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स्वतंत्रता दिवस 2023 : आजादी के 76 साल बाद आबादी में अब भारत नंबर वन, आपदा या अवसर?

स्वतंत्रता दिवस 2023 : आजादी के 76 साल बाद आबादी में अब भारत नंबर वन, आपदा या अवसर? - India's population ahead of China on India's 76th anniversary
77th Independence Day India Population 2023 : भारत की आजादी के 76 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और भारतीय स्वतंत्रता का 77वां दिवस मनाया जाएगा। इन 76 सालों में भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ी और अब हालात यह है कि चीन को पछाड़कर भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 1.428 बिलियन से अधिक जनसंख्या के साथ भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है।
 
भारत का दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश बनना क्या एक आपदा या हमारे समाने एक अवसर? इस पर भी अब बहस छिड़ गई है। वहीं देश में एक बार फिर जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग ने जोर पकड़ लिया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बार फिर जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करते हुए इसका विरोध करने वालों पर जमकर निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि यदि जनसंख्या पर कानून नहीं बना तो बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। इसके साथ ही गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत की जनसंख्या पर मोदी सरकार कोई नया कदम उठाएंगी, तो ये टुकड़े-टुकड़े गैंग और ओवैसी जैसे लोग विरोध करेंगे।
 
वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारत की आबादी दुनिया में सबसे अधिक होने को चिंतनीय बताते हुए कहा इसे सरकार की विफलता बताया था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल ट्विटर पर लिखा कि इसे सरकार की विफलता बताते हुए लिखा कि गरीबी, बेरोजगारी के कारण काम में हाथ बंटाने और कमाने के लिए व मेडिकल की कमी से बालमृत्यु के डर से अधिक बच्चे पैदा करना और कांट्रासेप्टिव्स का वितरण न होना और शिक्षा की कमी से जनसंख्या के दबाव को न समझना।
 
जनसंख्या नियंत्रण कानून को संघ का समर्थन-देश में जनसंख्या नियमंत्र कानून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पहले ही अपना समर्थनक दे चुका है। संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ में नंबर-2 के नेता सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले देश में सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बनाने की बात कह चुके है।
 
पिछले साल संघ के स्थापना दिवस कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत ने जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत में जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने जो सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को छूट नहीं मिले। उन्होंने कहा कि ऐसी जनसंख्या पॉलिसी बनानी चाहिए जो सभी पर बराबरी से लागू हो। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने देश में जनसंख्या विस्फोट को चिंताजनक बताया था। उन्होंने सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बनाने की बात कही थी।
जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी या नहीं?-ऐसे में जब भारत आज दुनिया की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है तब क्या भारत को एक जनसंख्या नियंत्रण कानून चाहिए या नहीं इस पर पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की पॉलिसी और प्रोग्राम हेड संघमित्रा सिंह 'वेबदुनिया' से बातचीत में कहती है कि काफी लंबे अरसे से सियासी दल जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने की मांग करते आए है और इसके लिए संसद में प्राइवेट मेंबर बिल भी लाए गए। लेकिन देश को न तो आज जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है और न पहले थी।
 
संघमित्रा सिंह कहती है कि भारत में हमेशा से फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम स्वैच्छिक रहा है। जिसमें यह माना गया है कि अगर आप लोगों के स्वास्थ्य में,उनकी शिक्षा में, नौकरी में और महिलाओं की सशक्तिकरण की तरफ ध्यान देंगे तो जनसंख्या के नंबर अपने आप नीचे आएंगे और दुनिया के हर देश में यही देखा गया है। ऐसे में ऐसे कानून की जरुरत नहीं है। 
 
ऐसे में जब भारत दुनिया की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है तब क्या भारत में फैमिली प्लांनिंग को लेकर कोई नई कार्ययोजना बनाने की जरुरत है इस सवाल पर संघमित्रा सिंह कहती है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2019-21) बताता है कि जितने भी स्वास्थ्य और महिलाओं के सशक्तिकरण (शिक्षा, बैंक एकाउंट, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच) संबंधित आंकड़े बताते है कि इनमें लगातार सुधार आया है, यानि सरकार के जितने भी भी प्रोग्राम लांच किए गए है उसका एक सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। वहीं अगर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में देश में राष्ट्रीय स्तर पर फर्टिलिटी रेट 2 है।
 
ऐसे में अब आगे सरकार को ऐसे प्रोग्राम लाने की जरुरत है जो पिछड़े हुए राज्यों जहां इन्वेस्टमेंट की ज्यादा जरुरत है उसको केंद्र में रखकर प्रोग्राम बनाए। भारत एक बहुत ही विविधिता वाला देश है और हर राज्य और जिले में जमीनी स्तर पर बहुत अंतर है ऐसे में अगर फैमिली प्लानिंग या अन्य कोई प्रोग्राम वहां सफल करना है तो वहां की जरुरतों पर फोकस कर प्रोग्राम बनाया जाए और उसको लागू किया जाए।
दुनिया में सबसे अधिक आबादी आपदा या अवसर?-दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनाने के बाद आज हमारे सामने जो परिस्थितियां है वह एक आपदा है या अवसर, यह भी एक बड़ा सवाल है। लोगों के मन में उठ रहे इस सवाल को लेकर ‘वेबदुनिया’ ने पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की पॉलिसी और प्रोग्राम हेड संघमित्रा सिंह से  किया तो उन्होंने कि वह इसे एक मौके के रूप में देखती है। वह कहती है कि आज भारत में औसत उम्र 28 साल है, ऐसे में जब दुनिया के कई विकसित देश जिनकी एक बड़ी आबादी बुजुर्ग हो गई है और वह प्रजनन दर की गिरावट से जूझ रहे है। तब भारत में भारत के पास एक मौका है क्योंकि हमारे पास अधिकतर जनसंख्या युवाओं की है। जरुरत केवल इन युवाओं में इन्वेस्टमेंट की और यह इन्वेस्टमेंट इनकी पढ़ाई में होना चाहिए,स्किलिंग में होनी चाहिए। युवाओं का स्किल डेवलपमेंट आज के दौर के मुताबिक हो जिससे यह रोजगार पाने के साथ खुद आत्मनिर्भर बन सके।
 
संघमित्रा सिह कहती है कि जो अवसर आज हमारे सामने है वैसा ही अवसर काफी सालों पहले चीन के पास था जब उनकी जनसंख्या युवा थी। चीन ने अपनी जनसंख्या में इनवेस्ट कर खुद को दुनिया में एक सुपर पॉवर के रुप में स्थापित किया। ऐसे में भारत के पास एक मौका और भारत को यह मौका खोना नहीं है। अगर औसत के हिसाब से एक भारतीय आज अगर 28 साल का है। तो आज से 30 साल बाद एक भारतीय 58 साल का होगा। जहां आज जापान और कोरिया है वहां हम 30 साल बाद होंगे तो ऐसे में हमारे पास तीस साल का मौका है।
 
वहीं भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वाले अश्विनी उपाध्याय इसकी तुलना आपदा से करते है, वह कहते हैं कि आज भारत में हर दिन 86 हजार बच्चे पैदा हो रहे है और आज की सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या विस्फोट है। वह कहते है कि जनसंख्या हमारे समाज पर किस तरह से प्रभाव डाल रही है, इसको ऐसे समझा जा सकता है कि जब तक सरकार दो करोड़ लोगों को रोजगार देगी तब तक 10 करोड़ लोग बेरोजगार पैदा हो जाएंगे। इसलिए जब तक देश में कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनेगा तक तक देश का विकास नहीं हो सकता है।