बुधवार, 18 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. राशियाँ
  4. Jupiter Transit 2024
Last Updated : गुरुवार, 25 अप्रैल 2024 (15:46 IST)

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

गुरु करेंगे वृषभ राशि में प्रवेश, 12 राशियों पर प्रभाव

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव - Jupiter Transit 2024
Guru Ka Rashi Parivartan: 01 मई 2024 को मध्याह्न 1:01 मिनट पर गुरु वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। विगत 1 वर्ष से गुरु मेष में राशि में स्थित हैं। गुरु का यह गोचर स्त्री जातकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। स्त्री जातकों के विवाह में त्रिबल शुद्धि हेतु गुरुबल में गुरु का राशि परिवर्तन विशेष महत्व रखेगा। नवग्रहों के गोचर में देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन अर्थात् गोचर बहुत महत्व रखता है। 
 
गुरु एक राशि में 1 वर्षपर्यंत रहने के उपरांत अपनी राशि परिवर्तित करते हैं। गुरु धनु व मीन राशि के स्वामी होते हैं। कर्क राशि में गुरु उच्च के एवं मकर राशि में गुरु नीचराशिस्थ होते हैं। स्त्री जातकों की जन्मपत्रिका में गुरु की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। गुरु स्त्री जातकों के लिए पति का नैसर्गिक कारक होते हैं। स्त्री जातकों को पतिसुख प्राप्त होने में गुरु की विशेष भूमिका होती है।

यदि किसी स्त्री जातक की कुंडली में गुरु अस्त, वक्री, निर्बल या अशुभ भावों में स्थित होते हैं, तो उसे पतिसुख प्राप्त होने में बाधाएं आती हैं। गुरु बुद्धि व विवेक के भी प्रतिनिधि होते हैं। जन्मपत्रिका में सबल गुरु का होना विद्वत्ता व बुद्धिमत्ता का द्योतक होता है। गुरु चंद्र लग्न अर्थात जन्मकालीन राशि से 2, 5, 7, 9 और 11वें भाव में शुभ फल देते हैं तथा शेष भावों में अशुभ फल देते हैं। 

 
आइए जानते हैं यहां समस्त 12 राशियों पर गुरु का आगामी गोचर कैसा प्रभाव डालेगा...
 
1. मेष- (शुभ) : मेष राशि वाले जातकों के लिए गुरु द्वितीय भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर मेष राशि वाले जातकों के लिए शुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से उन्हें कुटुम्ब सुख की प्राप्ति होगी। धनागम होगा। विवाह एवं पुत्र सुख प्राप्त होगा। चल-अचल संपत्ति की प्राप्ति होगी। पद एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
 
2. वृषभ- (अशुभ) : वृषभ राशि वाले जातकों के लिए गुरु प्रथम भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर वृषभ राशि वाले जातकों के लिए अशुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से उनकी मान-प्रतिष्ठा की हानि होगी। मानसिक भय का संचार होगा। रोजगार और व्यवसाय में परेशानियां एवं अवरोध आएंगे। कार्यों में अनावश्यक विलंब होगा। यात्रा असफल व कष्टदायक रहेगी। व्यय की अधिकता के कारण आर्थिक स्थिति कमजोर रहेगी। सुख में कमी होगी।
 
3. मिथुन- (अशुभ) : मिथुन राशि वाले जातकों के लिए गुरु द्वादश भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर मिथुन राशि वाले जातकों के लिए अशुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से उन्हें कुटुम्बियों व परिवारजनों के वियोग के कारण कष्ट होगा। धनहनि होगी। यात्रा में कष्ट होगा। अनावश्यक व्यय में वृद्धि होगी। आर्थिक स्थिति कमजोर रहेगी। रोग के कारण शारीरिक अस्वस्थता रहेगी। विश्वासपात्र व्यक्ति के द्वारा धोखा मिलने की संभावना है। व्यर्थ के लांछन के कारण प्रतिष्ठा की हानि होगी।
 
