सोमवार, 28 अप्रैल 2025
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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

मृगशिरा नक्षत्र

मृगशिरा के दो चरणों में जन्मा सफल राजनीतिज्ञ

मृगशिरा सफल राजनीतिज्ञ
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मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम 2 चरण वृषभ राशि में आते हैं। जहाँ नक्षत्र स्वामी मंगल है वहीं राशि स्वामी शुक्र इन दोनों ग्रहों के साथ यदि जन्म लग्न का स्वामी भू अनुकूल हो तो ऐसा जातक सफल, ाजनीतिज्ञ माना जाता है। नक्षत्र स्वामी मंगल की दशा इस नक्षत्र पर 3 वर्ष 6 माह स्थितिनुसार जन्म के समय भोगना पड़ती है।

मंगल यदि अनुकूल स्थिति में हो तो कष्ट नहीं होता। यदि मंगल नीच राशि में होकर द्वितीय या सप्तम या अष्टम भाव में हो तो जन्म के समय मृत्युतुल्य कष्ट भोगना पड़ता है। इस नक्षत्र में पड़ने वाले नाम वे, वो है। मंगल के बाद राहू, फिर गुरु की महादशा चलती है। मंगल जहाँ कम समय के लिए हैं, वही राहू की महादशा बाल्यावस्था से लेकर युवा होने तक चल सकती है, अतः राहू की स्थिति को भी जान लेना होगा। राहू यदि जन्म पत्रिका में नीच का या अशुभ स्थिति में हो तो उस बालक का बचपन उद्दण्ड तरीके से व्यतीत होगा ही, इसके बाद उसमें बदलाव आकार सुधार आएगा, लेकिन पढ़ाई की उम्र निकल जाएगी और फिर वह बालक पढ़ने में ध्यान नहीं लगाएगा।

यदि राहू की स्थिति उत्तम हुई तो ऐसा बालक चतुर, ज्ञानी समझदार भी होगा। मंगल जन्म लग्न में मकर, धनु, मीन, सिंह, मेष, वृश्चिक का होकर नवम पंचम, लग्न दशम भाव में उत्तम फलदाता होगा। चतुर्थ भाव में भी उच्च का छोड़कर शुभ परिणाम देगा। नीच का मंगल तृतीय भाव में हो तो भाइयों का सुख नहीं देगा, लेकिन भाग्यशाली बनाएगा। शुक्र जो राशि स्वामी है वो वृषभ, तुला, मीन, मकर, कुंभ राशि का होकर शुभ स्थान में पड़ा हो तो शुभ परिणामों को बढ़ाने वाला होगा।
मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम 2 चरण वृषभ राशि में आते हैं। जहाँ नक्षत्र स्वामी मंगल है वहीं राशि स्वामी शुक्र इन दोनों ग्रहों के साथ यदि जन्म लग्न का स्वामी भू अनुकूल हो तो ऐसा जातक सफल, राजनीतिज्ञ माना जाता है।


मेष लग्न में मंगल लग्न, दशम, नवम, पंचम, तृतीय भाव में शुभ परिणाम देगा। वृषभ में तृतीय भाव में सुख, चतुर्थ और नवम भाव में शुभ परिणाम देगा, मिथुन लग्न में एकादश, दशम, पंचम, षष्ट भाव में अनुकूल परिणाम मिलेंगे। कर्क लग्न में पंचम, नवम, सप्तम तृतीय भाव में शुभ परिणाम देगा। सिंह लग्न में नवम पंचम, लग्न चतुर्थ, तृतीय भाव में शुभ परिणाम देगा। कन्या लग्न में चतुर्थ भाव में कुछ शुभ परिणाम देगा।

तुला लग्न में अकाकर होगा, वृश्चिक लग्न में पंचम लग्न में हो तो शुभ परिणाम देगा। धनु लग्न में, पंचम भाव में नवम भाव में, चतुर्थ भाव में, तृतीय भाव में शुभ परिणाम देगा। मकर लग्न में स्थिति अनुसार स्वयं को परिणाम मिलेंगे। कुंभ लग्न में सप्तम, चतुर्थ दशम पंचम भाव में द्वादश भाव में परिणाम शुभ रहेंगे।

मीन लग्न में लग्न नवम, दशम, तृतीय भाव में शुभ परिणाम देगा। इसी प्रकार शुक्र की स्थिति अनुकूल रही तो परिणाम दोगुने होंगे। भारत के राष्ट्रपति रहे स्वर्गीय डॉ. राजेंद्रप्रसाद मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम चरण में हुए थे। आपकी पत्रिका में धनु लग्न की होकर पंचमेश नक्षत्र स्वामी मंगल लग्न में दशमेश बुध के साथ था, वहीं शुक्र राशि स्वामी एकादश भाव में स्वराशि तुला का था।

लग्नेश गुरु की स्थिति भाग्य नवम भाव में थी वहीं राहू दशम भाव में मित्र राशि का था। आपको मंगल के बाद राहू गुरु का परिणाम अति शुभ परिणाम देने वाला साबित होकर भारत के राष्ट्रपति पद तक पहुँचे।
मृगशिरा के अंतिम चरण में जन्मा विद्वान होगा

