गुरुवार, 17 जुलाई 2025
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Written By ND

आपसी समझ से जुड़ती है प्रेम की डोर

रोमांस डेटिंग टिप्स लव
हेलो दोस्तो! अक्सर आप बहुत ही सुंदर दिखने वाले फल से धोखा खा जाते हैं। आप उसके बाहरी रूप-रंग से प्रभावित होकर जिस जायके की आशा करते हैं वह उसके विपरीत ही निकलता है। या फिर उस उम्मीद से बेहद कम मजेदार। कई बार चमक, रंग, आकार आदि में प्रभावित नहीं करने वाला फल बेहद रसीला, मीठा और संतुष्ट करने वाला होता है।

ऊंची कीमत चुकाकर भी आपको अपेक्षाकृत वह तृप्ति नहीं मिलती जो कम दाम चुकाकर ही मिल जाती है। ऐसी हालत में आपके मन में यह प्रश्न उठता है कि क्या समाज में बने मापदंड पर आंख मूंदकर विश्वास करना सही नहीं है। क्या बने बनाए आधार पर चलने में ठगे जाने की पूरी संभावना है।

पर दूसरी ओर यह भी सवाल परेशान करता है कि आखिर इस पैमाने को बनाने की कोई तो वजह रही होगी। आखिर सभी क्यों उसी पैमाने को आधार बनाकर चलते हैं। इसका मतलब कई बार यह आंके गए अनुमान के अनुसार ही निकलता होगा। मुश्किल यह है कि जो संभावित डर है उससे बचने का कोई उपाय ईजाद कैसे हो। जब तक आप उस पैमाने पर आधारित वस्तु, स्थिति, संबंध आदि का उपयोग नहीं कर लेते आपके सामने से रहस्य का पर्दा नहीं हटता है। और जब आप तिलिस्म से बाहर आते हैं तो पाते हैं कि आप कहीं के नहीं रहे हैं या कि उस भ्रम से उपजी भूल सुधारने का कोई रास्ता नहीं बचा है।

सारा (बदला हुआ नाम) भी ऐसी ही एक भूल कर चुकी है जहां से उसे और कोई रास्ता नहीं दिखता है। सारा मात्र 23 वर्ष की हैं और इनकी शादी 22 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी। सामाजिक पैमाने पर उनका पति बेहद खरा उतरता है। पर सारा को वह रत्ती भर भी नहीं भाता है। केवल एक वर्ष काटना भी उसे मानो बोझ उठाने जैसा लग रहा है। शादी जैसे जटिल रिश्ते में बंधकर अब उसे समझ नहीं आता है कि वह इस रिश्ते से कैसे निकले। न रिश्ते से निकलना आसान है और न ही उस रिश्ते को निभाना। इस छोटी-सी उम्र में ही उसे उदासी ने घेर लिया है। उसे अपने परिवारवालों पर कोफ्त होती है।

25 वर्ष का स्मार्ट, खूबसूरत लड़का जो समझदारी और अक्लमंदी का परिचय देता हो किसे अच्छा नहीं लगेगा। उसकी तहजीब, परिपक्वता और मां-बाप के प्रति आदर-सत्कार जैसे गुण हर परिवार को दामाद के रूप में आकर्षित करेंगे। थोड़ी देर मिलने-जुलने और देखने भर से कोई लड़की भी उसे न नहीं कहेगी। पर शायद अच्छी शक्ल-सूरत और दुनियादारी की समझ ही जीवन में संतुष्टि और खुशियां लाने के लिए काफी नहीं हैं। रिश्ते में कशिश और गर्माहट लाने के लिए स्वभाव, भावना और विशेष प्रयत्न भी बहुत जरूरी हैं।

सारा जी, आपके अनुसार आदर्श (बदला हुआ नाम) अपने मां-बाप के लिए तो आदर्श पुत्र हो सकते हैं पर आपके लिए वह विफल पति हैं। वह आपके साथ केवल काम-काज से संबंधित ही बातें करते हैं। उसका संवाद आज भी अपने माता-पिता के साथ ही अधिक है। वह अपने बेडरूम के संबंध को भी वैसे ही निभाता है जैसे कोई ड्यूटी कर रहा हो। हंसी-मजाक से उसका वास्ता ही नहीं है। न ही वह वैसे वातावरण या जवाब का लुत्फ उठाता है। पूरे एक वर्ष में उसने आपमें कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई है। एक लड़की से कैसे बात करनी चाहिए इसका उसे कोई सलीका ही नहीं है। मजेदार बात यह है कि वह बहुत तकनीकी ढंग से यह कहता है कि वह आपसे बहुत प्यार करता है।

आपके अनुसार इन सबसे आप इतनी बोर हो चुकी हैं कि सांस लेना भी आपको भारी लगता है। आपको समझ नहीं आता कि वहां एक-एक दिन कैसे काटा जाए। समस्या इसलिए भी गंभीर है कि आपकी तरह ही आपके पति भी नापसंदीदगी के एहसास से भरे हुए हैं पर आप दोनों अति व्यावहारिक तरीके इसे अपनी जुबान से नहीं निकालते हैं।

इस रिश्ते में जुड़ाव, अंतरंगता, समझदारी जैसी भावना हर स्तर पर शून्य के बराबर है। इस रिश्ते का सबसे कमजोर पक्ष है रोमांस व आकर्षण की कमी। इतनी युवा अवस्था में अनजान लोगों में शादी के बाद शारीरिक आकर्षण से उपजे रोमांटिक बंधन से ही संवाद के अन्य द्वार भी खुलते हैं। ऐसा आकर्षण एक-दूसरे के बारे में जानने की रुचि जगाता है। एक-दूसरे की कमियों को नजरअंदाज करने की शक्ति व प्रेरणा देतहै।

एक-दूसरे के दुख व जरूरत के प्रति संवेदनशील बनाता है। स्वभाव की भिन्नता के कारण भी सारे बने-बनाए फॉर्मूले किस प्रकार फेल हो सकते हैं यह आपकी शादी ने साबित कर दिया है। आप दोनों ही शक्ल-सूरत में ठीक-ठाक होकर भी केवल अलग स्वभाव के कारण एक-दूसरे को पसंद नहीं कर पा रहे हैं। वह आप से ज्यादा अपने मां-बाप से करीबी महसूस करता है और उस कारण से आपका अकेलापन और अधिक होता है। आपके अनुसार आपका पति आपको लेकर इतना औपचारिक है कि आप चाहकर भी प्यार व गर्माहट नहीं दिखा पाती हैं।

इस रिश्ते में जितनी खराबी हो सकती थी, हो चुकी है इसलिए आपको अपने पति से संवाद बनाना चाहिए। जितना हो चुका उससे ज्यादा बुरा नतीजा क्या निकल सकता है। उसके मां-बाप के साथ भी थोड़ा अनौपचारिक रूप से संबंध बढ़ाएं। अपने पति से बात करें वह आपसे क्या अपेक्षा रखते हैं। शायद संवाद बनने से बर्फ पिघल सकती है और वह जिस प्रकार अपने मां-बाप को लेकर संवेदनशील है आपके प्रति भी हो जाए। सबसे अच्छी बात यह है कि आप लोगों का कोई बच्चा नहीं है। और जब तक गाड़ी पटरी पर न आए बच्चा पैदा भी न करें ताकि तीसरी जिंदगी भी दांव पर न लगे।