ह्यूगो की चर्चा ऑस्कर और बाफ्टा पुरस्कारों के दरमियान खूब हुई और तभी से भारतीय सिने प्रेमी इस फिल्म का इंतजार बेसब्री से कर रहे हैं। आखिरकार 4 मई को यह फिल्म थ्री-डी में भारत में रिलीज हो रही है।
यह एक अनाथ लड़के की एडवेंचरस कहानी है। 12 वर्षीय ह्यूगो कार्बेट अपने पिता के साथ पेरिस में रहता है। उसकी मां गुजर चुकी है। ह्यूगो के पिता घड़ी बनाने में माहिर है। एक संग्रहालय में आग लगती है और ह्यूगो के पिता उसमें मारे जाते हैं।
ह्यूगो की परवरिश का जिम्मा उसके शराबी अंकल उठाते हैं। वे रेलवे स्टेशनों में लगी घड़ी को मैंटेन करने का काम करते हैं। ह्यूगो के अंकल उसे यह काम सिखाते हैं और एक दिन गायब हो जाते हैं। रेलवे स्टेशन ही ह्यूगो का घर बन जाता है और वह घड़ी को मैंटेन करने का काम करता है और खाना चुराकर किसी तरह गुजारा करता है।
ह्यूगो के पिता उसके लिए एक ऑटोमेटन (मैकेनिकल मैन) छोड़ गए हैं जिसे सुधारने के लिए ह्यूगो मैकेनिकल पार्ट्स भी चुराता है। यह ऑटोमैटन पेन से नोटबुक पर लिखता है। ह्यूगो के पिता एक सीक्रेट मैसेज ऑटोमेटन के पास छोड़ गए हैं, लेकिन वह खराब है और उसके सुधरने के बाद ही ह्यूगो वह मैसेज जान सकता है। उसकी एक महत्वपूर्ण चाबी लापता है जिसकी ह्यूगो की तलाश है।
फिल्म में ह्यूगो के संघर्ष को बहुत ही उम्दा तरीके से पेश किया गया है। 128 मिनट की इस फिल्म को पांच ऑस्कर और दो बाफ्टा अवॉर्ड मिले हैं।