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Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 25 जून 2025 (13:16 IST)

इस्लाम और यहूदी धर्म में क्या है समानता?

Jews
yahudi and Muslim: यहूदी, ईसाई और इस्लाम इन तीनों धर्मों को अब्राहमिक धर्म कहा जाता है क्योंकि इन धर्मों की मूल उत्पत्ति ईशदूत अब्राहम के कारण हुई है जिन्हें इस्लाम में हजरत इब्राहीम कहा जाता है। इतिहास के जानकार लोगों का कहना है कि उक्त तीनों धर्मों में एकेश्वरवादी सिद्धांत का मूल पारसी धर्म है। पारसी धर्म उस काल में ईरान सहित समूचे अरब का धर्म था। इसी के साथ ही इन तीनों धर्मों के कुछ सिद्धांत माया, बेबिलोनियन और ईजिप्ट सभ्यता से मिलते-जुलते हैं। आओ जानते हैं इस्लाम और यहूदी धर्म में क्या है समानता।
 
इस्लाम और यहूदी धर्म में क्या है समानता?
1. एकेश्‍वरवाद: दोनों धर्म एक सर्वशक्तिमान, निराकार ईश्वर में विश्वास करते हैं। यहूदी अपने ईश्वर को यहवेह या यहोवा कहते हैं जबकि मुसलमान अल्लाह तआला और खुदा कहते हैं। यह दोनों ही धर्म मूर्ति पूजा में विश्‍वास नहीं रखते हैं। हालांकि दोनों ही धर्म में ईश्‍वर संदेश अलग अलग है। 
 
2. समान पैगंबर: दोनों धर्म पैगंबरों को ईश्वर का संदेशवाहक मानते हैं। हजरत आदम, नूह, इब्राहीम, मूसा, हारून आदि को दोनों ही धर्म के लोग अपना पैगंबर मानते हैं। इस्लाम में 25 से अधिक पैगंबरों को मान्यता है।
 
3. ईश्वर की किताब: यहूदी धर्म का प्रमुख ग्रंथ तोरा है और जो इस्लाम का धर्मग्रंथ कुरआन मजिद है। दोनों ही के अनुसार इसमें जो संदेश है वो ईश्‍वर की ओर से भेजा गया था। मुसलमान मानते हैं कि तोरा, ज़बूर और इंजील अल्लाह की ओर से आईं, पर बाद में इनमें बदलाव हुआ।
 
4. खतना: दोनों ही धर्मों में खतना करने की परंपरा है। 
 
5. कानून: दोनों ही धर्म धार्मिक नियमों और रिवाजों का पालन करने के लिए धार्मिक कानून के पालन पर जोर देते है। यहूदी धर्म में हालाखा है तो इस्लाम में शरीअत है। इसमें खान-पान, पहनावा, रहन सहन, पूजा, विवाह, पवित्रता जैसे विषयों पर विस्तृत नियम हैं। दोनों धर्म कुछ खाद्य वस्तुओं को "हराम" या 'अवैध' मानते हैं और जानवर को विशेष धार्मिक तरीके से हलाल (इस्लाम) या कोषेर (यहूदी) किया जाता है।
 
6. कयामत: दोनों ही धर्म मानते हैं कि कयामत का दिन होगा जब परमेश्वर उनके पाप और पुण्य का हिसाब कताब करेगा।
 
7. उपवास: यहूदी धर्म में योम किप्पूर और इस्लाम में रमज़ान। दोनों धर्मों में आत्मशुद्धि के लिए उपवास की परंपरा है।
 
8. जकात: दोनों धर्मों में जकात यानी दान देने का प्रचलन है।
 
9. प्रार्थना: दोनों में दिन में कई बार प्रार्थना की जाती है। यहूदी धर्म में दिन में 3 मुख्य प्रार्थनाएँ (शाहरित, मिंचा, अर्वित) होती हैं जबकि इस्लाम में 5 वक्त की नमाज है।
 
