Akhand Samrajya Yoga: अखंड साम्राज्य योग क्या होता है, मां लक्ष्मी की कृपा से बदल जाता है भाग्य
Akhand Samrajya Yoga: ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कई शुभ और अशुभ योग होते हैं। जैसे लक्ष्मी नारायण योग, धन योग, शश योग, मालव्य योग, हंस योग, बुधादित्य योग, शुक्रादित्य योग, पंच महायोग, विपरीत राजयोग, नीचभंग राजयोग आदि। इसी तरह अखंड साम्राज्य योग भी होता है। आओ जानते हैं कि यह कुंडली में कैसे बनता है और क्या फल होता है इसका।
कुंडली में कैसे बनता है अखंड साम्राज्य योग?
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यह योग स्थिर लग्न की कुंडली में ही बनता है। स्थिर लग्न वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ होते हैं।
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जब बृहस्पति 2रे, 5वें या 11वें भाव के स्वामी होते हैं तब भी ये योग बनता है।
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बृहस्पति वृषभ लग्न के लिए 11वें भाव, सिंह लग्न के लिए 5वें वृश्चिक लग्न के लिए 2रे और 5वें भाव और कुंभ लग्न के लिए 2रे और 11वें भाव का कारक माना जाता है। इसके अलावा चंद्र की स्थिति का भी ध्यान रखते हैं।
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यदि कुंडली के 2रे, 9वें और 11वें भाव में बृहस्पति मजबूत चंद्रमा के साथ हो तो अखंड साम्राज्य योग बनता है।
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यह योग तभी बनता है जबकि कुंडली के 2रे, 10वें और 11वें भाव के स्वामी एक साथ केंद्र में स्थित हो।
अखंड साम्राज्य योग के लाभ क्या हैं?
1. यह योग जिस भी जातक की कुंडली में होता है उसे जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है।
2. जातक को अपने पिता के पक्ष की ओर से संपत्ति मिलती है जिसका वह अकेला मालिक होता है।
3. ऐसा जातक हर तरह के कार्यक्षेत्र में सफलता अर्जित करता है।
4. इस योग के कारण जातक सभी तरह की सुख सुविधाओं में रहता हैं।
5. यदि यह योग दूसरे भाव में बना है तो जातक स्टॉक एक्सचेंज, शेयर बाजार और निवेश से लाभ कमाता है।
6. यदि यह योग पांचवें भाव में बना है तो जातक उच्च शिक्षा और संतान सुख प्राप्त करता है।
7. यदि यह योग ग्यारहवें भाव में बना है तो जातक को उपक्रमों में सफलता मिलती है।
8. यदि यह योग नौवें भाव में बना है तो जातक को आध्यात्मिक शक्तियां प्राप्त होती है।