विज्ञान ने दुनिया को समझने और जानने का वैज्ञानिक मार्ग प्रतिपादित किया है। विज्ञान ने स्पष्ट किया है कि यह विश्व किसी की इच्छा का परिणाम नहीं है। सभी पदार्थ कारण-कार्य भाव से बद्ध हैं। भौतिक विज्ञान ने सिद्ध किया है कि किसी पदार्थ का कभी विनाश नहीं होता, उसका केवल रूपांतर होता है। विज्ञान ने शक्ति के संरक्षण के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है। पदार्थ के अविनाशिता के सिद्धान्त की पुष्टि की है। समकालीन अस्तित्ववादी दर्शन ने भी ईश्वर का निषेध किया है। आधुनिकता का मूल प्रस्थान-बिन्दु यह विचार है कि ईश्वर मनुष्य का सृष्टा नहीं है अपितु मनुष्य ही ईश्वर का सृष्टा है।
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