4. कर्क- (शुभ) : कर्क राशि वाले जातकों के लिए गुरु एकादश भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर कर्क राशि वाले जातकों के लिए शुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उन्हें धनलाभ होगा। आर्थिक स्थिति अच्छी व सुदृढ़ रहेगी। शत्रुपक्ष निर्बल एवं पराजित होगा। समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। विवाह एवं मांगलिक कार्यों के अवसर प्राप्त होंगे। पुत्र जन्म के कारण पारिवारिक वातावरण सुखमय रहेगा। आजीविका में लाभ होगा। नौकरी में पदोन्नती होगी। व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि एवं लाभ होगा। उत्तम सुख की प्राप्ति होगी। वैभव विलासिता की वस्तुएं प्राप्त होंगी। पुत्र एवं राज्याधिकारियों से सुख एवं लाभ प्राप्त होगा। शुभ कार्यों में वृद्धि होगी।
 
5. सिंह- (अशुभ) : सिंह राशि वाले जातकों के लिए गुरु दशम भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर सिंह राशि वाले जातकों के लिए अशुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से उनकी आर्थिक कमजोर रहेगी। कोई अनचाहा आर्थिक संकट आने की संभावना है। मानहानि होगी। मन खिन्न रहेगा। कार्यों में असफलता प्राप्त होगी। मानसिक अशांति रहेगी। शरीर अस्वस्थ रहेगा।
 
6. कन्या- (शुभ) : कन्या राशि वाले जातकों के लिए गुरु नवम भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर कन्या राशि वाले जातकों के लिए शुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से धनवृद्धि होगी। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ रहेगी। आर्थिक योजनाएं सफल होंगी। पुत्र जन्म होगा। नौकरी में पदोन्नती होगी। राज्य से लाभ मिलेगा। समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। यात्राएं सफल व लाभदायक रहेंगी। मन प्रसन्न रहेगा।
 
7. तुला- (अशुभ) : तुला राशि वाले जातकों के लिए गुरु अष्टम भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर तुला राशि वाले जातकों के लिए अशुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से बंधन, राजभय एवं राजदंड के कारण कष्ट होने की संभावना है। कोर्ट-कचहरी व मुकदमें में पराजय होने की संभावना है। चोरों से भय रहेगा। आजीविका की हानि होगी। व्यापार-व्यवसाय में अवरोध आएंगे। धनहानि होने के कारण आर्थिक स्थिति कमजोर रहेगी। पुत्रों एवं कुटुम्बियों से विरोध होने की संभावना है। यात्रा कष्टपूर्ण एवं असफल रहेगी। मानसिक अवसाद के कारण कष्ट होगा। मन अप्रसन्न रहेगा।
 
8. वृश्चिक- (शुभ) : वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए गुरु सप्तम भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए शुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से इसके प्रभाव से उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उन्हें धनलाभ होगा। आर्थिक स्थिति अच्छी व सुदृढ़ रहेगी। समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। नौकरी में पदोन्नति होगी। व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि एवं लाभ होगा। उत्तम सुख की प्राप्ति होगी। वैभव विलासिता की वस्तुएं प्राप्त होंगी। विवाहादि मांगलिक कार्यों घर का वातावरण सुखमय रहेगा। मन प्रसन्न रहेगा। शरीर निरोगी एवं स्वस्थ रहेगा।
 
9. धनु- (अशुभ) : धनु राशि वाले जातकों के लिए गुरु षष्ठम भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर धनु राशि वाले जातकों के लिए अशुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से रोग के कारण कष्ट होगा। शारिरिक अस्वस्थता के कारण मन खिन्न व अवसादग्रस्त रहेगा। धन की कमी के कारण मानसिक चिंता रहेगी। राज्याधिकारियों से अनबन रहेगी। कार्यों में असफलता प्राप्त होगी। परिवारजनों एवं कुटुम्बियों से वैमनस्य होगा।
 
