- लाइफ स्टाइल
» - उर्दू साहित्य
» - शेरो-अदब
शकील बदायूनी
ग़म से कहाँ ऎ इश्क़ मफ़र* है------- छुटकारा रात कटी तो सुबहा का डर है तर्के-वफ़ा को मुद्दत गुज़री आजभी लेकिन दिलपे असर है आईने में जो देख रहे हैं ये भी हमारा हुस्ने-नज़र है ग़म को ख़ुशी की सूरत बख़्शीइसका भी सेहरा आपके सर है लाख हैं उनके जलवे जलवे मेरी नज़र फिर मेरी नज़र है तुमही समझ लो तुम हो मसीहा* ---हकीम, डॉक्टर मैं क्या जानूँ दर्द किधर है आज बफ़ैज़े-नुकता शनासाँ* ------ किसी बात को गहराई से समझने वाला तंग अदब की राहगुज़र है फिर भी शकील इस दौर में प्यारे साहिबे-फ़न है, एहले-हुनर है