साहित्य 2011 : प्रमुख पुरस्कार एवं सम्मान
वेबदुनिया डेस्क
गत वर्ष भी पुरस्कारों और सम्मानों की यशस्वी परंपरा जारी रही। पेश है साल 2011 में दिए गए प्रमुख पुरस्कारों व सम्मानों की जानकारी : साहित्य अकादमी पुरस्कार 2011 : प्रख्यात हिन्दी कथाकार काशीनाथ सिंह को उपन्यास ‘रेहन पर रग्घू’ के लिए हिन्दी भाषा के साहित्य अकादमी पुरस्कार 2011 के लिए चुना गया है। अकादमी पुरस्कार 2011 के लिए चुने गए छह अन्य उपन्यासकार है गोपालकृष्ण पै (कन्नड), क्षेत्री बीर (मणिपुरी), कल्पनाकुमारी देवी (ओडिया), बलदेव सिंह (पंजाबी), अतुल कनक (राजस्थानी) और एस. वेंकटशन (तमिल) हैं। अकादमी की विज्ञप्ति के अनुसार काव्य संग्रहों के लिए पुरस्कृत आठ कवि हैं। स्व. कबीन फुकन (असमिया) मनींद्र गुप्त (बाडला) प्रेमानंद मोखाहारि (बोडो) नसीम शफाई (कश्मीरी) मेल्विन रोड्रिक्स (कोंकणी) आदित्य कुमार मांडी (संताली) हरे कृष्ण शतपथी (संस्कृत) और खलील मामून (उर्दू)। ललित मंगोत्रा (डोगरी) ग्रेस (मराठी) और शामला सदाशिव (तेलुगु) को निबंध संग्रह के लिए पुरस्कृत किया गया। रामचंद्र गुहा (अंग्रेजी) को विवरणात्मक इतिहास के लिए पुरस्कार दिया जाएगा। मोहन परमार (गुजराती) को कहानी संग्रह, एम. के. सानू (मलयालम) को जीवनी और मोहन गेहानी (सिंधी) को नाटक के लिए दिया गया। यह पुरस्कार एक जनवरी 2007 से 31 दिसंबर 2011 के दौरान पहली बार प्रकाशित पुस्तकों पर दिया गया है। साहित्य अकादमी पुरस्कार के रूप में एक उत्कीर्ण ताम्र-फलक, शॉल और एक लाख रुपए की राशि दी जाती है। ज्ञानपीठ सम्मान : * ज्ञानपीठ सम्मान 2008 : अख़लाक़ मोहम्मद ख़ान 'शहरयार' को साल 2008 के साहित्य के ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें ये सम्मान उर्दू साहित्य में उनके योगदान के लिए दिया गया है। मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन ने दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में हुए 44वें ज्ञानपीठ समारोह में उन्हें ये पुरस्कार प्रदान किया। * ज्ञानपीठ पुरस्कार 2009 : वर्ष 2009 के लिए 45 वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी लेखक अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल को संयुक्त रूप से दिए जाने की घोषणा की गई। * ज्ञानपीठ पुरस्कार 2010 : वर्ष 2010 के लिए 46 वां ज्ञानपीठ पुरस्कार कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर कंबर को दिया जाना है। -
शहरयार : 1936 में उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्मे शहरयार उर्दू के चौथे साहित्यकार हैं, जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया। उनसे पहले फिराक गोरखपुरी, कुर्रतुल एन हैदर और अली सरदार जाफरी को ये सम्मान दिया गया था। शहरयार को 1987 में उनकी रचना 'ख़्वाब के दर बंद हैं' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। शहरयार का जन्म उस समय हुआ था जब भारत में प्रगतिशील आंदोलन की शुरुआत हुई थी। 1936 से लेकर उर्दू शायरी ने देश की बदलते हालातों को अभिव्यक्त किया जिसमें शहरयार का अहम योगदान रहा। -
