चाणक्य नीति - अध्याय 1
चाणक्य अध्याय हिंदी में
* बुद्धिमान पिता को अपने बच्चों को शुभ गुणों की सीख देनी चाहिए, क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी व्यक्तियों की ही कुल में पूजा होती है।* मूर्खता दुखदायी है, जवानी भी दुखदायी है, लेकिन इससे कही ज्यादा दुखदायी है किसी दूसरे के घर रहकर उससे अहसान लेना है।* हर पहाड़ पर माणिक्य नहीं होते, हर हाथी के सिर पर मणि नहीं होता, सज्जन पुरुष भी हर जगह होते और हर वन में चंदन के वृक्ष भी नहीं होते हैं।
चाणक्य कहते हैं :-
* भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुंदर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धन राशि तथा दान देने की भावना ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है।* एक बुरे मित्र पर कभी विश्वास ना करें। एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करें, क्योंकि यदि ऐसे लोग आप पर गुस्सा होते हैं तो आपके सभी राज वो दूसरे के सामने खोल कर रख देंगे।* मन में सोंचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट न करें, बल्कि मन लगाकर उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणित करें। चाणक्य नीति :-