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Written By BBC Hindi
Last Modified: मंगलवार, 8 मई 2012 (13:58 IST)

करी बचाएगी कैंसर से

करी बचाएगी कैंसर से -
BBC
ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि 'करी' में इस्तेमाल किए जाने वाले मसाले हल्दी से कैंसर के रोगियों को कितनी राहत मिल सकती है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि हल्दी में पाए जाने वाले तत्व करक्यूमिन से 'आंत के कैंसर' से पीड़ित मरीजों को राहत मिल सकती है।

पहले प्रयोगशाला में किए गए शोध से पता चला है कि हल्दी कैंसर की कोशिकाओं को मारने में मददगार होती है। शोध में यह पहले ही यह साबित हो चुका है कि हल्दी में कुछ ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो हृदयघात और पागलपन में भी लाभदायक साबित होता है।

हल्दी के असर को जानने के लिए अब इंग्‍लैंड के लिसेस्टर में मरीजों को कीमोथेरेपी के साथ-साथ हल्दी से भी उपचार किया जाएगा, जिससे पता चल सके कि यह कितना असरकारी है।

कीमोथेरेपी कठिन : इंग्‍लैंड में हर साल चालीस हजार लोग आंत के कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं, अगर यह बीमारी शरीर में फैल जाती है तो मरीजों को तीन कीमोथेरेपी की दवा दी जाती है, लेकिन आधे मरीजों पर इसका असर नहीं होता है।

लिसेस्टर के रॉयल फैमिली इनफर्मरी और लिसेस्टर जेनरल हॉस्पिटल में चालीस मरीजों के ऊपर इसका प्रयोग किया जाएगा। इस प्रयोगात्मक इलाज में उन चालीस मरीजों को कीमोथेरेपी द्वारा इलाज शुरू करने के सात दिन पहले करक्यूमिन दवा दी जाएगी।

असरकारी है हल्दी : कैंसर पर हल्दी के प्रभाव पर शोध कर रहे शोधकर्ताओं के प्रमुख प्रोफेसर विलियम्स स्टीवर्ड का कहना है कि जानवरों के ऊपर हल्दी और कीमोथेरेपी का जब एक साथ इस्तेमाल किया गया तो यह अन्य प्रयोग की तुलना में सौ फीसदी से ज्यादा लाभदायक था। प्रोफेसर विलियम्स का कहना है कि इससे उन्हें इसका प्रयोग मरीजों के ऊपर करने की प्रेरणा मिली।

उनका कहना था कि जब आंत का कैंसर पूरी तरह फैल जाता है तो इसका इलाज काफी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि कीमोथेरेपी का बुरा असर काफी ज्यादा होता है। हल्दी कीमोथेरेपी के बुरे असर को कम करने में मददगार हो सकता है, इससे मरीजों को कम मात्रा में, लेकिन लंबे समय तक कीमोथेरेपी दिया जा सकता है।

शोध शुरुआती दौर में : प्रोफेसर विलियम्स का कहना है कि हालांकि यह शोध अभी शुरुआती दौर में है और हल्दी से कैंसर का इलाज भी एक पहेली जैसा ही है, लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि हम विषय में नई दवा को खोज कर लेंगे।

इंग्‍लैंड कैंसर रिसर्च के जोना रेनोल्ड्स का कहना है कि इस तरह के परीक्षण से हमें अन्य फायदों के बारे में पता चल सकेगा। इससे हम अधिक मात्रा में हल्दी का उपयोग करके शोध को आगे बढ़ा सकते हैं साथ ही हमें इसकी जानकारी भी मिलेगी कि हल्दी से कैंसर के रोगी के ऊपर क्या बुरा असर पड़ता है।