अमरकांत : उत्तर प्रदेश के बलिया में 1925 में जन्मे हिन्दी के नामचीन लेखक अमरकांत के प्रमुख उपन्यास कंटीली राह के फूल, इन्हीं हथियारों से, सूखा पत्ता, काले उजले और बीच की दीवार शामिल हैं। इसके अलावा उनकी कहानी संग्रह में जिंदगी और जोंक, देश के लोग, मौत का नगर, मित्र मिलन और कुहासा प्रमुख है।अमरकांत मनोरमा पत्रिका के संपादक भी रहे हैं। उनके अभी तक 12 उपन्यास, 11 कहानी संग्रह, संस्मरण और बाल साहित्य प्रमुख है। उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुके हैं।-
श्रीलाल शुक्ल: श्रीलाल जी का जन्म 31 दिसंबर, 1925 को लखनऊ के ही मोहनलाल गंज के पास अतरौली गांव में हुआ था।14 साल की उम्र में ही श्रीलाल संस्कृत और हिंदी में कविता-कहानी लिखने लगे थे। अध्ययन के पश्चात प्रांतीय सिविल सेवा, पीसीएस में ऑफिसर बने और बाद में पदोन्नति पाकर आईएएस बने। सरकारी सेवा में रहते हुए भी उनके लेखकीय तेवर बरकरार रहे। उनका पहला उपन्यास सूनी घाटी का सूरज 1957 में प्रकाशित हुआ। सबसे लोकप्रिय उपन्यास राग-दरबारी 1968 में छपा। राग-दरबारी का 15 भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी में भी अनुवाद प्रकाशित हुआ। 1969 में उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला। लेकिन ज्ञानपीठ सम्मान 42 साल बाद उन्हें दिया गया। साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल का 28 अक्टूबर 2011 को निधन हो गया।* पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री वर्ष 2011 के लिए पद्म सम्मानों की तीनों श्रेणियों अर्थात पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री के लिए 128 व्यक्तियों का चयन किया गया। इनमें से13 पद्मविभूषण, 31 पद्मभूषण और 84 पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित हैं। पद्म पुरस्कार विजेताओं में 31 महिलाएं शामिल हैं। ऐसा पहली बार हुआ कि पद्म पुरस्कारों की सूची में मीडिया का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं किया गया। लगातार तीन वर्षों से (2009, 2010, 2011) देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न नहीं दिया गया। वर्ष 2008 में भारत रत्न भीमसेन जोशी को दिया गया था। उसके बाद से वर्ष 2011 तक यह पुरस्कार किसी को नहीं दिया गया। सचिन, अमिताभ बच्चन और ध्यानचंद के लिए पुरजोर कवायदें जारी रहीं। पद्मविभूषण असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए, पद्मभूषण उत्कॄष्ट कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए, और पद्मश्री किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के फलस्वरूप प्रदान किए जाते हैं। ये पुरस्कार मार्च/अप्रैल माह के लगभग किसी भी समय राष्ट्रपति भवन में आयोजित किए जाने वाले समारोह में भारत की राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाते हैं। वर्ष 2011 के लिए पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री पुरस्कार पाने वालों के नामों की सूची : * पद्मविभूषण : 1. डॉ. श्रीमती कपिला वात्स्यायन (कला और प्रशासन), 2. ए