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Written By WD
Last Modified: बुधवार, 1 दिसंबर 2010 (10:04 IST)

विश्व एड्स दिवस : 1 दिसंबर

जागरूकता ही है समाधान

World Aids Day | विश्व एड्स दिवस : 1 दिसंबर
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एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियेन्सी सिन्ड्रोम (एड्स) के बारे में आज शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। सरकार और समाजसेवी संस्थाओं द्वारा समय-समय पर विभिन्न तरीकों से एड्स के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है पर विडंबना यह है कि लोग जानकर भी अनजान बने हुए हैं। हर साल की तरह आज भी वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाएगा। जिसके तहत विभिन्न स्थानों पर समारोह में लोगों को जागरूक किया जाएगा।

पर एक सच यह भी है कि आज भी हमारे देश में, हमारे शहर में एड्स के चक्रवात में फँसे लोगों की स्थिति बेहतर नहीं है। आखिर इसकी क्या वजह है, स्थिति में कितना सुधार है, किन संस्थाओं द्वारा इस क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है इसी पर आधारित रिपोर्ट।

आज भी है यह समस्या
हमारे देश में आज भी जिन्हें एड्स है वे यह बात स्वीकारने से कतराते हैं। इसकी वजह है घर में, समाज में होने वाला भेदभाव। कहीं न कहीं आज भी एचआईवी पॉजीटिव व्यक्तियों के प्रति भेदभाव की भावना रखी जाती है। यदि उनके प्रति समानता का व्यवहार किया जाए तो स्थिति और भी सुधर सकती है।

निम्न आय वर्ग में अधिक रोगी
बात अगर जागरूकता की करें तो लोग जागरूक जरूर हुए हैं इसलिए आज इसके प्रति काउंसलिंग करवाने वालों की संख्या बढ़ी है। पर यह संख्या शहरी क्षेत्र के और मध्यम व उच्च आय वर्ग के लोगों तक ही सीमित है। निम्न वर्ग के लोगों में अभी भी जानकारी का अभाव है। इसलिए भी इस वर्ग में एचआईवी पॉजीटिव लोगों की संख्या अधिक है। जबकि बहुत सी संस्थाएँ निम्न आय वर्ग के लोगों में इस बात के प्रति जागरूकता अभियान चला रही हैं।

जानबूझकर अनजान
लोग कारण को जानने के बाद भी सावधानियाँ नहीं बरतते। जिन कारणों से एड्स होता है उससे बचने के बजाए अनदेखा कर जाते हैं। इसमें अधिकांश लोग असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित रक्त के कारण एड्स की चपेट में आते हैं।

शहर में हैं अनेक संस्थाएँ
एड्स के खिलाफ आज शहर में अनेक समाज सेवी और सरकारी संस्थाएँ कार्य कर रही हैं। इनका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना, एड्स के साथ जी रहे लोगों को समाज में उचित स्थान दिलाना, उनका उपचार कराना आदि है। इन संस्थाओं में से कुछ हैं फेमेली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया, विश्वास, भारतीय ग्रामीण महिला संघ, मध्यप्रदेश वॉलेन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन, जिला स्तरीय नेटवर्क, वर्ल्ड विजन आदि।

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साझे प्रयास से निदान संभव
फेमेली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया, इंदौर शाखा सेक्सुअलिटी एजुकेशन, काउंसलिंग, रिसर्च, ट्रेनिंग/थैरेपी (एसईसीआरटी) परियोजना के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रही है। संस्था किशोर बालक-बालिकाओं एवं युवाओं को किशोरावस्था, एड्स आदि के बारे में जानकारी देकर जागरूक बनाने का कार्य कर रही है।

कार्यक्रम अधिकारी राजेन्द्र व्यास ने बताया कि संस्था को बने 50 वर्ष हो चुके हैं और एड्स के लिए करीब 10 सालों से कार्य किया जा रहा है। जागरूकता अभियान के तहत स्कूल-कॉलेज तो चुने ही जाते हैं पर जो लोग स्कूल-कॉलेज नहीं जाते उनके लिए कम्युनिटी प्रोग्राम या नुक्कड़ नाटक कर समझाया जाता है। ब्रांच मैनेजर प्रतूल जैन बताते हैं एड्स की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास तब ही सफल होंगे जब सरकार, जनता और समाजसेवी संस्थाएँ मिलकर प्रयास करें।

एचआईवी मुक्त समाज हो
'विश्वास' पवित्र आत्मा सेविका संघ की मानवीय पहल है। इसका उद्देश्य है एचआईवी मुक्त समाज। 2003 में बनी यह संस्था न केवल एड्स के साथ जी रहे लोगों के स्वास्थ्य लिए कार्य करती है वरन्‌ उनके आर्थिक स्वावलंबन, काउंसलिंग के अलावा समाज या परिवार की मुख्यधारा में जोड़ने व संगठित करने का कार्य भी करती है।

विश्वास संस्था की निदेशक सिस्टर जैसा एंथोनी ने बताया कि समय-समय पर इसमें नए प्रोजेक्ट के साथ इसी विषय पर कार्य किया गया। प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर ज्योति शिपणकर बताती हैं कि 2008 में विश्वास कम्युनिटी केयर सेंटर शुरू हुआ जो एड्स के इलाज के अलावा संबंधित व्यक्ति व उसके परिवार को रोजगार भी दिलाता है और उसके बच्चों को शिक्षा का अधिकार भी देता है।

कारण
संक्रमित रक्त
संक्रमित सुई एवं सीरिंज
असुरक्षित यौन संबंध
संक्रमित माँ से शिशु को।

तथ्य
भारत में 50 लाख से अधिक एड्स पीड़ित हैं
शहर में 20 हजार से ज्यादा लोगों को एड्स है
अधिकांश रोगी निम्नवर्ग के होते हैं
घर से दूर रहने वाले लोगों में एड्स का खतरा बढ़ जाता है
नशे के लिए सुइयों की साझेदारी कर भी दावत दी जाती है एड्स को।