चैत्र नवरात्र में मंदिर में ध्वज जरूर चढ़ाएं, जानिए क्यों
चाहते हैं लहराना विजय पताका, तो चढ़ाएं मंदिर में शुभ ध्वजा
नवरात्र काल में घर की ध्वजा पताका को बदल देना चाहिए, क्योंकि लहराती पताका विजय की निशानी होती है। पताका विस्तार और विजय का सूचक है और यदि नवरात्र काल में नए ध्वज को घर की छत पर वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) स्थापित करें तो जीवन की उन्नति के लिए यह अत्यंत शुभ रहता है। अगर घर पर पताका लहराना नहीं चाहे तो देवी के मंदिर में इन 9 दिनों में अवश्य पताका चढ़ाएं।
नवरात्र में वातावरण को शुद्ध और पवित्र करने के लिए घर में शास्त्रोक्त गुग्गुल, लोहबान, कपूर, देशी घी आदि के धुएं का प्रयोग किया जाना चाहिए। लेकिन अगर श्रद्धा से इतर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो हम पाते हैं कि यह वह समय होता है, जब मौसम में बदलाव हो रहा होता है और घरों में तमाम तरह के जीवाणु और विषाणु पनप रहे होते हैं और इस आहुति के निकले औषधीय धुएं से इनका नाश होता है।
अगर संभव हो तो इनको जलाने के लिए गाय के गोबर के बने उपलों का प्रयोग किया जाए, तो यह अत्यंत शुभ रहता है। पूजाघर में पीले रंग के बल्ब का उपयोग करना शुभ होता है तथा बाकी के कमरों में दूधिया बल्ब का इस्तेमाल करना चाहिए। जीवन में पीले रंग को सफलता का सूचक माना जाता है, पीला रंग भाग्य वृद्धि में सहायक होता है।
सामान्य तौर पर किसी भी पूजन के दौरान ध्वनि का भी विशेष महत्व होता है। इसलिए नवरात्र तो विशेष रूप से शक्ति का पूजन है। वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि शंख व घंटानाद न सिर्फ देवों को प्रिय है बल्कि इससे वातावरण में भी शुद्धि और पवित्रता आती है। वैसे इसे वैज्ञानिक रूप से स्वीकार किया जा चुका है कि शंख ध्वनि सभी प्रकार के बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है।
नवरात्र काल में यदि माता-पिता की प्रात:काल में उठकर चरण वंदना की जाए तो व्यक्ति की सारी लौकिक मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मातृ सेवा करने से व्यक्ति सद्बुद्धि को प्राप्त हो जगत में प्रसिद्धि पाता है।
इन सब बातों के अलावा पुन: विषय पर आएं तो पताका सफलता, कीर्ति, विजय, पराक्रम, यश तथा ख्याति का प्रतीक है। अत: और कोई सावधानियां भूल भी जाएं तो देवी मंदिर में ध्वजा चढ़ाना ना भूलें।