नागेश्वर राव (सिनेमा), 3. मोंटेकसिंह अहलूवालिया (योजना आयोग के उपाध्यक्ष), 4. अजीम प्रेमजी (उद्योग), 5. ब्रजेश मिश्र (प्रथम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सिविल सर्विसेस), 6. श्रीमती होमी व्यारावाला (प्रथम महिला फोटोग्राफी पत्रकार), 7. प्रसन्ना केशव आयंगर, 8. डॉ. अखलाक उर रहमान किदवई, 9. विजय केलकर (तीनों पब्लिक अफेयर्स), 10. पल्ले रामाराव (विज्ञान एवं इंजीनियरिंग), 11. प्रोफेसर ओट्टपलक्कल नीलकनंदन वेलु कुरूप, 12. डॉ. सीताकांत महापात्र (दोनों साहित्य एवं शिक्षा), 13. दिवंगत एलसी जैन (गांधीवादी अर्थशास्त्री, पब्लिक अफेयर्स)। * पद्मभूषण : 1. शशि कपूर (फिल्म), 2. सत्यदेव दुबे (रंगमंच), 3. वहीदा रहमान (फिल्म), 4. खय्याम (फिल्म संगीत), 5. दिवंगत दशरथ पटेल (कला), 6. कृष्ण खन्ना (पेंटिंग), 7. मदावुर वासुदेवन नायर (नृत्य कथकली), 8. रुद्रपतना कृष्णा शास्त्री श्रीकांतन (गायन), 9. सुश्री अर्पितासिंह (पेंटिंग), 10. डॉ. श्रीपति पी. बालासुब्रहमण्यम (पार्श्व गायन, संगीत, निर्देशन, अभिनय), 11. सीवी चंद्रशेखर (शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम), 12. द्विजेन मुखर्जी (कला), 13. श्रीमती राजश्री बिड़ला (आदित्य बिडला समूह की निदेशक, सामाजिक कार्य), 14. श्रीमती शोभना रानाडे (सामाजिक कार्य), 15. डॉ. सूर्यनारायण रामचंद्रन (विज्ञान एवं इंजीनियरिंग), 16. एस गोपालकृष्णन (इंफोसिस के सीईओ, व्यापार एवं उद्योग), 17. योगेश चंद्र दवेश्वर (आईटीसी के अध्यक्ष, व्यापार एवं उद्योग), 18. सुश्री चंदा कोचर (आईसीआईसीआई की एमडी और सीईओ, व्यापार एवं उद्योग), 19. डॉ. के अंजी रेडडी (व्यापार एवं उद्योग), 20. अनलजीतसिंह (रैनबेक्सी, व्यापार एवं उद्योग), 21. राजेन्द्रसिंह पवांर (एनआईआईटी के संस्थापक, व्यापार एवं उद्योग), 22. डॉ. गुनापति वेंकटा कृष्णा रेडडी (व्यापार एवं उद्योग), 23. अजय चौधरी (व्यापार उद्योग), 24. सुरेन्द्रसिंह (पूर्व मंत्रिमंडलीय सचिव, सिविल सेवा), 25. एमएन बुच (सिविल सेवा), 26. श्याम सरन (पूर्व विदेश सचिव एवं अमेरिका के साथ परमाणु करार वार्ता के प्रमुख अंग, सिविल सेवा), 27. थाइज जेकब सोनी जॉर्ज (साहित्य शिक्षा), 28. रामदास माधव पई (साहित्य शिक्षा), 29. सांखा घोष (साहित्य शिक्षा), 30. दिवंगत के राघवन थिरुमुलपद (आयुर्वेद), 31. दिवंगत डॉ. केकी बईरामजी ग्रांट (कॉर्डियोलॉजी)।पद्मश्री : 1. काजोल (फिल्म), 2. इरफान खान (फिल्म), 3. उषा उत्थुप (संगीत), 4. वीवीएस लक्ष्मण (क्रिकेट), 5. सुशील कुमार (कुश्ती), 6. तब्बू (सिनेमा), 7. कृष्णा पूनिया (चक्का फेंक), 8. नीलम मानसिंह चौधरी (रंगमंच), 9. मकरध्वज दरोगा (छाउ नृत्य), 10. शाजी नीलकंठन करुण (फिल्म निर्देशन), 11. गिरीश कासरावल्ली (फिल्म निर्माण), 12. जीव्य सोमा मासे (वार्ली पेंटिंग), 13. सुश्री एमके सरोजा (भारतनाट्यम), 14. जयराम सुब्रहमण्यम (सिनेमा), 15. पंडित अजय चक्रवर्ती (भारतीय शास्त्रीय गायन), 16. श्रीमती महासुंदरी देवी (मधुबनी पेंटिंग), 17. गजम गोवर्धन (हथकरघा बुनाई), 18. सुश्री सुनयना हजारीलाल (कथक), 