ग़ज़लें : ख्वाजा मीर दर्द
ख्वाजा मीर दर्दजग में आकर इधर-उधर देखातू ही आया नज़र जिधर देखाजान से हो गए बदन खाली जिस तरफ़ तूने आंख भर देखानाला, फ़रयाद, आह और ज़ारीआप से हो सका सो कर देखा इन लबों ने न की मसीहाईहम ने सो सो तरह से मर देखाज़ोर आशिक़ मिज़ाज है कोईदर्द को क़िस्सा मुखतसर देखाऔर भी चाहिए सो कहिए अगर दिल ए नामेहरबान में कुछ है दर्द तू जो करे है जी का ज़ियाँ फ़ायदा इस ज़ियान में कुछ है