वर्ष 2025 के 6 माह बहुत खतरनाक साबित हुए हैं। 55 से ज्यादा देश युद्ध या गृहयुद्ध से त्रस्त हैं। 29 मार्च को शनि ने मीन में गोचर करके पिशाच योग का निर्माण किया तभी से देश और दुनिया के हालात बदल गए है। 14 मई से बृहस्पति मिथुन राशि में अतिचारी हुए हैं जो 8 वर्षों तक अतिचारी रहेंगे। 15 मार्च से 11 जून तक खप्पर योग था और अब 11 जुलाई से लेकर 7 अक्टूबर तक खप्पर योग बना रहेगा। 18 मई से 7 जून तक मंगल और राहु का षडाष्टक योग था। मंगल और केतु की सिंह राशि में 7 जून से युति बनी है। इसे कुंज केतु योग कहते हैं। इसके अलावा 7 जून से 28 जुलाई तक के लिए शनि और मंगल का षडाष्टक योग बना है। इसके बाद फिर से 7 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच पुन: खप्पर योग बनेगा। इस बीच भारत पर किसी प्रकार की विपदा आ सकती है। ऐसे में भारत को 7 कार्य कंप्लीट करके रखना होगा अन्यथा मुश्किल में समय रहेगा।
1. रक्षा और सैन्य तैयारी: सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण: भारत को बहुत तेजी से थल, वायु और नौसेना में अत्याधुनिक हथियार प्रणाली, ड्रोन, AI आधारित निगरानी तंत्र, साइबर डिफेंस आदि की जरूरतों की आपूर्ति पर तेजी से काम करना होगा। स्वदेशी हथियार निर्माण पर बल देना होगा ताकि आपातकाल में विदेशों पर निर्भर न रहना पड़े। थल सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए AI, ड्रोन, लेज़र हथियार और रोबोटिक तकनीक का उपयोग के लिए जरूरी उपकरणों की तय समय तक आपूर्ति की जानी चाहिए। मेक इन इंडिया के तहत टैंक, मिसाइल, युद्धपोत इत्यादि का घरेलू निर्माण तेज करना चाहिए।
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उत्तरी (चीन) और पश्चिमी (पाकिस्तान) सीमाओं पर विशेष पर्वतीय और रेगिस्तानी एक्ट्रा टुकड़ियों को स्थापित करना चाहिए। वहां आधुनिक रडार और उपग्रह निगरानी प्रणाली को बढ़ाने के साथ ही एयर डिफेंस सिस्टम की लेयर बढ़ाना और इसकी अधिक संख्या में तैनाती सुनिश्चित करना चाहिए।
2. परमाणु नीति: भारत को अपने परमाणु हथियारों को गुप्त और सुरक्षित ठिकानों पर रखना होगा। इसी के साथ ही भारत की "No First Use" नीति को बनाए रखते हुए परमाणु शक्ति का संतुलित और विश्वसनीय प्रतिरोधक के रूप में इस्तेमाल करना होगा। भारत को अपने सभी परमाणु ठिकानों की सुरक्षा और गोपनीयता को सुनिश्चित करना होगा।
3. साइबर व स्पेस डिफेंस: युद्ध काल के पहले ही भारत को साइबर युद्ध के लिए अपनी तैयारी को पुख्ता करना होगा। भारत को साइबर सुरक्षा में निवेश करना चाहिए, क्योंकि भविष्य के युद्ध में नेटवर्क, ऊर्जा ग्रिड, बैंकों पर साइबर अटैक आदि क्षेत्र में यह आम बात होगी। बैंकिंग, रेलवे, संचार और रक्षा संस्थानों को साइबर अटैक से सुरक्षित रखने हेतु विशेष तंत्र स्थापित करना होगा। हैकिंग, डेटा चोरी और भ्रामक प्रचार (Fake News) के विरुद्ध नीति बनाना होगी।
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4. स्पेस वारफेयर: ISRO और DRDO को मिलकर उपग्रह-रोधी हथियार (ASAT) व अंतरिक्ष निगरानी क्षमताओं को विकसित करना होगा। इसके लिए बहुत तेजी से समन्वय बिठाकर काम करना होगा। इसी के साथ ही भारत को अपने सैटेलाइट और संचार प्रणली की सुणक्षा को पुख्ता करना होगा। एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (ASAT) के उत्पादन को भी बढ़ाना होगा। गौरतबल है कि 2019 में, भारत ने "मिशन शक्ति" नामक एक ASAT परीक्षण सफलतापूर्वक किया था। ये मिसाइलें अंतरिक्ष में उपग्रहों को नष्ट करने या निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