19. एसआर जानकीरमण (कर्नाटक गायन), 20. पेरुवनम कुट्टन मरार (ड्रम कंसर्ट), 21. श्रीमती कलामंडलम के पवित्रन (नृत्य मोहिनीअट्टम), 22. दादी दोराब पद्मजी (कठपुतली कला), 23. के. मांगीसिंह (मणिपुरी संगीत), 24. प्रह्लादसिंह टिपानिया (लोक संगीत).25. हेमराज अग्रवाल, 26. जाकिन अरपुत्थम, 27. सुश्री नमिता चांडी, 28. सुश्री शीला पटेल, 29. सुश्री अनीता रेड्डी, 30. कानूभाई हंसमुख भाई टेलर (सभी छह सामाजिक कार्य), 31. प्रोफेसर एम अन्नामलाई, 32. डॉ. महेश हरिभाई मेहता, 33. कोयंबटूर नारायण राव राघवेन्द्रन, 34. श्रीमती सुमन सहाय, 35. प्रोफेसर ईए सिद्दीक, 36. गोपालन नारायण शंकर (सभी छह विज्ञान इंजीनियरिंग), 37. मक्का रफीक अहमद, 38. कैलासम राघवेन्द्र राव (दोनों व्यापार उद्योग), 39. नारायणसिंह भाटी (सिविल सेवा), 40. पीके सेन (सिविल सेवा), 41. सुश्री शीतल महाजन (खेल पैराजंपिंग), 42. सुश्री एन. कुंजुरानी देवी (भारोत्तोलन), 43. गगन नारंग (शूटिंग), 44. हरभजनसिंह (पर्वतारोहण).45. पुखराज बाफना, 46. प्रो. मंसूर हसन, 47. डॉ. श्याम प्रसाद मंडल, 48. प्रो. शिवापाथम विट्ठल, 49. प्रो. मदनूर अहमद अली, 50. डॉ. इंदिरा हिन्दुजा, 51. डॉ. जोस चाको पेरियाप्पुरम, 52. प्रो. एएम पिल्लै (सभी आठ चिकित्सा), 53. माहिम बोरा, 54. प्रो. पुलेला श्रीराम चंद्रू, 55. प्रवीण गार्गी, 56. डॉ. चंद्रप्रकाश देवल, 57. बलराज कोमल, 58. श्रीमती रजनी कुमार, 59. डॉ. देवानूरू महादेवा, 60. वरुण मजूमदार, 61. अव्वाई नटराजन, 62. बालाचंद्र नेमादे, 63. प्रो रियाज पंजाबी, 64. प्रो. कोनेरू रामकृष्ण राव, 65. सुश्री बुआंगी साइलो, 66. प्रो. देवीदत्त शर्मा, 67. नीलांबर देवशर्मा (सभी 15 साहित्य शिक्षा), 68. अनंत दर्शन शंकर (पब्लिक अफेयर्स), 69. सुश्री उर्वशी भूटिया (साहित्य शिक्षा), 70. प्रो. कृष्ण कुमार (साहित्य शिक्षा), 71. देवी प्रसाद द्विवेदी (साहित्य शिक्षा), 72. सुश्री ममांग दई (साहित्य शिक्षा), 73. ओम प्रकाश अग्रवाल (हैरिटेज संरक्षण), 74. मधुकर केशब धवलीकर (पुरातत्व),75. सुश्री शांति टेरेसा लाकरा (नर्सिंग), 76. गुलशन नंदा (हथकरघा प्रोत्साहन), 77. आजाद मूपेन (समाज कार्य), 78. प्रो. उपेन्द्र बख्शी (पब्लिक अफेयर्स), 79. मणिलाल भौमिक (विज्ञान इंजीनियरिंग), 80. सुब्रा सुरेश (विज्ञान इंजीनियरिंग), 81. प्रो. कार्ल हैरिंगटन (साहित्य शिक्षा), 82. मार्था चेन (समाज कार्य), 83. सतपाल खट्टर (व्यापार उद्योग), 84. ग्रानविले आस्टिन (शिक्षा साहित्य)।
साहित्य का नोबेल पुरस्कार 2011 स्वीडन के कवि टॉमस ट्रांसट्रोमर को साहित्य के क्षेत्र में वर्ष 2011 के नोबेल पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार अपनी कविताओं के लिए मिला। स्वीडिश एकेडमी ने इसकी जानकारी 6 अक्टूबर 2011 को दी। पुरस्कार स्वरूप टॉमस ट्रांसट्रोमर को एक करोड़ क्रोन (15 लाख अमेरिकी डॉलर) मिलेंगे। साहित्य का नोबल पुरस्कार पाने वाले टॉमस ट्रांसट्रोमर सातवें स्वीडिश एवं आठवें यूरोपीय नागरिक है। वर्ष 2010 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार स्पैनिश में लिखने वाले