स्वामी रामभद्राचार्य ने भाषा की शुद्धता के नाम पर मानस में अवधी शब्दों के स्थान पर संस्कृत शब्दों को स्थापित कर दिया है, जो गोस्वामी तुलसीदास से प्रति अनकी अगाध श्रद्धा का परिचायक हैं, परन्तु उनके इस प्रयास से मानस में संस्कृत शब्दों की संख्या ही बढ़ी है, जो गोस्वामीजी को अभिप्रेरित नहीं था। (लेखक प्रसार भारती के काठमांडू नेपाल से अवकाश प्राप्त विशेष संवाददाता है)