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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 28 मई 2010 (12:47 IST)

ईंधन की कीमतों को ग्लोबल बाजार से जोड़ें

Fuel prices be connected with Global ones | ईंधन की कीमतों को ग्लोबल बाजार से जोड़ें
योजना आयोग ने ईंधन की घरेलू कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने की वकालत करते हुए कहा है कि यह देश की वैश्विक ‘आर्थिक प्रतिष्ठा’ के लिए जरूरी है।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कल कहा ‘भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के लिए जरूरी है कि ईंधन की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय मूल्यों से जोड़ा जाए। मुझे लगता है कि इस तरह के जुड़ाव से बचा नहीं जा सकता।’

यह पूछे जाने पर कि ईंधन कीमतों को नियंत्रण मुक्त किए जाने से गरीब लोगों पर क्या असर पड़ेगा, उन्होंने कहा ‘यदि आप बीपीएल परिवारों को सब्सिडी वाला केरोसिन देना चाहते हैं, तो दे सकते हैं।’

उन्होंने कहा कि मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि हमें सीधे सब्सिडी देने की संभावना को तलाशना चाहिए। सीधे सब्सिडी एक सकारात्मक कदम होगा। ईंधन की कीमतों को नियमन के दायरे से हटाने के बारे में सरकार ने पहले ही वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) का गठन किया है। ईजीओएम की बैठक सात जून को होने की संभावना है।

ईजीओएम के एजेंडा में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के अलावा लागत से कम मूल्य पर एलपीजी और केरोसिन की बिक्री से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई का मुद्दा भी शामिल है।

यदि पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रणमुक्त कर दिया जाता है, तो इससे इनके मूल्य में छह रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

इंडियन आयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम को ईंधन को लागत से कम मूल्य पर बेचने से प्रतिदिन 255 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। वित्त वर्ष के दौरान इन कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो सकता है।

इन कंपनियों को फिलहाल पेट्रोल की बिक्री पर प्रति लीटर 6.07 रुपए, डीजल पर 6.38 रुपए, केरोसिन पर 19.74 रुपए तथा एलपीजी पर 254.37 रुपए प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है। (भाषा)