10. मकर- (शुभ) : मकर राशि वाले जातकों के लिए गुरु पंचम भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर मकर राशि वाले जातकों के लिए शुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से सुख व आनंद में वृद्धि होगी। मन प्रसन्न रहेगा। समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धनलाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति होगी। पुत्र जन्म की संभावना बनेगी। शरीर निरोगी रहेगा। तीर्थयात्रा के अवसर प्राप्त होंगे। मन धार्मिक कार्यों की ओर अग्रसर होगा।
 
11. कुम्भ- (अशुभ) : कुम्भ राशि वाले जातकों के लिए गुरु चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर कुम्भ राशि वाले जातकों के लिए अशुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से मानसिक अशांति रहेगी। मानसिक अवसाद के कारण शारिरिक अस्वस्थता रहेगी। मस्तिष्क संबंधी रोग की उत्पत्ति होने की संभावना है, जिसके कारण कष्ट होगा। धनहानि के कारण आर्थिक स्थिति कमजोर रहेगी। शत्रुपक्ष प्रभावी होगा। विरासत की संपत्ति को लेकर वाद-विवाद होगा। पारिवारिक सुख में कमी आएगी। कुटुंबीजनों एवं भाइयों से वैमनस्य के कारण कष्ट होगा।
 
12. मीन- (अशुभ) : मीन राशि वाले जातकों के लिए गुरु तृतीय भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर मीन राशि वाले जातकों के लिए अशुभ फलदायक रहेगा। इसके प्रभाव से परिवारजनों से वैमनस्य के कारण कष्ट होगा। शारिरिक अस्वस्थता रहेगी। कार्यों में असफलता प्राप्त होगी। आजीविका की हानि होगी। व्यापार-व्यवसाय में अवरोध आएंगे। धनहानि होने के कारण आर्थिक स्थिति कमजोर रहेगी। पद-प्रतिष्ठा की हानि होगी।
 
विशेष निवेदन- (उपर्युक्त फलित गुरु ग्रह के गोचर पर आधारित है। जातक की जन्मपत्रिका में उपस्थित ग्रहयोगों एवं विंशोत्तरी दशाओं, योगिनी दशाओं के कारण इसमें न्यूनाधिक परिवर्तन होना संभव है।)
 
क्या होता है गोचर- 
 
गोचर शब्द 'गम्' धातु से बना है, जिसका अर्थ है 'चलने वाला'। 'चर' शब्द का अर्थ है 'गतिमय होना'। इस प्रकार 'गोचर' का अर्थ हुआ- 'निरन्तर चलने वाला'। ब्रह्मांड में स्थित सभी ग्रह अपनी-अपनी धुरी पर अपनी गति से निरंतर भ्रमण करते रहते हैं। इस भ्रमण के दौरान वे एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं।

ग्रहों के इस प्रकार राशि परिवर्तन करने के उपरांत दूसरी राशि में उनकी स्थिति को ही 'गोचर' कहा जाता है। प्रत्येक ग्रह का जातक की जन्मराशि से विभिन्न भावों में 'गोचर' भावानुसार शुभ-अशुभ फल देता है।
 
अशुभ गुरु की शांति के उपाय- 
 
1. प्रति गुरुवार के दिन किसी वृद्ध ब्राह्मण को सवा किलो बूंदी के लड्डू दान करें।
 
2. प्रति गुरुवार अश्व (घोड़े) को चने की दाल खिलाएं।
 
3. स्वर्ण व पीले वस्त्रों का प्रयोग ना करें।
 
4. प्रति गुरुवार स्वर्ण, हल्दी की गांठ, पीला वस्त्र, चने की दाल, गाय का घी, पीले पुष्प विष्णु मंदिर में चढ़ाएं।
 
5. गुरु की वैदिक ग्रहशांति करवाएं।
 
- ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: [email protected]
 
ये भी पढ़ें
Vallabhacharya Jayanti 2024: श्री वल्लभाचार्य जयंती कब है, श्री कृष्ण का श्रीनाथजी क्या है?