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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 6 मई 2024 (14:36 IST)

Vrishabha sankranti 2024: वृषभ संक्रांति कब है और क्या है इसका महत्व?

surya ka rashi parivartan 2024
Vrishabha sankranti  सूर्य की 12 संक्रांतियां होती हैं। सूर्य एक राशि में एक माह रहता है। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति, मेष संक्रांति, मिथुन संक्रांति, धनु संक्रांति और कर्क संक्रांति का खास महत्व माना गया है। जानिए कि वृषभ संक्रांति कब है और क्या है इसका महत्व।
 
कब है वृषभ संक्रांति : सूर्य देव 14 मई 2024 मंगलवार के दिन शाम को 06:04 पर वृषभ में गोचर करेंगे।
 
वृषभ संक्रान्ति पुण्य काल- सुबह 10:50 से शाम 06:04 तक।
वृषभ संक्रान्ति महा पुण्य काल- दोपहर 03:49 से शाम 06:04 तक।
वृषभ संक्रांति 2024 का फल: संसार में तनाव और संघर्ष बढ़ेगा। क्रूर, पापी, भ्रष्ट और अपराधियों का मनोबल बढ़ेगा। महंगाई बढ़ सकती है। लोग खांसी से पीड़ित होंगे और एक माह बारिश का अभाव रह सकता है। यानी 14 जून तक बारिश की संभावना नहीं है।
 
वृषभ संक्रांति का महत्व | Significance of Vrishabh Sankranti:
  • शास्त्रों में वृषभ संक्रांति को मकर संक्रांति के समान ही माना गया है।
  • संस्कृत में 'वृषभ' शब्द का अर्थ 'बैल' है। बैल को नंदी भी कहते हैं जो कि शिवजी का वाहन है।
  • शास्त्रों के अनुसार, वृषभ संक्रांति के दिन पूजा, जप, तप और दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।
  • इस महीने में प्यासे को पानी पिलाने अथवा घर के बाहर प्याऊ लगाने से व्यक्ति को यज्ञ कराने के समतुल्य पुण्यफल मिलता है।
  • वृषभ संक्रांति के दौरान सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में आते हैं और 15 दिनों तक रहते हैं इसमें शुरुआती 9 दिनों तक प्रचंड गर्मी पड़ती है।
  • वृषभ संक्रांति के दिन भगवान शिव के ऋषभ रूद्र स्वरूप और भगवान सूर्य की पूजा किए जाने की परंपरा है।
  • वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य पूजा करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है। इसलिए सूर्य को अर्घ्‍य भी देना चाहिए।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख और समृद्ध जीवन के साथ ही जातक पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
 
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