हॉस्टल लाइफ- बोले तो बिंदास
जहां मस्ती ही मजहब और इंसानियत ही इबादत है।
एक ऐसी दुनिया जो हमारी जैसी दिखती जरूर है,लेकिन हमसे बिल्कुल जुदा है। इनके जीने का अंदाज दूर से भले आपको अपने जैसा दिखे लेकिन इनकी लाइफ स्टाइल हमसे अलग है। देश,समाज और वक्त के बदलाव का असर इनपर भी पड़ता है। पढ़ाई के साथ देश दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव पर चर्चा और परिचर्चा यहां भी होती है। देश की राजनीति की तरह शह और मात का खेल यहां भी खेला जाता है। लेकिन बाकी दुनिया से बेखबर होकर यह अपने जीने का सलीका खुद तय करते हैं। फैशन, गैजेट्स और लड़की जैसे मुद्दे पर चर्चा तो यहां आम बात है। यानी इनकी पूरी दुनिया सिर्फ तीन 'प' प्यार,पॉलीटिक्स और पढ़ाई के बीच ही सिमटी होती है। इन तीन शब्दों के बीच से होकर ही यहां रहनेवाले लोगों की लाइफ-स्टाइल, जिंदगी के प्रति नजरिया और भविष्य की आड़ी-तिरछी रेखाएं बनती-बिगड़ती है। बावजूद इसके इन सबके बीच एक चीज जो यहां हमेशा जिंदा रहती है वह है 'मस्ती'। यहां न तो किसी के सोने पर पाबंदी होती है और न ही जगने पर। न तो खाने का कोई रूटीन होता है न टाईम। यह भले यहां पढ़ाई करने आए हों लेकिन इसके लिए भी कुछ फिक्स नहीं है। कॉलेज जाएं न जाएं क्या फर्क पड़ता है। जब जी में आएगा चले जाऐंगे। पढ़ाई करें न करें क्या होगा। जब मन में आएगा पढ़ लेंगे। वरना परीक्षा के टाईम पर तो पढ़ना ही है। बावजूद इसके मस्ती के लिए यह हमेशा तैयार होते हैं। इसके लिए इनके पास हमेशा वक्त ही वक्त होता है।
अब जैसे अभिजीत को ही देखिए सुबह के दस बज चुके हैं। अभिजीत अभी सोकर उठा है। आज उसका कॉलेज जाने का कोई मूड नहीं है। यानी आज हॉस्टल में पूरे दिन मस्ती होनी तो तय है। जी हां इंदौर के इस रॉयल रेसीडेंसी हॉस्टल का सबसे मस्तीखोर लड़कों में अभिजीत का नाम शुमार है। यहां के एक प्राईवेट कॉलेज में बीई का छात्र अभिजीत इंजीनियर बनने का ख्वाब सजाये बिहार से यहां आया है। इसके आवभाव,बात करने का अंदाज आदि को देखकर आपको भी यह लगेगा कि मस्तीगिरी तो इसके रोम-रोम में बसी है।