शुक्रवार, 10 जनवरी 2025
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Written By WD

श्रीमद्‍ भगवत् गीताजी की आरती

Srimdbgwat | श्रीमद्‍ भगवत् गीताजी की आरती
जय भगवत् गीते, मां जय भगवत् गीते,
हरि हिय कमल विहारिणि सुन्दर सुपुनीते। टेक।
कर्म सुकर्म प्रकाशिनि कामासक्तिहरा,
तत्वज्ञान विकाशिनि विद्या ब्रह्मपरा। जय...
निश्चल भक्ति विधायिनी निर्मल मलहारी,
शरण रहस्य प्रदायिनी सब विधि सुखकारी। जय...
राग-द्वेष विदारिणि कारिणि मोद सदा,
भव-भय हारिणि तारिणि परमानंदप्रदा। जय...
आसुर भाव विनाशिनि‍ तम रजनी,
दैवी सद्‍गुण दायिनि हरि रसिका सजनी। जय...
समता त्याग सिखावनि हरिमुख की बानी,
सकल शास्त्र की स्वामिनी श्रुतियों की रानी। जय...
दया सुधा बरसावनि मातु कृपा कीजै,
हरि पद प्रेम दान कर अपने कर लीजै। जय...
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