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Written By WD
Last Modified: शुक्रवार, 6 जून 2008 (12:02 IST)

ग़ज़ल : कैफ़ी आज़मी

ग़ज़ल कैफ़ी आज़मी
हाथ आ कर लगा गया कोई
मेरा छप्पर उठा गया कोई

मैं खड़ा था कि पीठ पर मेरी
इश्तिहार इक लगा गया कोई

वो गए जब से एसा लगता है
छोटा मोटा खुदा गया कोई

ये सर्दी धूप को तरस्ती है
जैसे सूरज को खा गया कोई

मेरा बचपन भी साथ ले आया
गाँव से जब भी आ गया कोई