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Written By ND

परीकथाओं का देस जैसलमेर...

परीकथाओं का देस जैसलमेर... -

चलि‍ए आज हम आपको राजस्थान लेकर चलते हैं, जहाँ के राजा-महाराजाओं की गौरवगाथा कहते बड़े-बड़े किले, रेगिस्तान की रेत, लोगों का प्यार और जीवन के रंग पर्यटकों को सदैव आकर्षित करते हैं। इस कड़ी में आज हम जैसलमेर की यात्रा करेंगे।

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बारहवीं शताब्दी में निर्मित जैसलमेर का किला यहाँ का सबसे प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा समय-समय पर जैसलमेर के धनी व्यापारियों ने यहाँ कई सुंदर हवेलियाँ बनवाई हैं। मरुस्थल में बना किलेनुमा शहर एक सुनहरी परिकल्पना है। भाटी राजपूत शासक रावल जैसल के नाम पर ही इस शहर का नाम जैसलमेर रखा गया। 1156 में उन्होंने इस शहर की स्थापना की।

भारत से इजिप्ट और अरब देशों की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर होने की वजह से जैसलमेर की काफी प्रगति हुई। वहाँ से गुजरने वाले मालवाहक काफिलों से कर वसूल कर भाटी राजपूत शासकों ने अपनी तिजोरियाँ खूब भरीं। उन्होंने यहाँ लूटपाट करके भी बहुत धन एकत्रित किया।


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14वीं शताब्दी में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने अपना खजाना वापस लाने के लिए 9 साल तक इस किले को घेरे रखा। जब किले का पतन होने लगा तो महिलाओं ने जौहर किया यानी अपने आपको खत्म कर दिया और पुरुषों ने भगवे वस्त्र पहनकर मौत को गले लगा लिया। ब्रिटिश सरकार के साथ आखिरी समझौता करार करने वाला आखिरी राज्य जैसलमेर ही था।

सदियाँ बीत गईं, लेकिन जैसलमेर के स्मारक रेगिस्तान के तूफानों को झेलते हुए आज तक खड़े हैं। जैसलमेर सुंदर संस्कृति तथा कठोर वातावरण से युक्त जगह है, जो पर्यटकों पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। पुराना शहर पूरी तरह दीवार से घिरा था, लेकिन हाल ही में उसका काफी हिस्सा ढह गया। यहाँ किला, हवेली और गड़ीसर झील पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।

जैसलमेर किला

जैसलमेर के किले को सोनार किला या स्वर्ण किला भी कहते हैं। डूबता सूरज अपनी सुनहरी किरणों से इस किले को परीकथाओं के माहौल में डुबो देता है। यहाँ का महल संकुल, बारीक नक्काशीदार हवेलियाँ, अनगिनत मंदिर तथा सेना और व्यापारियों को कारोबार के मार्ग पर उचित जगह बनाए आवास। इसी रास्ते से प्राचीन काफिले गुजरते थे। यहाँ निर्मित भवनों का निर्माण ज्यादातर मुसलमान कारीगरों ने किया।
पुरानी हवेलियाँ

दीवान नाथमलजी की हवेली का निर्माण 19वीं सदी में हुआ। दो वास्तुकार भाइयों द्वारा इसका निर्माण किया गया। एक ने दाहिनी ओर तथा दूसरे ने बाईं ओर ध्यान दिया। नतीजा यह हुआ कि निर्माण के दौरान एक जैसी बाजू वाली इमारत तैयार हो गई। पीले सेंडस्टोन से तराशे दो हाथी हवेली की निगरानी करते हैं।

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वर्तमान में यह निजी संपत्ति है। दीवान सलीमसिंह की हवेली 18वीं शताब्दी में बनी, जिसका एक हिस्सा अभी भी आवास के रूप में इस्तेमाल होता है। इमारत पर सुंदर कमानयुक्त छत है और मोर के आकार की महीन नक्‍काशी है। पटवों की हवेली आवासों का समूह है तथा जैसलमेर की सुंदर हवेलि‍यों में से एक है।

संग्रहालय
पुरातत्‍व शास्‍त्र तथा संग्रहालय वि‍भाग द्वरा स्‍थापि‍त यह स्‍थान जैसलमेर आने वाले पर्यटकों के लि‍ए मुख्‍य आकर्षण है।

गड़सि‍सि‍र तालाब
बारि‍श का पानी इकट्ठा करने के लि‍ए महाराज गड़सी द्वारा 14वीं शताब्‍दी में इस तालाब का नि‍र्माण कि‍या गया। यहाँ से कि‍सी जमाने में पूरे जैसलमेर को पानी की आपूर्ति‍ होती थी। इसके आसपास अनेक पर्यटक स्‍थल, मंदि‍र और स्‍मारक हैं। सर्दी के मौसम में यहाँ जलपंछी आते हैं।