पेरू के लेखक मारियो वर्गास ल्योसा को दिया गया। इसके पहले जर्मनी की उपन्यासकार हेरता म्यूलर, फ्रांस के लेखक ली कलेजिया ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता था। इसके पहले यह पुरस्कार वर्ष 1974 में किसी स्वीडिश नागरिक को दिया गया। तब स्वीडन के लेखक आईविंद योंसन और नाविक, लेखक व कवि हैरी मार्टिनसन को साझा तौर पर नोबेल दिया गया। लेकिन यह फैसला विवादों में घिर गया क्योंकि दोनों ही नोबेल पुरस्कार का फैसला करने वाली स्वीडिश एकेडमी के सदस्य थे। 23
वर्ष की उम्र में पियानोवादक टॉमस ट्रांसट्रोमर की पहली कविता-संग्रह सत्रह कविताएं प्रकाशित हुई। टॉमस ट्रांसट्रोमर बीसवीं शताब्दी का सबसे बड़ा स्वीडिश कवि माना जाता है। ट्रांसट्रोमर को 1990 में पक्षाघात हुआ जिसके बाद उनके आधा शरीर को लकवा मार गया और वह बोल पाने में अक्षम हो गए लेकिन उन्होंने लिखना जारी रखा. वर्ष 2004 में उनकी कविता संग्रह द ग्रेट इनिग्मा प्रकाशित हुई। टॉमस ट्रांसट्रोमर की लोकप्रिय रचनाओं में 1966 में लिखी गई विंडोज एंड स्टोंस और 1974 की बाल्टिक्स शामिल है। उनकी कुल बारह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हिन्दी सहित संसार की क़रीब 60 भाषाओं में उनकी पुस्तकों के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। टॉमस ट्रांसट्रोमर का जन्म 1931 में स्टॉकहोम में हुआ था। उनकी शिक्षिका मां ने उनके पत्रकार पिता से तलाक ले लिया था, इस कारण से उनका बचपन अकेलेपन में बीता। उन्होंने स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान की डिग्री ली और बाद में मनौवैज्ञानिक के तौर पर उन्होंने बच्चों की एक जेल में काम किया। उसके बाद विकलांगों के साथ भी काम किया। नोबेल पुरस्कार के तहत एक करोड़ क्रोन यानी लगभग 14 लाख डॉलर की राशि दी जाती है। यह पुरस्कार हर साल 10 दिसंबर को स्वीडिश वैज्ञानिक और डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की बरसी पर दिए जाते हैं। नोबेल की 1896 की वसीयत के मुताबिक 1901 से चिकित्सा, भौतिकी, रसायन, साहित्य और शांति के लिए अमूल्य योगदान देने वालों को सम्मानित किया जा रहा है। वहीं अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की स्थापना 1968 में स्वीडिश केंद्रीय बैंक ने अपनी 300वीं वर्षगांठ पर अल्फ्रेड नोबेल की याद में की। साल 2011 के साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले नोबेल के लिए देश के दो साहित्यकार भी दौड़ में थे। इनमें एक राजस्थान के विजयदान देथा और दूसरे के. सच्चिदानंद। विज्जी के नाम से मशहूर विजयदान को राजस्थान का शेक्सपीयर भी कहा जाता है।