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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

स्वाति नक्षत्र

स्वामी में जन्मा उद्योगपति

स्वाति नक्षत्र
Devendra SharmaND

स्वाति नक्षत्र आकाश मंडल में 15वाँ नक्षत्र होकर इसका स्वामी राहु यानी अधंकार है। कहावत भी है कि जब स्वाति नक्षत्र में ओंस की बूँद सीप पर गिरती है तो मोती बनता है। दरअसल मोती नहीं बनता बल्कि ऐसा जातक मोती के समान चमकता है।

राहु कोई ग्रह नहीं है न ही इसका आकाश में स्थान है। यह पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव है। स्वाति नक्षत्र की राशियाँ उत्तरी धु्रव पर पड़ने के कारण है। ऐसे जातक परिश्रमी होते हैं। ये स्वप्रयत्नों में अपनी नीव रखते हैं और सफलता पाते हैं। यह तुला राशि में आता है। रू रे रो रा नाम से इसकी पहचान होती है। इस नक्षत्र स्वामी की दशा 18 वर्ष की चंद्र के अंशों के अनुसार होती है।

राहु मिथुन व वृषभ में उच्च का माना गया है। तो धनु व वृश्चिक में नीच का माना गया है। कन्या में मित्र का व मीन में शत्रु का माना गया है। राहु उच्च का होकर दशम भाव में हो व शुक्र नवम भाव में या सप्तम भाव में या द्वितीय भाव में या पंचम भाव में हो तो ऐसा जातक सफल राजनीतिज्ञ व भाग्यशाली जीवन जीने वाला होगा।
  स्वाति नक्षत्र आकाश मंडल में 15वाँ नक्षत्र होकर इसका स्वामी राहु यानी अधंकार है। कहावत भी है कि जब स्वाति नक्षत्र में ओंस की बूँद सीप पर गिरती है तो मोती बनता है। दरअसल मोती नहीं बनता बल्कि ऐसा जातक मोती के समान चमकता है।      


शुक्र राहु वृषभ का नवम भाव में या सप्तम भाव में या द्वितीय भाव में हो व शुक्र नवम भाव में या सप्तम भाव में द्वितीय भाव में या पंचम भाव में हो तो ऐसा जातक सफल राजनीतिज्ञ व भाग्यशाली जीवन जीने वाला होगा। शुक्र राहु वृषभ का नवम भाव में ही हो तो ऐसा जातक धनवान होगा, लेकिन कुछ बुरे कार्य में भी हो सकता है।

राहु वृषभ में दशम भाव में हो व शुक्र तृतीय भाव में हो तो ऐसा जातक राजनीतिज्ञ व अपने भुजबल से सफलता पाने वाला होगा। राहु नक्षत्र स्वामी द्वादश भाव में उच्च हो, राशि स्वामी तुला व एकादश भाव में वृषभ का या उच्च का होकर नवम भाव में हो तो ऐसा जातक सफल व्यापारी होकर देश-विदेश में सफलता प्राप्त करता है।

वृषभ का राहु लग्न में शुक्र के साथ हो तो ऐसा जातक राजनीतिज्ञ व अपने भुजबल से सफलता पाने वाला होगा। वृषभ का राहु लग्न में शुक्र के साथ हो तो ऐसा जातक व्यसनी होगा। इसी लग्न में राहु द्वितीय भाव में हो व शुक्र एकादश में हो तो ऐसा जातक धनवान होता है। स्वप्रयत्नों से धन का लाभ पाने वाला उत्तम वक्ता होता है। लग्न में राहु उच्च का हो व राशि स्वामी तुला का हो तो ऐसा जातक उत्तम पढ़ा-लिखा होकर सफल राजनीतिज्ञ भी हो सकता है। भाग्येश व लग्नेश शुक्र शनि के साथ होकर राहु हो तो ऐसा जातक उत्तम व्यवसायी कई उद्योगों का मालिक भाग्यशाली होता है।

लग्न में तुला का शुक्र हो नक्षत्र स्वामी नवम भाव में हो तो ऐसा जातक गोमेद के साथ हीरा पहने तो अपनी चतुराई से उत्तम ज्ञानवान भाग्यशाली होगा। राहु द्वादश में कन्या का हो तो राशि स्वामी शुक्र चतुर्थ, पंचम, दशम में हो तो ऐसा जातक अपनी योग्यता के बल पर उत्तम सफलता पाने वाला, विद्या में उत्तम सफलता पाने वाला होता है। राहु सप्तम में उच्च का हो वही राशि स्वामी उच्च का हो तो ऐसा जातक अपनी पत्नी के द्वारा उत्तम सफलता पाता है। सफल राजनीति व उसकी पत्नी भी कूटनीतिज्ञ होती है।

राहु शुक्र साथ होकर सप्तम भाव में हो तो ऐसे जातक के एक से अधिक संबंध होते हैं, राहु चतुर्थ में हो व शुक्र उच्च का लग्न में हो तो स्थानीय राजनीति में सफल होता है। जनता से संबंधित कार्यों में लाभ पाता है। वृषभ का शुक्र चतुर्थ में हो राहु पंचम में हो तो ऐसा जातक उत्तम भाग्यशाली भूमि भवन, संपत्ति, माता, स्थानीय राजनीति में सफल होता है।