10. टोपी और हिजाब: पुरुषों की टोपी पहनने की परंपरा दोनों में समान है। यदि अपनी गोल टोपी को 'किप्पा' या 'यमकाह' कहते हैं। मुसलमान टोपी या कुंबा पहनते हैं।
 
11. हज: इसके अलावा हज, नमाज, सूदखोरी का विरोध, पवित्र दिन (सब्बाब), उम्माह जैसी कई बातें हैं जो इस्लाम में यहूदी धर्म से ली गई हैं। 
 
यहूदी धर्म: लगभग 4000 साल पुराना यह धर्म वर्तमान में इसराइल का राजधर्म है। यहूदी धर्म की शुरुआत पैगंबर हजरत इब्राहिम (अबराहम या अब्राहम) से मानी जाती है, जो ईसा से 2000 वर्ष पूर्व हुए थे। हज. इब्राहिम के बाद यहूदी इतिहास में सबसे बड़ा नाम 'पैगंबर मूसा' का है। हजरत मूसा ही यहूदी जाति के प्रमुख व्यवस्थाकार हैं। मूसा मिस्र के फराओ के जमाने में हुए थे। हज. मूसा के बाद यहूदियों को विश्वास है कि कयामत के समय हमारा अगला पैगंबर आएगा। दुनिया के प्राचीन धर्मों में से एक यहूदी धर्म से ही ईसाई और इस्लाम धर्म की उत्पत्ति हुई है। यहूदियों की धर्मभाषा 'इब्रानी' (हिब्रू) और यहूदी धर्मग्रंथ का नाम 'तनख' है, जो इब्रानी भाषा में लिखा गया है। इसे 'तालमुद' या 'तोरा' भी कहते हैं। असल में ईसाइयों की बाइबिल में इस धर्मग्रंथ को शामिल करके इसे 'पुराना अहदनामा' अर्थात ओल्ड टेस्टामेंट कहते हैं। तनख का रचनाकाल ई.पू. 444 से लेकर ई.पू. 100 के बीच का माना जाता है। यहूदी त्योहार में प्रमुख हैं- शुक्कोह, हुनक्का, पूरीम, रौशन-शनाह, पासओवर, योम किपुर।
 
इस्लाम धर्म: इस्लाम यानी मुस्लिम धर्म के संस्थापक पैगम्बर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. है जिनका जन्म 571 ईसवी को शहर मक्का में हुआ था। यहीं पर उन्होंने अल्लाह तआला के संदेश को फैलाया। लोगों के विरोध के बाद सन् 622 में हजरत साहब ने अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच किया। इसे 'हिजरत' कहा जाता है। मदीना में हजरत ने लोगों को इकट्ठा करके एक पवित्र मुस्लिम दल तैयार किया और फिर शुरू हुआ जंग का सफर। खंदक, खैबर, बदर और फिर मक्का को फतह कर लिया गया और इस तरह समूचे अरब में इस्लाम का बुलंद परचम लहरा गया। इ्स्लाम के अनुसार आप हजरत सल्ल. इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आप के बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला। मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं सल्ल. को वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया। आपने अल्लाह के पवित्र संदेश को लोगों को तक पहुंचाया। यह संदेश पवित्र पुस्तक कुरआन मजीद में दर्ज है। कुरआन की आयतें कभी भी एक समय पर नाज़िल नहीं हुई यह अलग-अलग समय पर नाज़िल हुई। कुरआन इस्लाम का पवित्र ग्रंथ है। कुरआन के बाद हदीस को इस्लाम में सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है जिनकी संख्या कई है। मुस्लिमों के प्रमुख त्योहारों में ईद-उल-फितर (रमजान ईद) और ईद-उल-अजहा (बकरीद) शामिल हैं। इसके अलावा, मुहर्रम, मिलाद-उन-नबी, शब-ए-बारात, और शब-ए-कद्र भी महत्वपूर्ण मुस्लिम त्यौहार हैं। 
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