विजयदान देथा, के. सच्चिदानंद और टॉमस ट्रांसट्रोमर के अलावा साहित्य के नोबेल के लिए अन्य साहित्यकार भी दौड़ में थे : एडनोइस - सीरियान्गूगी वा थियोंग -केन्यानुरुद्दीन फराह- सोमालियापीटर नदास-हंगरीको उन - द. कोरियाहारुकी मुराकामी-जापानराजेंद्र भंडारी नेपाललेस मरे- ऑस्ट्रेलियापुलित्जर पुरस्कार 2011 : भारतीय मूल के अमेरिकी चिकित्सक सिद्धार्थ मुखर्जी की कैंसर पर चर्चित पुस्तक ‘द एम्परर ऑफ ऑल मेलेडीज : ए बायोग्राफी ऑफ कैंसर’ ने प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता है। पुस्तक को सामान्य श्रेणी में यह पुरस्कार दिया गया। पुलित्जर पुरस्कार समिति ने कहा कि मुखर्जी की यह पुस्तक कैंसर जैसी घातक बीमारी के इतिहास को टटोलती एक बेहतरीन चिकित्सा रचना है। पुलित्जर पुरस्कार राशि के रूप में 10,000 डॉलर की राशि दी जाती है। भारतीय मूल के मुखर्जी कोलंबिया विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर होने के साथ ही विश्वविद्यालय के चिकित्सा केंद्र में एक कैंसर फिजीशियन हैं। मुखर्जी ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और हॉवर्ड मेडिकल स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई की है। वह कई मशहूर जर्नल और समाचार पत्रों में लिखते रहे हैं। इस पुस्तक में मुखर्जी ने सदियों पहले कैंसर की स्थिति के बारे में प्रकाश डाला है। उन्होंने इस बीमारी के ऐतिहासिक परिदृश्य को आज के दौर के साथ समेटने की कोशिश की है। वर्ष 2011 का मैन बुकर पुरस्कार : वर्ष 2011 का मैन बुकर पुरस्कार के लिए ब्रिटिश लेखक जुलियन बर्न्स के उपन्यास द सेंस ऑफ एन एंडिंग का चयन किया गया. इस पुरस्कार की घोषणा ज्यूरी की अध्यक्ष डेमा स्टेला रिमिंगटन ने लंदन के गिल्डहॉल में 19 अक्टूबर 2011 को की। इस उपन्यास के मूल विषय में बचपन की दोस्ती और अधूरी स्मृतियों की कहानी है। जुलियन बर्न्स इससे पहले वर्ष 1984 में प्लेउबर्ट्स पैरोट के लिए, वर्ष 1998 में इंग्लैंड-इग्लैंड और वर्ष 2005 में ऑर्थर एंड जॉर्ज के लिए नामांकित हुए थे। मैन बुकर पुरस्कार 2011 की इस दौड़ में करौल ब्रिच (जमरैक मीनेग्री), कैनेडियन पैट्रिक डेविट (द सिस्टर्स ब्रदर्स), ए सी उडुग्यान (हाफ ब्लड ब्लूज) और नवोदित लेखक स्टीफन कोलमेन (पीजन इंग्लिस) व ए डी मिलर (स्नोवड्राप्स) भी शामिल थे। वर्ष 2011 के मैन बुकर पुरस्कार के लिए किताबों की चयन समिति में लेखिका और एम 15 की पूर्व महानिदेशक स्टेला रिमिंगटन (अध्यक्ष) समेत मैथ्यू डी एनकोना, सुसान हिल, क्रिस मुलिन और गेबी वुड शामिल थे.मैन बुकर पुरस्कार फॉर फिक्शन (Man Booker Prize for Fiction) जिसे मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है, कॉमनवैल्थ या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है। वर्ष 2008 का पुरस्कार भारतीय लेखक अरविन्द अडिगा को दिया गया था। अडिगा को मिलाकर कुल 5 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है (अन्य लेखक - वी एस नायपॉल, अरुंधति राय, सलमान रश्दी और किरन देसाई), और कुल 9 पुरस्कार विजेता उपन्यास ऐसे हैं जिनका कथानक भारत या भारतीयों से प्रेरित है। बुकर पुरस्कार की स्थापना 1969 में इंग्लैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी। इस पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की एक लंबी सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन की शाम पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है। पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।