्रुटि हमारे सारे करे-कराए पर पानी फेर सकत‍ी है। इसलिए गुरु के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन साधक को अवश्य करना चाहिए। 
* साधना काल के नियम-
 
किसी भी भक्त को साधना काल में इन नियमों का पालन अनिवार्य है। 
 
नियम-
 
* मंत्र-साधना के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति धारण करें। 
* उपवास में दूध-फल आदि का सात्विक भोजन लिया जाए। 
* श्रृंगार-प्रसाधन और कर्म व विलासिता का त्याग अतिआवश्यक है। 
* साधना काल में भूमि शयन ही करना चाहिए।
* साधना काल में वाणी का असंतुलन, कटु-भाषण, प्रलाप, मिथ्या वचन आदि का त्याग करें। 
* साधना-स्थल के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ साधना का स्थान, सामाजिक और पारिवारिक संपर्क से अलग होना जरूरी है। 
* निरंतर मंत्र जप अथवा इष्‍ट देवता का स्मरण-चिंतन करना जरूरी होता है। 
* जिसकी साधना की जा रही हो, उसके प्रति मन में पूर्ण आस्था रखें। 
* मौन रहने की कोशिश करें। 
 
* मंत्र साधना में किसी भी साधक को चाहिए कि ये प्रयोज्य वस्तुएं-
जैसे- आसन, माला, वस्त्र, हवन सामग्री। 
 
* मंत्र साधना के अन्य नियम-
जैसे- दीक्षा स्थान, समय और जप संख्या आदि का दृढ़तापूर्वक पालन करें, विधिवत पद्धति से की गई साधना से इष्‍ट देवता की कृपा सुलभ रहती है। जबकि विपरीत आचरण करने से मंत्र और उसकी साधना निष्फल हो जाती है।

शिव के प्रिय सरलतम मंत्र-
 
* 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ।' जीवन में कठिन समस्या आने पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का 1 लाख बार जप करें।  
 
* ‍शिव पंचाक्षरी मंत्र- 'ॐ नम: शिवाय'। प्रतिदिन एक माला (108 बार) का जप।
 
 * महामृत्युंजय मंत्र- 'ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ'। प्रतिदिन 108 बार का जप करें।
 
ये भी पढ़ें
क्या अमरनाथ गुफा मुस्लिम गडरिये ने खोजी थी? हकीकत या दुष्प्रचार...