Devendra SharmaND
मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरण मिथुन राशि के अंतर्गत आते हैं। इसका स्वामी मंगल है, वहीं असकी भाग्य दशा चंद्र की स्थितिनुसार होकर 3 वर्ष 6 माह से शुरू होती है। मंगल के बाद राहू की महादशा चलती है। फिर ज्ञान के देवता गुरु की फिर शनि की महादशा चलती है। इन तीनों महादशाओं के स्वामियों का जातक के जीवन पर सर्वाधिक असर आता ही है।

मृगशिरा नक्षत्र में जन्मा जातक मंगल बुध के प्रभाव में जीवन भर रहता है। इनकी जन्मकुंडली में अनुकूल स्थिति विद्वान, साहसी, पराक्रमी, मान-प्रतिष्ठादायक होती है। मंगल मेष लग्न में हो व बुध तृतीय भाव में हो तो ऐसे जातक उत्तम साहसी व स्वप्रयत्नों से ऊँचा उठने वाले होते हैं। ऐसे जातकों को लेखन से, जनता से संबंधित कार्यों में लाभ होता है। मंगल की इस लग्न में स्थिति मिथुन राशि में सर्वाधिक अनुकूल रहेगी। वृषभ लग्न में मंगल तृतीय पंचम नवम भाव में अनुकूल रहेगी, वहीं राशि स्वामी बुध पंचम, चतुर्थ, नवम, द्वितीय भाव में शुभ स्थिति रहती है। मंगल तृतीय में हो, बुध चतुर्थ में हो तो ऐसा जातक कम पढ़ा-लिखा होने पर भी विद्वान होता है। ऐसे जातक सलाहकार ज्योतिष भी हो सकते हैं।

मिथुन लग्न में मंगल, जहाँ लग्न चतुर्थ, पंचम दशम एकादश भाव में हो तो ठीक रहेगा। वहीं राशि स्वामी बुध लग्न, चतुर्थ, तृतीय नवम भाव में उत्तम परिणाम देने वाला होगा। कर्क लग्न में मंगल पंचम, द्वितीय, नवम सप्तम भाव में अनुकूल परिणाम देगा।

वहीं राशि स्वामी बुध तृतीय में पराक्रम से पंचम में विद्या संतान के सप्तम में पत्नी से द्वादश में हो तो बाहर से लाभदायक रहता है। सिंह लग्न में मंगल की स्थिति नवम भाव में, चतुर्थ भाव में लग्न में पंचम भाव में हो तो उत्तम रहेगा।
मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरण मिथुन राशि के अंतर्गत आते हैं। इसका स्वामी मंगल है, वहीं असकी भाग्य दशा चंद्र की स्थितिनुसार होकर 3 वर्ष 6 माह से शुरू होती है। मंगल के बाद राहू की महादशा चलती है।


विशेष चतुर्थ भाव में सर्वाधिक फल मिलता है। ऐसे जातक धर्म-कर्म में भाग्यशाली, भूमि-भवन से अपने प्रभाव से लाभ पाने वाले होते है। बुध की इस लग्न में स्थिति नवम भाव में लग्न में, द्वितीय भाव में पंचम भाव में शुभ परिणाम देगा। कन्या लग्न में नक्षत्र स्वामी मंगल की स्थिति लग्न पंचम, चतुर्थ भाव में बुध लग्न, दशम, चतुर्थ, पंचम भाव में हो तो उत्तम सफलता का कारण होता है।

तुला लग्न में मंगल चतुर्थ सप्तम में उसी जगह का परिणाम शुभ देगा। वहीं बुध राशि स्वामी नवम द्वादश, तृतीय, चतुर्थ, पंचम भाव में उत्तम रहेगा। वृश्चिक लग्न में मंगल, लग्न पंचम, द्वितीय दशम भाव में व बुध लग्न से पंचम भाव में दशम में तृतीय भाव में एकादश भाव में शुभ परिणाम देगा।

धनु लग्न में मंगल लग्न में चतुर्थ में पंचम में नवम भाव में एकादश भाव में द्वितीय में बुध दशम, नवम, सप्तम, चतुर्थ भाव में पंचम में नवम भाव में एकादश भाव में, द्वितीय में बुध दशम नवम सप्तम चतुर्थ भाव में शुभ परिणाम देगा। मकर लग्न में मंगल स्थितिनुसार लग्न चतुर्थ, तृतीय एकादश में रहेगा, वहीं बुध नवम लग्न, तृतीय भाव में हो तो उत्तम परिणाम देगा। कुंभ लग्न में मंगल चतुर्थ, दशम बुध पंचम सप्तम एकादश व अष्टम भाव में हो तो आयुवर्धक होता है। मीन लग्न में मंगल नवम भाव में लग्न में तृतीय सप्तम भाव में शुभ रहेगा। बुध नवम सप्तम दशम चतुर्थ भाव में शुभ रहेगा।

प्रसिद्ध अभिनेता रहे दादामुनि याने अशोक कुमार की पत्रिका में मंगल चतुर्थ भाव में शुक्र की वृषभ राशि पर वहीं राशि स्वामी बुध अष्टम भाव में सूर्य के साथ था। आप कलाकार चरित्र अभिनेता, खलनायक (ज्वेल थीप) में एवं होम्योपेथिक चिकित्सक थे।