5. आंतरिक आपदा प्रबंधन: भारत के आंतरिक हालात अन्य देशी की अपेक्षा संवेदनशील है। इसलिए सिविल डिफेंस का नेटवर्क खड़ा करना होगा। आम नागरिकों के लिए प्रशिक्षण, शरणस्थल निर्माण, बंकर, रासायनिक हमलों से बचाव के संसाधन, खाद्य भंडारण, आपात स्वास्थ्य सेवाएं आदि की व्यवस्था करना होगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाना, जल स्रोतों और सिंचाई नेटवर्क की रक्षा करना, कृषि को न्यूनतम निर्भरता वाली बनाना आदि। दूसरा यह कि युद्धकालीन स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए हॉस्पिटल नेटवर्क, फार्मा उत्पादन और मेडिकल स्टाफ की तैयारी रखना होगी। तीसरा यह कि भ्रामक सूचना से बचने के लिए विश्वसनीय सरकारी सूचना प्रणाली विकसित करना। देशभक्ति को उन्मादी न बनाकर विवेकपूर्ण और एकजुटता में बदलना, डिजिटल मीडिया में अफवाह और दुष्प्रचार रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाना भी जरूरी है। मोबाइल अस्पताल, मेडिकल आपूर्ति भंडारण और चिकित्सकों की विशेष टीम गठित करना चाहिए। सरकारी सूचना प्रणाली को मजबूत बनाना ताकि झूठी खबरों पर लगाम लग सके। समाज में साम्प्रदायिक एकता, अफवाहों से बचाव और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना होगा।
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6. आर्थिक मजबूती: भारत को अपने वित्तीय ढांचे को सुरक्षित रखने के लिए डिजिटल रिजर्व, क्रिप्टो-प्रोटेक्शन, और अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के वैकल्पिक मार्ग खोलकर रखना चाहिए। रक्षा के लिए अलग से बजट को तैयार करना और बचत पर ध्यान देना होगा। फालतू के खर्चों पर लगाम लगाना और अर्थव्यवस्था के सभी संसाधनों, बैंकिंग और प्रोडक्शन के सेक्टर की रक्षा करना होगी। इंडस्ट्रियल एरिया की थल और हवाई हमलों से सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगी। तेल, खाद्य पदार्थ, पीने योग्य जल, दवाइयां आदि का दीर्घकालिक भंडारण करना होगा। इसलिए अभी से ही वर्षा जल संरक्षण, सूखा प्रतिरोधी फसलें, और स्थानीय खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। डिजिटल बैंकिंग सुरक्षा, स्वदेशी भुगतान प्रणाली (जैसे UPI) को सुरक्षित बनाना, विदेशी मुद्रा भंडार, गोल्ड रिजर्व और व्यापार वैकल्पिकता पर ध्यान देना चाहिए।
7. कूटनीतिक तैयारी: भारत को अपने मित्रों की संख्या बढ़ाते हुए उनमें विश्वास की भावना को मजबूत करते हुए रक्षा सहयोग और गठबंधन को सुनिश्चित करना होगा। रूस, अमेरिका, फ्रांस, इजराइल, जापान जैसे देशों के साथ रक्षा सहयोग मजबूत करना होंगे। पूर्वी देशों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाना होंगे। जैसे नेपाल, भूटान, बर्मा, श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि। इसी के साथ भारत को पश्चिमी देशों से अपने संबंध को बढ़ाना होंगे। परंपरागत 'गुटनिरपेक्षता' नीति को व्यावहारिक बनाना; किसी पक्ष का अंध समर्थन न करते हुए भारतहित को सर्वोपरि रखना भी आज की जरूरत बन गया है। भारत को संयुक्त राष्ट्र में अपनी सक्रिय भूमिका को निभाते हुए युद्ध को टालने की कोशिशों में सक्रिय रहना, मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहिए। क्योंकि भारत ही एकमात्र देश है जो यह कर सकता है। इसके लिए विदेश मंत्रालय को और ज्यादा मजबूत और सक्रिय के साथ ही योग्य बनाना होगा। संयुक्त राष्ट्र, BRICS, QUAD, SCO जैसे मंचों में भारत की भूमिका को मजबूत करना होगा।
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